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अखिलेश के बाद समाजवादी पार्टी में नंबर-2 की नेता हैं डिंपल यादव?

वे रिश्तों को बहुत अहमियत देती हैं और यही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी है

Swati Arjun

अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए जब पार्टी का घोषणापत्र जारी किया तो उनके साथ पत्नी डिंपल यादव भी मौजूद थीं. डिंपल का अखिलेश के साथ इस मौके पर साथ नजर आना सामान्य बात हो सकती थी. लेकिन लाल टोपी के साथ पार्टी का घोषणापत्र जारी करना कई इशारे करता है. दरअसल मंच पर मुलायम-शिवपाल की गैरमौजूदगी डिंपल को खास बना जाती है.

सपा-कांग्रेस गठबंधन की भीतर की कहानी भी डिंपल के ईर्द-गिर्द घूम रही है. अंदरूनी गलियारे की खबर कह रही है कि गठबंधन में बिगड़ती बात को भी डिंपल ने संभाला है. नाजुक मोड़ पर प्रियंका की पहल और डिंपल यादव की मध्यस्थता से 105 सीटों पर सहमति बन सकी.


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रैली के दौरान मंच पर अखिलेश के साथ डिंपल

इस बीच ये भी खबर आती रही कि बीजेपी की मोदी लहर को काटने के लिए डिंपल यादव और प्रियंका गांधी साथ मिलकर प्रचार कर सकती हैं. यूपी के बदलते राजनैतिक और पारिवारिक समीकरणों के बीच हुआ ये विस्तार ये बताने के लिए काफी है कि डिंपल यादव अब राजनीती में भी एक महत्वपूर्ण पारी खेलने को तैयार हैं.

फेवी-क्विवक प्वाइंट

यादव परिवार को नज़दीक से जानने वाले लोगों के मुताबिक डिंपल यादव परिवार की ‘फेवी-क्विक’ प्वाइंट हैं. शुरुआती ना-नुकुर के बाद डिंपल और अखिलेश के प्रेमविवाह को पूरे परिवार ने खुले दिल से स्वीकार किया था. खुद मुलायम सिंह के साथ भी डिंपल यादव के संबंध काफी सुलझे हुए हैं.

2009 के उपचुनाव में डिंपल फिरोजाबाद से राज बब्बर के खिलाफ चुनाव हार गई थीं. इसके बाद अखिलेश ने डिंपल के लिए अपनी कन्नौज सीट छोड़ दी थी. कन्नौज से डिंपल निर्विरोध निर्वाचित हुई थीं.

डिंपल की पारंपरिक-आधुनिक शख्सियत उनकी ब्रैंड वैल्यू को बढ़ाता है. उनकी सादगी राज्य के पारंपरिक मतदाता को बांधती भी है.

डिंपल को यादव परिवार का फेविक्वक प्वाइंट भी कहा जाता है

मुलायम सिंह यादव के बहनोई अजंट सिंह डिंपल के बारे में कहते हैं-  ‘वो बहुत अच्छी और सीधी-सादी महिला हैं. जब से घर में आईं हैं सभी के साथ तालमेल बिठा कर चलती आई हैं. सबकी इज्जत करती हैं और पूरा ख्याल रखती हैं. वो हमेशा परिवार में सभी को साथ लेकर चली हैं.’

यादव परिवार में वुमन एंपॉवरमेंट

राजनैतिक विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी कहते हैं, ‘डिंपल की छवि परिवार में एक सुंदर, सुशील बहू की तो है ही.. वो एक ऐसी प्रोग्रेसिव महिला सदस्य बनकर उभरी हैं जिनसे परिवार का युवा पीढ़ी रिलेट कर पाता है. वे एक तरह से पूरे यादव परिवार में वुमन एंपॉवरमेंट का प्रतिनिधित्व करती हैं.'

वे कहते हैं, 'अखिलेश को उनसे नैतिक बल मिलता है जिसकी उन्हें जरुरत है. डिंपल की मौजूदगी अखिलेश के भीतर एक किस्म की स्थिरता और विनम्रता लेकर आई है और दोनों पति-पत्नी की केमिस्ट्री खुलकर सामने आती है.'

