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केजरीवाल के नक्शे-कदम पर कमल हासन: AAP और MNM में कितनी समानताएं?

तमिलनाडु में राजनीतिक दल कमल हासन और उनकी पार्टी को कम आंकने की ही गलती नहीं करेंगे

Ajaz Ashraf

अभिनेता से नेता बने कमल हासन की पार्टी ‘मक्कल नीधि मय्यम' और अरविंद केजरीवाल की 'आम आदमी पार्टी' के बीच कई समानताएं होने के बावजूद दोनों में एक अहम अंतर भी है. कमल हासन ने भी खुद को आम आदमी की तरह ही भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने की मुहिम के साथ लॉन्च किया है. हासन का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वह न तो बाहुबल के इस्तेमाल में विश्वास रखते हैं और न ही धनबल पर भरोसा करते हैं.

इसके अलावा हासन का यह भी कहना है कि वह पहचान की राजनीति में भी विश्वास नहीं करते हैं. उनका मकसद तो भ्रष्टाचार मुक्त सिस्टम और समाज के लिए संघर्ष करना है. हासन केजरीवाल की राजनीतिक पारी के शानदार आगाज और फिर बिना किसी चुनावी तजुर्बे के धमाकेदार जीत हासिल करने से खासे प्रभावित हैं. हासन को विश्वास है कि मौजूदा राजनीतिक वर्ग के खिलाफ लोगों के जबरदस्त असंतोष के चलते उन्हें भी केजरीवाल की तरह सत्ता में आने का मौका मिल सकता है.


कमल हासन भले ही केजरीवाल के नक्शे-कदम पर चल पड़े हों और सत्ता में आने का ख्वाब देख रहे हों. लेकिन हासन ‘मक्कल नीधि मय्यम' और 'आम आदमी पार्टी' के बीच महत्वपूर्ण अंतर को नज़रअंदाज नहीं कर सकते हैं. उस एक अंतर ने ही केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता तक पहुंचाया था.

दरअसल आम आदमी पार्टी का उदय भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से हुआ था. उस आंदोलन को मीडिया में व्यापक कवरेज मिली थी. मीडिया के जबरदस्त कवरेज के चलते आंदोलन पर कई गुणकारी प्रभाव पड़े थे. यही वजह थी कि आंदोलन में शामिल नेता जो कभी गुमनाम हुआ करते थे उन्हें घर-घर जाना-पहचाना जाने लगा. आंदोलन में शामिल नेताओं को इतनी लोकप्रियता काफी हद तक उनके विचारों की वजह से मिली थी.

मीडिया की सख्त जरूरत है कमल हासन को 

कमल हासन एक मशहूर फिल्मी शख्शियत हैं. वह तमिलनाडु में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. हासन की तरह ही एम.जी. रामचंद्रन, जे. जयाललिता और के. करुणानिधि भी फिल्म इंडस्ट्री से राजनीति में आए थे. तीनों पूर्व मुख्यमंत्री सत्ता में आने से पहले राजनीतिक पार्टियों के गठन में हिस्सेदार रहे थे. लेकिन फिर भी कमल हासन रामचंद्रन, जयललिता और करुणानिधि के सांचे में फिट नहीं बैठते हैं.

इसलिए कमल हासन को फिलहाल मीडिया की सख्त जरूरत है, ताकि वह अपने राजनीतिक विचारों का प्रचार-प्रसार कर सकें. राज्य के दौरे के दौरान तो हासन को मीडिया की तवज्जो की और भी जरूरत होगी. जैसा कि पिछले महीने जारी एक पत्र में हासन ने लिखा था कि, 'वह यह समझना चाहते हैं कि लोगों की जरूरतें क्या हैं?, लोगों को कौन सी चीजें प्रभावित कर रही हैं?, लोगों की आकांक्षाएं क्या हैं?'

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दूसरे शब्दों में कहें तो कमल हासन की राजनीतिक पार्टी अब एक आंदोलन का माध्यम बनने जा रही है. खुद को बतौर जननेता स्थापित करने की हासन की यह मुहिम आम आदमी पार्टी की लॉन्चिंग से एकदम विपरीत है. मक्कल नीधि मय्यम को भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के तौर पर बनाया गया है. खुद हासन ने भी पार्टी की लॉन्चिंग के मौके पर यह बात स्पष्ट कर दी है. वैसे हासन पिछले कुछ महीनों से लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे हैं और साहसिक तरीके से राज्य के नेताओं पर उंगली उठाते आ रहे हैं.

