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Kumbh Mela 2019: संतों के विवाद के बीच स्वागत के लिए तैयार है हाई लेवल इंफ्रास्ट्रक्चर वाला कुंभ मेला

कुंभ में मौजूद लोगों की बड़ी संख्या और उनके लिए तैयार किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर है

Yatish Yadav

इस साल भी कुंभ मनाने के लिए अलग-अलग मत और तमाम धार्मिक संगठनों के साधु, संत और योगी इकट्ठा हुए हैं. हालांकि, ऐसा लगता है कि साधु-संतों के मामले में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. दरअसल, साधुओं के एक विशेष मत से जुड़े प्रमुख संगठन जूना अखाड़ा ने अनैतिक गतिविधियों के आरोपी साधुओं के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है. इस सिलसिले में जूना अखाड़ा की तरह की गई कार्रवाई के तहत इस तरह की गतिविधियों के आरोप में कम से कम पांच महंतों को उनके पद से हटाया गया. हालांकि, इनमें से चार साधुओं ने अपनी गलतियों के लिए लिखित रूप से माफी मांगी है और इसके बाद अब साधुओं की उच्चस्तरीय समिति इन महंतों की किस्मत को लेकर फैसला करेगी.

आपराधिक आरोप वाले साधुओं को जमीन आवंटित नहीं, कई साधुओं पर कार्रवाई


दूसरी तरफ, कुंभ प्रशासन ने किसी भी तरह के विवाद से दूर रहने के मकसद से एक अहम फैसले के तहत वैसे साधुओं को जमीन आवंटित नहीं करने का फैसला किया है, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. अखाड़ों में समय और जगह का मामला अप्रासंगिक है, लेकिन सरकार और कुंभ मेले के आयोजन से जुड़े प्रशासन की तरफ से इस तरह के बदलाव वास्तविक रूप से अमल में लाए जा रहे हैं.

जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत विद्यानंद सरस्वती ने बताया कि गोल्डेन बाबा नाम से मशहूर एक साधु के खिलाफ हत्या और अपहरण समेत कुल 32 आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं और उन्हें अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया चुका है. उनका यह भी कहना था कि हालांकि राजनीति के कारण कभी-कभी अखाड़े के लिए अवांछित तत्वों से निपटना मुश्किल हो जाता है और उन्हें कई अन्य सूत्रों व माध्यमों से समर्थन मिलने लगता है.

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महंत सरस्वती ने बताया, 'उन्हें अखाड़ा से हटाया जा चुका है और कमेटी अगर बाकी साधुओं के जवाब से पूरी तरह संतुष्ट होती है, तो उन्हें अखाड़े में वापस शामिल कर लिया जाएगा. हालांकि, राजनीति के कारण कभी-कभी हमारी भूमिका कमजोर पड़ जाती है. यहां तक कि जब हम इस तरह के कथित संतों के खिलाफ कार्रवाई भी करते हैं तो आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे इस तरह के संत सरकारी मशीनरी से समर्थन हासिल करने में सफल हो जाते हैं. जाहिर तौर पर इस तरह का संरक्षण का पूरी तरह से गलत है और इस तरह की गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए.'

उज्जैन के बाबा रामपुरी का कहना था कि कुंभ ऐसी जगह है, जहां श्रद्धालु भगवान का मनन करते हैं और यहां का अनुभव ज्यादा गहरा और व्यापक होता है. लिहाजा, संतों को विशेष तौर पर इस जगह पर खुद को वैसी गतिविधियों से पूरी तरह दूर रखना चाहिए, जिसे किसी तरह की आक्रामकता माना जा सकता है. उन्होंने कहा कि कुंभ का मकसद पूरी दुनिया में भारतीय आध्यात्मिकता की सुगंध को फैलाना है और अपने देश के इन मूल्यों से किसी भी तरह की स्थिति में समझौता नहीं किया जाना चाहिए.

सिर से पांव तक पूरे शरीर में राख लगाए नागा बाबा गिरि का दर्शन भी दिलचस्प अनुभव है. अपने भक्तों को चिलम बढ़ाते हुए बाबा ने बताया कि कुंभ एक रहस्य है और इसे सिर्फ वैसे लोग ही समझ सकते हैं, जो प्राचीन धर्मग्रंथों और आध्यात्मिक गुरुओं की दीक्षा के बारे में ठीक-ठीक जानते और इसे मानते हैं.

बाबा गिरि ने बताया, 'हमारे पुराने धर्मग्रंथ बेहद उपयोगी और व्यावहारिक मूल्यों वाले हैं. कुंभ ऐसा अवसर है, जो हमें आध्यात्मिक आनंद की अहमियत के बारे में बताता है.' दिलचस्प बात यह है कि जूना अखाड़ा ने महिला साधुओं के लिए भी टेंट बनाया है, जो कुंभ में यहां दो महीने तक निवास करेंगी. इसी तरह का पहला टेंट स्थापित करने वाली उमा गिरि ने बताया कि 'संत समाज' तमाम तरह के इंतजामों से खुश है, लेकिन प्रशासन को हमारी चिंताओं और परेशानियों को दूर करने के मामले में और ज्यादा सक्रिय होना चाहिए. फिलहाल 'संन्यासिनी जून अखाड़ा' को खुद के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का इंतजाम करने की खातिर ही संघर्ष करना पड़ रहा है. इस अखाड़े के कैंप में 500 से भी महिला संतों के पहुंचने की संभावना है.