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ऐसा नहीं है कि यादव परिवार से राजनीति में कदम रखने वाली डिंपल पहली महिला हैं. उनसे पहले शिवपाल यादव की पत्नी सरला यादव, रामगोपाल यादव की पत्नी फूलन देवी यादव, मुलायम के छोटे भाई राजपाल की पत्नी प्रेमलता यादव, धर्मेंद्र यादव की पत्नी नीलम यादव, मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता और बहन शीला यादव के अलावा दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं. लेकिन उन्हें कभी भी सरकारी कामकाज या पार्टी की गतिविधियों में देखा नहीं जाता.

अखिलेश यादव के फूफा जी अजंट यादव और भाई अभिषेक यादव

डिंपल इन सब से आगे निकल गईं हैं और इसकी बड़ी वजह खुद अखिलेश हैं. डिंपल ने अखिलेश के जीवन में जैसा बदलाव लाया वैसा ही वो उनकी राजनीति में ला रही हैं. अखिलेश इस बात को बेहतर समझते हैं.

परिवार में बेहद लोकप्रिय

अखिलेश के चचेरे भाई और डिंपल के रिश्ते में देवर अभिषेक यादव अपनी भाभी के बारे में बात करते हुए कहते हैं, ‘हम तो उन्हें बचपन से देख रहे हैं, वो हमेशा से ऐसी ही रहीं हैं. हमलोगों के साथ शुरू से उनका दोस्ताना रिश्ता रहा है जो आज तक जारी है. वे हमेशा परिवार में बड़ों को सम्मान और छोटों को प्यार देती रहीं हैं. हमें बचपन से लेकर आजतक ये महसूस नहीं हुआ कि वे दूसरी जाति से आई हैं.’

अखिलेश और डिंपल की केमिस्ट्री की बात सुनकर ही अभिषेक की आवाज की खनक बढ़ जाती है. वो हंसते हुए कहते हैं, ‘दोनों की केमिस्ट्री की बात वही दोनों जानें लेकिन हमारे लिए दोनों बिल्कुल नहीं बदले हैं. दोनों एक-दूसरे पर और हम उन दोनों पर गर्व करते हैं.’

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पार्टी में चल रहे तनाव पर अभिषेक कहते हैं, ‘सब कुछ पहले जैसा है. हम साथ उठते-बैठते-खाते-पीते हैं. टीना-अर्जुन जैसे पहले अपने दादू के साथ समय बिताते थे वैसा ही अब भी बिताते हैं और दादू भी उनसे उतना ही प्यार करते हैं. जो थोड़ी-बहुत दिक्कतें हैं वो भी जल्द खत्म हो जाएगी.’

डिंपल पूरे यादव परिवार में बेहद लोकप्रिय हैं

डिंपल की बढ़ती राजनीतिक भूमिका पर अभिषेक ने कहा, ‘ये तो अच्छी बात है, ग्रोथ तो होनी ही चाहिए. जब किसी व्यक्ति को कोई जिम्मेदारी दी जाती है तो उसके अनुसार खुद को बदलेगा ही. सीएम की पत्नी होने के नाते भी वे लोगों की काफी मदद कर सकती हैं. वो जितना सक्रिय होंगी, भइया की उतनी ही मदद होगी, भइया का लोड कम होगा तो थोड़ा रिलैक्स ही होंगे.’

ये पूछे जाने पर कि क्या हम इन चुनावों में डिंपल को प्रियंका गांधी के साथ चुनाव प्रचार करते हुए देखेंगे- इसके जवाब में अभिषेक ने हंसते हुए कहा- आप लोगों को कुछ दिन में खुद पता चल जाएगा.

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अभिषेक यादव मैनपुरी के करहल से चुनाव मैदान में उतर रहे हैं. जब मैंने उनसे पूछा कि-  चुनाव प्रचार के दौरान वे अखिलेश यादव को स्टार प्रचारक के तौर पर चाहेंगे या डिंपल को उन्होंने हंसते हुए कहा- ‘दोनों को...भाभी को जरूर ही और नेताजी को भी,  मैं भाभी को घर-बाहर-परिवार और राजनीति में उनकी भूमिका के लिए दस में से दस अंक देता हूं.’