उदाहरण के तौर पर, पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कमल हसन ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे. अपने ट्वीट्स में हासन ने आश्चर्य जताया था कि विपत्ति और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कोई तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी के इस्तीफे की मांग क्यों नहीं करता है. उसी दिन एक अन्य ट्वीट में हासन ने कहा था कि, 'जब तक हम लोग खुद को भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं करा लेते, हम सभी गुलाम ही बने रहेंगे. जिन लोगों के पास स्वतंत्रता के नए संघर्ष के लिए साहस है उन्हें आगे आने दीजिए. हमें संघर्ष में जीतने दीजिए.'

राजनीति में आने से पहले करते रहे हैं तैयारी, साधते रहे हैं निशाना 

कमल हासन ने एक बार चेन्नई का ज़िक्र 'भ्रष्टाचार के बुखार से प्रेरित राजधानी' के तौर पर किया था. हासन ने पिछले साल आरके नगर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में AIADMK के बागी नेता टीटीवी दिनाकरण की जीत पर भी निशाना साधा था. हासन ने कहा था, 'तमिलनाडु की राजनीति और लोकतंत्र के लिए यह एक बड़ी शर्मिंदगी की बात है. इस जीत को खरीदा गया है. कहा जा रहा है कि चुनाव में वोट के बदले नोट बांटे गए, ऐसे में जनता भी खुलेआम हुए इस अपराध की भागीदार है.'

कमल हासन ने धन बल के खिलाफ हल्लाबोल आम आदमी पार्टी की तर्ज पर किया है. इसके अलावा भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को नए स्वतंत्रता संग्राम के रूप में पेश करने की उनकी कोशिश भी आम आदमी पार्टी से ही प्रभावित है. दिल्ली में जिस जगह अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने अपना आंदोलन किया था, वहां हर ओर महात्मा गांधी के विशाल चित्र और तिरंगे झंडे नजर आते थे.

उस वक्त अन्ना और केजरीवाल या तो आमरण अनशन की बात कहते थे या फिर मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित करते नजर आते थे. यानी आप नेताओं का आंदोलन बिल्कुल महात्मा गांधी के आंदोलनों की तर्ज पर था. महात्मा गांधी कमल हासन के भी पसंदीदा नेता हैं. इस बात का उल्लेख कमल हासन की बेटी श्रुति ने पार्टी की लॉन्चिंग से पहले अपने एक ट्वीट के जरिए किया. श्रुति ने यह ट्वीट अपने पिता कमल हासन को शुभकामनाएं देने के लिए किया था. यह महात्मा गांधी से मिली प्रेरणा ही है, जिसके चलते हासन ने तमिलनाडु के हर जिले में एक गांव को गोद लेने का फैसला लिया है.

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आम आदमी पार्टी ने अपनी मुहिम के आगाज के वक्त लोगों को जुटाने के लिए खास युक्ति अपनाई थी. जिसके तहत लोगों से मिस्ड कॉल के जरिए और मोबाइल पर मैसेज भेजकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के लिए समर्थन मांगा गया था. इसके अलावा भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन में भी शिरकत करने की अपील की गई थी. उसी तर्ज पर कमल हासन ने भी एक व्हिसिल ब्लोअर ऐप- मय्यम व्हिसिल लॉन्च किया है. इस ऐप पर लोग सरकार के गलत कामों की जानकारी दे सकते हैं. जाहिर है, जो शख्स मय्यम व्हिसिल ऐप का इस्तेमाल करेगा वह सीधे तौर पर कमल हासन से जुड़ जाएगा.

मुख्यधारा के नेताओं से नाराज हैं कमल हासन 

आम आदमी पार्टी की तरह ही कमल हासन भी मुख्यधारा के नेताओं से निराश और नाराज हैं. उनकी नजर में तमिलनाडु में इस वक्त कोई भी नेता सम्मान के लायक नहीं है. इसी महीने की शुरुआत में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में इंडियन कॉन्फ्रेंस 2018 में बोलते हुए कमल हासन ने राज्य के राजनीतिक वर्ग को जमकर आड़े हाथों लिया था.

उन्होंने तमिलनाडु के राजनीतिक वर्ग पर राज्य की छवि को खराब करने का भी आरोप लगाया था. हासन ने कहा था, 'बकवास लोग स्वीकार कर लिए जाते हैं, साधारण लोग असाधारण बन जाते हैं और असाधारण लोग जीनियस बन जाते हैं. जबकि अगर कोई सच में जीनियस होता है तो उसे राज्य से बाहर निकाल दिया जाता है. ऐसे में तमिलनाडु को मनोवैज्ञानिक निगरानी की ज़रूरत है.'

