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अफसरशाही और राजनीति की जुगलबंदी का जीता जागता उदाहरण है चारा घोटाला

चारा घोटाला शायद देश का पहला ऐसा घोटाला साबित हो रहा है, जिसमें सबसे ज्यादा की संख्या में अफसरशाही को सजा मिल रही है

Ravishankar Singh

सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के एक मामले में लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है. रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने लालू प्रसाद यादव पर इसके साथ पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. लालू प्रसाद यादव अगर पांच लाख का जुर्माना नहीं देते हैं तो उन्हें छह महीने और जेल में काटनी पड़ सकती है. 900 करोड़ से अधिक के चारा घोटाले में यह 33वां और राजद नेता लालू प्रसाद यादव से संबंधित दूसरा फैसला है.

पिछले साल 23 दिसंबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद यादव सहित 16 लोगों को दोषी करार दिया था. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने चारा घोटाले का फैसला सुनाते हुए कहा, ‘चारा घोटाले के दोषियों को खुले जेल में रखना चाहिए क्योंकि इन लोगों को गाय पालने का अच्छा अनुभव है.’


पिछले शुक्रवार को ही लालू प्रसाद यादव सहित 16 दोषियों की सजा को लेकर बहस पूरी हुई थी. लालू प्रसाद यादव को स्वास्थ्य के आधार पर सजा में छूट देने की उनके वकील की दलील को कोर्ट ने खारिज कर दिया. लालू प्रसाद यादव के वकील ने जज के सामने एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि क्योंकि लालू प्रसाद यादव सीधे इस घोटाले में शामिल नहीं हैं इसलिए उनको कम से कम सजा सुनाई जाए और उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है.

सबसे अधिक अफसरों को सजा मिली है इस घोटाले में

देश के बहुचर्चित चारा घोटाले को लेकर पिछले कई दिनों से तरह-तरह की बातें सामने आ रही थीं. शनिवार को लालू प्रसाद यादव सहित 16 आरोपियों को सजा सुनाए जाने के बाद इन अटकलों पर विराम लग गया है. चारा घोटाला शायद देश का पहला ऐसा घोटाला साबित हो रहा है, जिसमें सबसे ज्यादा की संख्या में अफसरशाही को सजा मिल रही है.

लेकिन, सवाल यह उठता है कि देश के इन राजनेताओं को घोटालों का क,ख,ग,घ सिखाने वाले अधिकारियों पर क्यों नहीं कठोर कार्रवाई की जाती है. बहुतेरे ऐसे अधिकारी हैं, जो इस तरह के घोटालों में शामिल होने के बाद भी बच कर बाहर निकल जाते हैं.

पिछले दिनों ही चारा घोटाले को लेकर झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को नोटिस दिया गया है. कुछ दिन पहले ही इस मामले को राजबाला वर्मा चर्चा में आई हैं. ये वही राजबाला वर्मा हैं, जिनके बारे में सीबीआई ने 15 साल पहले ही विभागीय कार्रवाई के लिए कहा था. अब जब राजबाला वर्मा के सेवामुक्त होने में एक महीने से भी कम का वक्त बचा है तो झारखंड सरकार ने राजबाला वर्मा को चारा घोटाले में नोटिस थमा दिया है. आईएएस अधिकारी राजबाला वर्मा के बारे में कहा जाता है कि एक जमाने में वह लालू प्रसाद यादव की करीबी अधिकारी रही हैं.

राजनेता ही नहीं बड़े-बड़े अफसरों पर भी उठे सवाल

सत्ता के गलियारे में अफसरशाही और राजनेताओं की जुगलबंदी का खेल सालों से खेला जाता रहा है. कहा जाता है कि राजनेताओं को भ्रष्ट बनाने की पहली पाठशाला अफसरशाही के आंगन में ही सिखाया जाता है. ये अफसर ही हैं जो राजनेताओं को तरह-तरह के नुस्खे और घोटालों से बचने का रास्ता भी बताते हैं.

जिस चारा घोटाले को लेकर देश में आज-कल हाय तौबा मचाया जा रहा है, उसमें लालू प्रसाद यादव के साथ एक पूर्व मुख्यमंत्री और कुछ सांसदों के साथ लगभग एक दर्जन आईएएस और पीसीएस अधिकारी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है.

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देवघर ट्रेजरी मामले में कुल 38 लोगों को आरोपी बनाया गया था. सुनवाई के दौरान 11 लोगों की मौत हो गई थी. तीन आरोपी सरकारी गवाह बन गए. दो आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था, जिन्हें साल 10 साल पहले ही दोषी करार दिया गया था.