प्रतीकात्मक फोटो (पीटीआई)

प्रवासी भारतीयों और विदेशी सैलानियों के लिए 500 प्रीमियम टेंट

अखाड़ों के लिए मौजूद इन ठिकानों से महज एक किलोमीटर की दूरी पर सरकार कुंभ के इतिहास पहली बार प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) और विदेशी लोगों के लिए 500 प्रीमियम टेंट तैयार कर रही है. इन इलाकों में शिल्प वाले गांव और वैदिक काल की परंपराएं भी देखने को मिलेंगी और इस तरह का सिलसिला अगले 55 दिनों तक चलता रहेगा.

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इसी तरह के एक टेंट- इंद्रप्रस्थम टेंट सिटी को तैयार कर रहे सत्येंद्र नामक शख्स ने बताया कि इसका मकसद विदेशी श्रद्धालुओं को एक निश्चित काल अवधि की परिस्थितियों से रूबरू कराना और उन्हें भारत की समृद्ध वैदिक विरासत का अनुभव प्रदान करना है. उन्होंने बताया कि टेंट सिटी में कई तरह की वैदिक परंपराओं का समागम देखने को मिलेगा. इसके तहत भक्ति संगीत उत्सव और वैदिक सेमिनार का भी आयोजन किया जाएगा.

अगले महीने यानी फरवरी में 192 देशों के प्रतिनिधि कुंभ मेला में पहुंचेंगे. मेले में प्राचीन ग्रंथों पर आधारित 30 थीम गेट (द्वार) होंगे. इसके अलावा, कुंभ मेले में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए 200 सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे. विविधता की भारतीय संस्कृति पर आधारित नदी के किनारे 'आर्ट विलेज' का नजारा भी प्रयागराज में आयोजित इस मेले के आकर्षण का प्रमुख केंद्र होगा.

कुंभ 2019 के लिए 4,300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए

राज्य सरकार प्रयागराज में पहले ही 671 योजनाओं को पूरी कर चुकी है. कुंभ 2019 के लिए सरकार की तरफ से 4,300 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जबकि 2013 में इस मेले और इससे जुड़े आयोजन के लिए महज 1,214 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे.

इस अवसर को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की तरफ से सड़क निर्माण से जुड़ी 264 परियोजनाओं को अंजाम दिया गया. साथ ही, पूरे इंतजाम और उसकी देखरेख में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए थर्ड पार्टी निगरानी तंत्र भी विकसित किया गया है.

कुंभ मेले के डिप्टी डायरेक्टर, सूचना डॉ. संजय राय ने बताया कि कुंभ में मौजूद लोगों की बड़ी संख्या और उनके लिए तैयार किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर है. उनका कहना था कि ऐसा शहर तैयार करना नामुमिकन जैसा है, जहां 22 अस्थायी पुल हों, 300 किलोमीटर की सड़कें और 84 पार्किंग एरिया हो.

डॉ. राय का कहना था, 'इसके अलावा, हमारे पास कुंभ शहर में 40,700 एलईडी लाइट और श्रद्धालुओं को लाने और पहुंचाने के लिए 500 बसें भी मौजूद हैं. हमने 20,000 बिस्तरों की क्षमता वाला सार्वजनिक आवास भी तैयार किया है. मेले में नियंत्रण और अन्य तरह के केंद्र भी बनाए गए हैं, जिसकी लागत कम से कम 247 करोड़ रुपए होगी. साल 2013 के कुंभमें सिर्फ 34,000 शौचालय थे, जबकि इस साल यहां पर 1.22 लाख शौचालय, 20,000 कचरे का डिब्बा और 15,000 सफाईकर्मी हैं.'

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कुंभ में पानी और नाला प्रबंधन प्रणाली के नोडर अधिकारी अमित कटियार ने बताया कि सरकार 800 किलोमीटर पानी की पाइपलाइन की मदद से पहले ही 5,000 स्टैंड पोस्ट स्थापित कर चुकी है, जिन्हें 200 वॉटर एटीएम से भी जोड़ा जाएगा. उनका कहना था कि जलनिकासी और नालियों की उचित व्यवस्था के लिए विशेष रूप से तैयार की गई टीम ने 850 किलोमीटर लंबा नाला बनाया है और शहर के बाहर मौजूद दो प्लांट में कचरे की रीसाइक्लिंग की जाएगी.

(पीटीआई फोटो)

इलाज के लिए भी चाक-चौबंद इंतजाम

कुंभ मेले में 32 से भी ज्यादा अस्पताल संतों और श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों व अन्य जरूरतों को पूरा करेंगे. इसमें 100 बेड वाला एक अस्पताल प्रमुख है. इसके अलावा, हवाई और नौका वाले एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गई है. 100 बेड वाला अस्पताल पहले ही चालू हो चुका है और अब तक पर्यटकों समेत 10,000 से भी ज्यादा मरीजों का यहां इलाज हो चुका है. शाही स्नान से ठीक पहले कुंभ में दो दर्जन दांत के डॉक्टर्स समेत 2,000 से भी ज्यादा डॉक्टर मौजूद होंगे. भगदड़, डूबने और आग जैसी स्थितियों से निपटने के लिए डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित किया जा रहा है.

कुंभ में मौजूद 100 बेड वाले सेंट्रल अस्पताल के चीफ मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. एस. पी. सिंह ने बताया कि अलग-अलग मेडिकल टीम मरीजों के लिए आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक इलाज भी उपलब्ध कराएगी.

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डॉ. सिंह का कहना था, 'कुंभ में पैथोलॉजी लैब भी स्थापित किया गया है, ताकि मरीजों को मेडिकल जांच के लिए शहर के प्राइवेट लैब में जाने के लिए परेशानी नहीं उठानी पड़े. हमने सेंट्रल अस्पताल में इंटेंसिव केयर यूनिट स्थापित किया है.'