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'शॉटगन' की गोली छलनी बीजेपी को करती है...मजा विपक्ष को आता है

पार्टी आलाकमान की तरफ से दरकिनाकर कर दिए जाने के बाद बीजेपी के शत्रु अब खुलकर अपनी भड़ास निकालते रहते हैं

Amitesh

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए अपने ही परेशानी का सबब बन रहे हैं. बीजेपी सांसद और फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने एक बार फिर बीजेपी आलाकमान को ही निशाने पर ले लिया है.

गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की चुनौती के बीच शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साध दिया है. गुजरात चुनाव मोदी-शाह की जोड़ी के लिए नाक का सवाल बन गया है.


लेकिन, बीजेपी के बड़बोले सांसद ने उनके काम करने के तरीके पर ही सवाल खड़ा कर दिया है.

पीटीआई-भाषा के मुताबिक, शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि बीजेपी के सामने गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव एक 'बड़ी चुनौती' है और इससे तभी पार पाया जा सकता है जब यह 'वन मैन शो' और 'दो-सैनिकों की सेना' की मानसिकता से बाहर आए.

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शत्रुघ्न ने कहा कि बीजेपी का पुराना कार्यकर्ता होने के नाते उनकी भावना हमेशा अपनी पार्टी के साथ है . उन्होंने कहा, ‘मेरे विचार से युवाओं, किसानों और व्यापारियों के बीच असंतोष को देखते हुए हमें गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. हमें दीवार पर लिखी लिखावट को पढ़ना चाहिए और अपने विरोधियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए.’

शत्रुघ्न सिन्हा अपने बयान में बीजेपी को वन मैन शो और दो सैनिकों की सेना बताकर मोदी-शाह को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. आंतरिक लोकतंत्र की बात करने वाली बीजेपी से सवाल कर शत्रुघ्न सिन्हा कह रहे हैं कि पार्टी के भीतर अब सबको साथ लेकर चलने की प्रथा खत्म हो गई है.

लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशंवत सिन्हा और अरुण शौरी जैसे बीजेपी के पुराने नेताओं के हाशिए पर जाने से भी शत्रुघ्न की नाराजगी है. लेकिन, इस नाराजगी से कहीं ज्यादा उनकी परेशानी अपनी पूछ नहीं होने से भी हो रही है.

आडवाणी के करीबी रहे शत्रुघ्न सिन्हा एक वक्त बीजेपी के स्टार प्रचारक हुआ करते थे. लेकिन, आज की तारीख में गुजरात और हिमाचल में प्रचार के बीच उनको कोई पूछ नहीं रहा है. पहले मोदी सरकार बनने के बाद उन्हें कैबिनेट में भी जगह नहीं मिली और अब चुनाव प्रचार से भी दूर कर उन्हें बीजेपी आलाकमान ने किनारे कर दिया है. अब इसे शॉटगन कैसे बर्दाश्त करते. उन्हें बस मौके की तलाश है और वक्त-वक्त पर उनकी नाराजगी और दर्द एक साथ बाहर छलक पड़ता है.

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लेकिन, अपनी नाराजगी के चलते राजनीतिक विरोधियों की भाषा बोलना कहां तक उचित है. राहुल गांधी से लेकर बाकी विरोधी सरकार को रोजगार से लेकर किसानों के हालात पर घेर रहे हैं. जीएसटी के चलते व्यापारियों को हो रही परेशानी पर भी राहुल के निशाने पर बीजेपी है. लेकिन, नोटबंदी और जीएसटी को लेकर बीजेपी अपनी सरकार का ढिंढोरा पीट रही है. ऐसे वक्त में गुजरात चुनाव के दौरान किसानों, युवाओं और व्यापारियों को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल खड़ा करना मोदी-शाह को रास नहीं आ रहा होगा.

दरअसल, बीजेपी के शॉटगन पिछले कई सालों से अपने गन के निशाने पर बीजेपी नेताओं को ही ले रहे हैं. पार्टी आलाकमान की तरफ से दरकिनाकर कर दिए जाने के बाद बीजेपी के शत्रु अब खुलकर अपनी भड़ास निकालते रहते हैं. बस उन्हें तो बहाना भर चाहिए, उनकी तरफ से वो हर बात कह दी जाती है जो सीधे पार्टी आलाकमान की आंखों में चुभने लगती है.

पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र की दुहाई देने वाली पार्टी को बिहारी बाबू की बातें पार्टी को रह-रह कर परेशान करती रही हैं. बीजेपी के लिए अब इस  नेता की कोई जरूरत भी नहीं रही, तभी तो पार्टी के भीतर इस तरह किनारे कर दिए गए हैं.

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लेकिन, पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही शत्रुघ्न सिन्हा किसी ना किसी तरह से वो सारी बातें कह जाते हैं जो मोदी विरोधियों को ही रास आती हैं. यह विरोधी दूसरी पार्टी के भी हैं और कुछ अपने भी हैं जो पार्टी के भीतर रहकर भी मोदी सरकार पर लगातार हमले करते रहे हैं.

अभी हाल में बीजेपी नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिंहा की तरफ से अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर की जा रही टिप्पणी को लेकर भी खूब सियासत हुई. बैकफुट पर आई मोदी सरकार और बीजेपी के लिए अपने ही नेता के तेवर ने परेशान कर दिया था. अब शत्रुघ्न सिन्हा के वार ने फिर से विरोधियों को बीजेपी पर हमला करने का एक जरिया दे दिया है. लेकिन, ऐसा कर शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी से ज्यादा अपना नुकसान ज्यादा कर रहे हैं.