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राजस्थान: पीएम मोदी वो करेंगे जो सोनिया ने 4 साल पहले किया था

जनवरी में पीएम मोदी 2 बार राजस्थान का दौरा करेंगे, 14 जनवरी को रिफाइनरी का शिलान्यास और 22 जनवरी को झुंझुनूं में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत एक कार्यक्रम है

Mahendra Saini

2014 से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस लगातार ये आरोप लगाती रही है कि वे पिछली सरकारों की पुरानी योजनाओं को ही नए नाम देकर वाहवाही लूट रहे हैं. इनके कुछ उदाहरण भी सामने रखे जाते हैं मसलन, जवाहर लाल नेहरू के नाम से शहरी विकास की योजना को अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से AMRUT योजना और राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को बदल कर दीनदयाल उपाध्याय के नाम से ग्राम ज्योति योजना करना.

अब नरेंद्र मोदी 2018 के पहले महीने में राजस्थान आ रहे हैं. यहां भी आरोप लग रहा है कि मोदी उस काम में अपने नाम का शिलान्यास पत्थर लगवाएंगे, जिसे सोनिया गांधी 4 साल पहले ही अंजाम दे चुकी हैं. 14 जनवरी को बाड़मेर में प्रधानमंत्री नई रिफाइनरी का शिलान्यास करेंगे. इस रिफाइनरी का भूमि पूजन बड़े-बड़े सपने दिखाते हुए 2013 में कांग्रेस की गहलोत सरकार ने करवाया था.


ऐन चुनाव से पहले हुए इस भूमि पूजन के समय बताया गया था कि 4 साल के अंदर ये बनकर तैयार हो जाएगी. हजारों लोगों को इससे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. रिफाइनरी ही नहीं, यहां पेट्रोकेमिकल कॉम्पलेक्स विकसित किया जाएगा जो असंख्य अन्य व्यवसायों को प्रोत्साहित करेगी. यानी कुल मिलाकर ये रिफाइनरी पश्चिमी राजस्थान के इस रेगिस्तानी इलाके में बहार लेकर आएगी.

लेकिन हालात ये हैं कि 4 साल बाद हम 2 दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत भी नहीं कह सकते क्योंकि रिफाइनरी की जमीन पर शिलान्यास पत्थर से आगे एक ईंट भी नहीं लगी. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आरोप है कि वसुंधरा सरकार ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को जबरन दबाए रखा. अब ऐन चुनाव के पहले फायदा उठाने के लिए इसे फिर से पिटारे से निकाल दिया गया है.

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अशोक गहलोत ने सरकार से वो कारण पूछे हैं जिनके तहत रिफायनरी को लटकाया गया. बहुत से जानकार इसके पीछे बड़े घोटाले की आशंका से इनकार नहीं करते हैं. कुछ का तो यहां तक कहना है कि निजी रिफायनरियों को फायदा पहुंचाने के लिए ही बीजेपी सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया.

रिफाइनरी पर अनरिफाइंड जुमलेबाजी

2013 में राजस्थान सरकार ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम की साझेदारी में एक संयुक्त कंपनी बनाई थी. तब रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्पलेक्स की कुल लागत 37,320 करोड़ रुपए होनी थी. 90 लाख मीट्रिक टन सालाना क्षमता वाली इस रिफायनरी में राजस्थान सरकार की हिस्सेदारी 26% होती. रिफाइनरी के बदले राजस्थान सरकार ने 15 साल तक सालाना 3,736 करोड़ रुपए का ब्याजमुक्त ऋण, लीलाणा में 3,500 एकड़ जमीन और इंदिरा गांधी नहर से 28 MGD पानी की निर्बाध आपूर्ति करने पर सहमति दी थी.

तब यही कहा गया था कि 2017 में (जब ये तैयार होनी थी) पश्चिमी राजस्थान न्यू दुबई बन जाएगा. न लोगों को पलायन करना पड़ेगा और न ही बाजरे-मूंग की खेती पर जीवनयापन. लेकिन ये भी ठीक उसी तरह कांग्रेस का जुमला साबित हुआ, जिस तरह 15 लाख रुपए खातों में आने का बीजेपी का दावा.