पिछले साल जब AIADMK के दो परस्पर विरोधी धड़ों यानी पन्नीरसेल्वम गुट और पलानीस्वामी गुट का विलय हुआ था, तब भी कमल हासन ने एक जोरदार ट्वीट किया था. हासन ने अपने ट्वीट में लिखा था, 'अब, जोकर की टोपी तमिलों के सिर पर बैठ चुकी है. क्या यह पर्याप्त है या आप कुछ और भी चाहते हैं? तमिलों, कृपया खड़े हो जाओ.' वहीं जब जेल में बंद नेता वीके शशिकला की संपत्तियों पर आयकर विभाग ने छापे डाले थे तब हासन ने एक ट्वीट करके पूछा था कि, 'सरकार द्वारा चोरी एक अपराध है. लेकिन सबकुछ स्पष्ट होने के बावजूद, उसे साबित न कर पाना क्या अपराध नहीं है?'

कमल हासन ने तमिलनाडु में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की कार्रवाई को ढोंग करार दिया है. हासन ने यह आरोप उसी अंदाज़ में लगाया है कि जैसा कि आप नेता अतीत में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार पर लगाते थे. उस वक्त हर घोटाले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की जाती थी. इसके अलावा जन लोकपाल बिल की भी जोरदार मांग उठती थी. आप नेताओं की दलील थी कि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए एक स्वतंत्र इकाई होना चाहिए. यह वह दौर था जब आम आदमी पार्टी बड़े और नामचीन नेताओं को भी चोर कहने से नहीं चूकती थी.

आप की तरह भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बना रहे हैं हासन 

आम आदमी पार्टी की लीक पर चलते हुए ही कमल हासन ने भी मौजूदा नेताओं को अपराधियों के समान बताया है. शशिकला की संपत्तियों पर छापे के बाद हासन ने कहा था कि, 'परीक्षा की घंटी बज चुकी है. अपराधियों को शासन नहीं करना चाहिए ... लोगों को अब जज बन जाना चाहिए. हमें अब जाग जाना चाहिए और उठ खड़े होना चाहिए. लोगों को जागरूकता के साथ सक्रिय हो जाना चाहिए.'

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पहचान की राजनीति के मामले में कमल हासन आम आदमी पार्टी से एक कदम आगे निकल गए हैं. एक हालिया मीडिया इंटरव्यू में हासन ने कहा कि, जातिगत राजनीति ग्रामीण छात्रों और किसानों के लिए बाधा बन गई है, लेकिन इसे खत्म करना मुश्किल हो गया है. क्योंकि जाति की सुरक्षा अफसर कर रहे हैं.' हासन ने यह बात सोमवार को मदुरै में भी दोहराई. उन्होंने कहा कि, 'जाति और धर्म के खेलों को अब रोका जाना चाहिए.'

आम आदमी पार्टी ने भी खुद को काफी हद तक जातिगत राजनीति से अलग कर रखा है. जातिगत राजनीति की जगह आम आदमी पार्टी शहरी गरीबों के मुद्दों को तरजीह दे रही है. इनमें बिजली की दरों में कमी, उपयोग की एक निश्चित सीमा तक मुफ्त पानी, सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की व्यवस्थाओं और सुविधाओं में सुधार जैसे मुद्दे शामिल हैं.

सरकारी फंड्स का समुचित इस्तेमाल न हो पाने पर अरविंद केजरीवाल अक्सर टिप्पणी करते रहते हैं. मक्कल नीधि मय्यम की लॉन्चिंग के दौरान भी उन्होंने अपनी इस बात को दोहराया. केजरीवाल ने कहा कि सरकार के खजाने में पर्याप्त धन होता है, लेकिन यह कल्याणकारी कामों पर खर्च नहीं हो पाता है, क्योंकि जो लोग सत्ता में बैठे होते हैं उनका इरादा नेक नहीं होता है.

इस दृष्टिकोण से, भ्रष्ट राजनेताओं के लिए भ्रष्टाचार शब्द गरीबों को बुनियादी ज़रूरतों, सेवाओं और सुविधाओं से वंचित रखने का कोडवर्ड बन जाता है. मदुरै में अपने भाषण के दौरान कमल हासन ने भी खराब शिक्षा व्यवस्था और बेरोजगारी की मूल वजह भ्रष्टाचार को माना.