बैकडोर मैनेजमेंट

ताजा हालातों में अखिलेश ने परिवार के भीतर एक लड़ाई लड़ी है. इसमें कहीं न कहीं डिंपल का अहम रोल है. जैसा कि मुलायम परिवार के करीबी कमाल फार्रुख़ी कहते है, ‘डिंपल खुद भी एक बैकडोर चैनल के माध्यम से परिवार के बीच चीजों को संभाल रहीं थी वो उनके लिए एक बड़ी कामयाबी हैं. वे रिश्तों को बहुत अहमियत देती हैं और यही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी है.’

डिंपल के व्यक्तित्व से हर कोई प्रभावित है

हर्षवर्धन आगे कहते हैं, ‘शिवपाल जब अखिलेश पर गैर-यादवों के नजदीक जाने का आरोप लगाते हैं तो उसमें रामगोपाल के अलावा अखिलेश के नजदीकी अभिषेक मिश्रा, उदयवीर सिंह, संजय लाठर, सुनील साजन के अलावा डिंपल भी हैं जो मूलत: एक रावत हैं और अखिलेश के दोस्तों के साथ उनकी बहुत ही अच्छी ट्यूनिंग है. ये असल में एक तरह से यादव परिवार में नॉन यादवों की सेंध है.’

शांत और सशक्त

जानकारों की माने तो डिंपल सोबर होने के साथ-साथ स्ट्रांग भी हैं, वो चुनौतियों को भली-भांति समझती हैं.  2013 में फिक्की के कार्यक्रम में दिया गया उनका भाषण हो या 2014 में संसद में महिलाओं के मुद्दे पर दिया गया स्पीच, डिंपल ने अपने सधे हुए अंदाज से हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा है.

डिंपल ऊपर से शांत हैं पर अंदर से सशक्त

अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही डिंपल उनके सोशल मीडिया पेज को हैंडल करती हैं. राज्य में महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों और योजनाओं में पूरी भागीदारी रखती हैं. ये सिर्फ इत्तेफाक नहीं है कि पिछले महीने 24 दिसंबर को जब सोशल मीडिया में अखिलेश और मुलायम के बीच झगड़े का वीडियो सामने आया तो उसके तुरंत बाद 7 तारीख को डिंपल के फेसबुक हैंडल से- ‘अपने तो अपने होते हैं वीडियो रिलीज़ किया गया’, इस वीडियो में अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के बीच के भावुक पलों को एक-साथ दिखाया गया है.’

बकौल कमाल फार्रुख़ी, ‘डिंपल की पर्सनैलिटी ऐसी है कि उनसे मिलने के बाद पहली ही बार में आप सहज फील करते हैं, उनसे बात करके कभी नहीं लगा कि वो मुख्यमंत्री की पत्नी हैं. यादव परिवार में उनकी एक प्लीसेंट एंट्री रही है.’

डिंपल हर महत्वपूर्ण मेहमानों से जरूर मिलती हैं

डिंपल यादव के स्वभाव के बारे में कहा जाता है कि बहुत मुखर न होते हुए भी वो इस बात को लेकर काफी सजग हैं कि अपर्णा यादव या साधना गुप्ता के साथ एक मंच शेयर नहीं करेंगी? इक्का-दुक्का पारिवारिक कार्यक्रमों के अलावा उन्हें कभी इन दोनों के साथ नहीं देखा गया. इसे इस तरह से देखा जाता है कि उनकी पसंद और नापसंद बहुत ही पुख़्ता है.

फार्रुख़ी लगभग भविष्यवाणी करने वाले अंदाज़ में कहते हैं, डिंपल भविष्य में एक अच्छी लीडर साबित होंगी और उनका परिवार सूबे का एक प्रमुख राजनैतिक परिवार होगा इसमें कहीं से कोई संदेह नहीं है.