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दिसंबर, 2013 में सत्तारुढ़ हुई वसुंधरा सरकार ने इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ने दिया. कांग्रेस पर आरोप लगाया गया कि उसने चुनावी लाभ के लिए ऐसा घाटे का सौदा किया है, जो लंबे समय में राज्य की अर्थव्यवस्था को गर्त में धकेल देगा. 4 साल तक इसपर बयानबाजी होती रही. अब चुनाव से पहले 2017 की गर्मियों में रिफाइनरी की चर्चाओं ने ठीक उसी तरह जोर पकड़ा जैसे 2013 में.

खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दावा किया कि एचपीसीएल से फिर से हुए समझौते के बाद हमने जनता के हजारों करोड़ रुपए बचा लिए हैं. राजे ने कई मंचों पर बताया कि अब 15 वर्ष तक सालाना 3,736 करोड़ रुपए के बजाय महज 1,123 करोड़ रुपए ब्याजमुक्त ऋण देने का MoU किया गया है. इस तरह 56,040 करोड़ रुपए के बजाय 16,845 करोड़ रुपए ही देने पड़ेंगे. इसके अलावा, राज्य पर कुल वित्तीय भार भी अब घटकर 20 हजार करोड़ से कुछ ही ऊपर रहने का दावा किया जा रहा है.

इतनी आंकड़ेबाजी के बाद ये समझना मुश्किल हो जाता है कि कांग्रेस और बीजेपी में से किसका सच 'जुमला' नहीं है. बहरहाल, मुद्दा ये है कि प्रधानमंत्री मोदी एकबार फिर वही काम करेंगे जो सोनिया गांधी पहले ही कर चुकी हैं. कांग्रेस भी मोदी के दौरे को मुद्दा बनाने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है. इसकी भी कई वजह हैं.

मोदी का दौरा: सवाल और भी हैं

जनवरी, 2018 में एक हफ्ते के अंदर मोदी 2 बार राजस्थान का दौरा करेंगे. 14 जनवरी को रिफाइनरी का शिलान्यास और 22 जनवरी को झुंझुनूं में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत एक कार्यक्रम है. दरअसल, 29 जनवरी को राज्य में अजमेर और अलवर लोकसभा सीट के साथ ही मांडलगढ़ विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होना है.

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इस उपचुनाव को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. हालांकि इसी महीने बीजेपी को हिमाचल और गुजरात में जीत मिली है. लेकिन गुजरात में 'राहुलोदय' ने सत्तारूढ़ पार्टी की नींद उड़ा दी है. फिर राजस्थान में वैसे ही माहौल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ बनता नजर आ रहा है. फ़र्स्टपोस्ट के एक लेख में पर हमने आपको बताया था कि कैसे सोशल मीडिया पर एक नारा वायरल हो चुका है- 'मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं.'

गुजरात की तरह राजस्थान बीजेपी भी अपनी सरकार के कामकाज से ज्यादा मोदी मैजिक पर ही निर्भर रहने को मजबूर है. यही वजह है कि 29 जनवरी के उपचुनाव से ऐन पहले 7 दिन में मोदी के 2 कार्यक्रम रखे गए हैं. हालांकि ये चुनाव वाले जिलों में नहीं हैं. लेकिन मोदी 'अटेंशन हाईजैकर' तो हैं ही. फिर कार्यक्रम भी सरकारी हैं. लिहाजा कांग्रेस ने इसे आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन बता दिया है.

प्रदेश महासचिव सुशील शर्मा और मुमताज मसीह ने शनिवार को राज्य निर्वाचन अधिकारी अश्विनी भगत को प्रधानमंत्री की यात्रा के खिलाफ ज्ञापन सौंपा है. हालांकि बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने इसे कांग्रेस की खीज ही बताया है. परनामी का कहना है कि हार तय देखकर कांग्रेस पहले ही बहाने तलाशने लगी है.

कांग्रेस को इल्म है कि गुजरात में सिर्फ मोदी ने कैसे बीजेपी की हार को जीत में तब्दील कर दिया था. इसीलिए पार्टी राजस्थान में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती है. ये कोशिश हो रही है कि उपचुनाव से पहले कैसे भी करके मोदी को राज्य से दूर रखा जाए. आखिर इन उपचुनावों में जीत से कांग्रेस आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने पक्ष में हवा बना सकती है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)