देवघर कोषागार मामले में 22 आरोपियों पर केस चल रहा था. 23 दिसंबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा सहित 6 लोगों को बरी कर दिया था.

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले से संबंधित सात मुकदमें चल रहे हैं. झारखंड के चाईबासा ट्रेजरी से धन निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को पांच साल की सजा हो चुकी है. चाईबासा ट्रेजरी मामले में लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली हुई है.

शनिवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, पूर्व मंत्री और आरजेडी नेता आर के राणा सहित तीन आईएएस अधिकारी बेक जुलियस, फूलचंद सिंह और महेश प्रसाद शामिल हैं. इसके साथ लगभग आधे दर्जन बिहार लोक सेवा आयोग के अधिकारी शामिल हैं.

गौरतलब है कि देवघर कोषागार से ही पैसे निकालने के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, विद्यासागर निषाद पूर्व मंत्री, पीएसी के पूर्व चेयरमैन ध्रुव भगत, पूर्व आईआरएस अधिकारी एसी चौधरी और चारा सप्लायर सरस्वती चंद्रा और सदानंद सिंह को बरी कर दिया था.

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शनिवार को अगर कोर्ट लालू प्रसाद यादव को 3 साल से कम सजा देती तो उन्हें तुरंत ही प्रोविजिनल बेल मिल जाती. लेकिन, अब लालू प्रसाद यादव को बेल के लिए झारखंड हाईकोर्ट में अपील करनी पड़ेगी.

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लालू प्रसाद यादव अब एक बार फिर से अगले छह साल के लिए चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के एक और मामले में 5 साल की सजा मिल चुकी है. लालू प्रसाद यादव को इसी सजा के चलते लोकसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था. लालू को अगर सीबीआई कोर्ट 3 साल से कम सजा सुनाती तो शायद लालू प्रसाद यादव अगला लोकसभा चुनाव लड़ सकते थे. लेकिन, अब एक बार फिर से लालू प्रसाद यादव सजा पूरी होने की तारीख से अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते.

1996 में सामने आया था मामला

गौरतलब है कि साल 1996 में चारा घोटाला का मामला प्रकाश में आया था. उस समय बिहार के सीएम और वित्त मंत्री लालू प्रसाद यादव पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इस मामले से जुड़ी फाइल को लगभग दो सालों तक दबाए रखा. आखिरकार विपक्ष के दबाव में लालू प्रसाद यादव को यह मामला जांच के लिए सौंपना पड़ा था.

सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में पहली बार साल 1997 में गिरफ्तार किया था. साल 1997 में लालू प्रसाद यादव लगभग साढ़े चार महीने तक जेल में रहे थे. जेल जाने से पहले पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया था, लालू का यह फैसला राजनीतिक गलियारे में काफी चर्चा में रहा था.

अब सवाल यह उठता है कि एक बार फिर से लालू जेल चले गए हैं. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू के जेल जाने से आरजेडी में तेजस्वी यादव की नेतृत्व में नई लीडरशीप उभरेगी. आरजेडी इस दौरान और मजबूत होगी. मगर, इसके बाद तेजस्वी या मीसा भारती भी जेल जाते हैं तो पार्टी का पतन शुरू हो जाएगा. जिसकी संभावना भी बनती दिखाई देने लगी है. शनिवार को ही प्रवर्तन निदेशालय ने लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती के खिलाफ दूसरी चार्जशीट दाखिल कर दी है. तेजस्वी पहले ही होटल लीज मामले में सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं.

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कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आरजेडी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. एक तरफ पार्टी नेताओं के द्वारा कहा जा रहा है कि साल 2019 का चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. लेकिन, खुद तेजस्वी और मीसा भारती पर भी जेल जाने का खतना मंडरा रहा है.

भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं, मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल वह बाद में पाता है. इसको दूसरे अर्थों में कहें तो किसान जो बीज अपने खेत में बोता है, उसे ही फसल के रूप में काटता है. दिन-प्रतिदिन जो कर्म मनुष्यों के द्वारा किए जा रहे हैं, वही मनुष्य को जीवन में ऊंचाईयों की तरफ ले जाते हैं.

लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं की एक लापरवाही ने उनके पूरे राजनीतिक करियर को रसातल में मिला दिया. इसलिए हम कह सकते हैं कि लालू प्रसाद यादव उम्र के इस पड़ाव में अपने कर्मों की सजा ही पा रहे हैं. साथ ही अपने किए कर्म के कारण पूरे परिवार का भी भविष्य अधर में लटका दिया है.