दिल्ली में जाति नहीं वर्ग की राजनीति कर रही है आम आदमी पार्टी 

जाति से परे राजनीति की रणनीति दिल्ली में तो कारगर रही लेकिन तमिलनाडु में इसकी कामयाबी मुश्किल नजर आती है. दरअसल दिल्ली की राजनीति कास्ट (जाति) नहीं बल्कि क्लास (वर्ग) से निर्धारित होती है. जबकि तमिलनाडु की तस्वीर इसके बिल्कुल उलट है. वहां कई पार्टियों का सामाजिक और राजनीतिक आधार ही अलग-अलग जातिगत समूह हैं.

शायद यही वजह है कि कमल हासन ने राज्य के 32 जिलों में से प्रत्येक में एक गांव को गोद लेने की योजना बनाई है. जैसा कि हासन ने हार्वर्ड में कहा था कि, उन्हें पुनः कल्पना करना होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो, तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों की दुर्दशा नेताओं के घटिया नेतृत्व वाली भ्रष्ट व्यवस्था की वजह से है. ऐसे में तमिलनाडु की जाति आधारित राजनीति में इस तरह की रणनीति की सफलता पर संशय है.

कमल हासन ने एक बात और स्पष्ट कर दी है कि उनका रंग भगवा नहीं है. यानी वह बीजेपी या अन्य दक्षिणपंथी ताकतों से निश्चित दूरी बनाए रखना चाहते हैं. यही वजह है कि हासन ने बीजेपी विरोधी दलों के समर्थन और साथ की मुहिम शुरू कर दी है. आम आदमी पार्टी की तरह ही कमल हसन ने भी उदारवादी राजनीति के सिद्धांतों को चुना है. जिसमें कट्टर हिंदुत्व का विरोध एक अनिवार्य तत्व है. कट्टर हिंदुत्व को चुनौती देने के लिए ही भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाया गया है. आम आदमी पार्टी तो अक्सर कहती रहती है कि, उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता से जंग है.

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लेकिन कमल हासन ने अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता के अलावा जाति के मुद्दे को भी जोड़ दिया है. हासन ने बीजेपी के कट्टर हिंदुत्व और सांप्रदायिकता मानसिकता पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं. हासन ने कहा था कि, 'अतीत में हिंदू और दक्षिणपंथी समूह हिंसा में शामिल नहीं होते थे. वे विरोधियों के साथ बातचीत करने में विश्वास रखते थे. लेकिन अब वे हिंसा का सहारा लेने लगे हैं.' कमल हासन के इस बयान पर खासा बवाल खड़ा हो गया था और कई हिंदुवादी संगठनों ने उनसे माफी की मांग की थी.

धन की जरूरतों को कैसे साधते हैं हासन, देखनेवाली बात होगी 

आप की तरह कमल हसन को भी अपनी पार्टी के विस्तार के लिए स्वयंसेवकों पर भरोसा करना होगा. लेकिन हासन को इस बात का खास ख्याल रखना होगा कि कहीं उनके स्वयंसेवक पैसों के लालच में न आ जाएं. क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो हासन की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में पलीता लग सकता है. हालांकि एक सच यह भी है कि अपनी मुहिम के लिए हासन को यकीनन पैसों की ज़रूरत होगी, ताकि उनके स्वयंसेवक गांव-गांव और शहर-शहर जाकर प्रचार कर सकें. लेकिन हासन के लिए अपने समर्थकों की सेना को धन मुहैया करा पाना संभव नहीं होगा.

शायद यही वजह है कि कमल हासन ने सीधे चुनाव में उतरने के बजाए पहले आंदोलन करने का रास्ता चुना है. दरअसल किसी राजनीतिक स्टार्टअप के लिए चुनावी राजनीति में उतरने से पहले आंदोलन का रास्ता लेना फायदेमंद होता है. ऐसा करने से स्वयंसेवकों से जुड़ने और साफ छवि वाले जमीनी स्तर के नेताओं को साथ लाना आसान हो जाता है. आम आदमी पार्टी ने भी अपनी सियासी पारी का आगाज़ इसी अंदाज में किया था.

आम आदमी पार्टी के नक्शे-कदम पर चलने के बावजूद कमल हासन को स्वयंसेवकों से खास फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा है. हालांकि हासन को लगता है कि वह इस नुकसान की भरपाई अपने फैंस के जरिए कर लेंगे. कमल हासन के फैन क्लब के सदस्यों की संख्या करीब 5 लाख बताई जाती है. फैन क्लब के रूप में हासन के पास किसी हद तक संगठनात्मक कौशल का तजुर्बा है.

हासन ने अपने इस फैन क्लब को पिछले साल एक कल्याणकारी संगठन में तब्दील कर दिया था. लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि क्या कमल हासन और उनके फैंस के पास राजनीति के प्रति आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं जैसा जज़्बा और जूनून है या नहीं.

कमल हासन को अपनी पार्टी के लिए नई प्रतिभाओं को भी आकर्षित करना होगा. क्योंकि तमिलनाडु में नई ऊर्जा को राजनीतिक के क्षेत्र में लाने की बेहद ज़रूरत है. हासन को यह काम बिल्कुल आम आदमी पार्टी के अंदाज़ में करना होगा. कम लोग इस तथ्य से वाकिफ होंगे कि चुनाव में आम आदमी पार्टी की ज़बरदस्त कामयाबी के पीछे कई युवा प्रतिभाओं का हाथ था. भारत और विदेश के बेहतरीन विश्वविद्यालयों के डिग्रीधारी वह युवा पुरुष और महिलाएं आम आदमी पार्टी की रीढ़ साबित हुए थे. उन्होंने ने न सिर्फ पार्टी की आर्थिक तौर पर मदद की थी, बल्कि जबरदस्त प्रचार और रणनीति बनाने में भी अहम भूमिका निभाई थी.

आप से काफी कुछ सीख रही है हासन की नई पार्टी 

ऐसा लगता है कि कमल हासन पहले ही से 'आप' की यह खास रणनीति अपना चुके हैं. उदाहरण के लिए, हासन ने राजनीतिक में भागीदारी को सदगुण करार दिया है. वह लगातार भ्रष्ट और खराब लोगों को राजनीति से बाहर निकालने की जरुरत पर बल दे रहे हैं. हार्वर्ड में कमल हासन ने कहा था कि, बुद्धिजीवी वर्ग की तरह वह भी चुनावी राजनीति का तिरस्कार किया करते थे. लेकिन अब उनके विचार बदल चुके हैं. हासन के मुताबिक, 'चुनावी राजनीति में हिस्सेदारी एक नागरिक का कर्तव्य है और होना चाहिए, लेकिन इस कर्तव्य को हम उपेक्षित करते आए हैं.'

कमल हासन राजनीति के अखाड़े में इस उम्मीद में कूदे हैं कि तमिलनाडु में राजनीतिक शून्यता हैं. हासन को लगता है कि करुणानिधि अब बूढ़े हो चुके हैं और AIADMK का जल्द ही पतन हो जाएगा. लेकिन कमल हासन को यह नहीं भूलना चाहिए कि पुरानी पार्टियां रातों-रात खत्म नहीं होतीं. करुणानिधि के बेटे एम.के. स्टालिन अपनी ताकत को अच्छी तरह से साबित कर सकते हैं. वहीं AIADMK के कैडर के दम पर दिनाकरण पार्टी को आगे ले जा सकते हैं. अनुभवी राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तमिलनाडु में कमल हासन की राह आसान नहीं है.

लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों ने ऐसी भविष्यवाणियां आम आदमी पार्टी के लिए भी की थीं. 2013 के विधानसभा चुनाव के वक्त राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा था कि, बीजेपी और कांग्रेस के आगे आम आदमी पार्टी ठहर ही नहीं पाएगी. उस वक्त लोगों ने आम आदमी पार्टी को ज़्यादा से ज़्यादा 10 सीटें मिलने की संभावना जताई थी. लेकिन जब चुनाव के नतीजे सामने आए तो आम आदमी पार्टी ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था.

लिहाजा तमिलनाडु में राजनीतिक दल कमल हासन और उनकी पार्टी को कम आंकने की ही गलती नहीं करेंगे. 2015 में सत्ता में आने के बाद से आम आदमी पार्टी को राजनीति की जिस परंपरागत मुख्यधारा से लोहा लेना पड़ रहा है, कमल हासन के सामने वह समस्या अभी से पेश आ सकती है. लिहाज़ा कमल हासन को एक सफल राजनीतिज्ञ बनने की तैयारी के दौरान कई मोर्चों पर एक साथ लड़ाई लड़ना पड़ सकती है.