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रईस और काबिल ने बढ़ाई शाहरुख़ ख़ान और ऋतिक रोशन में खाई

फिल्म इंडस्ड्री पहले ही बंटी हुई है. ऐसे में रिलीज को लेकर विवाद हालात को और खराब कर रहे हैं

Karishma Upadhyay

शाहरुख़ ख़ान की ‘रईस’ और ऋतिक रोशन की ‘काबिल’ एक ही दिन सिनेमाघरों में पहुंचीं. एक ही हफ्ते में दो फिल्मों का रिलीज होना दर्शकों के लिए तो बढ़िया हो सकता है क्योंकि उनके पास अलग-अलग फिल्में देखने का मौका है. लेकिन फिल्म के प्रोड्यूसर, डिस्ट्रीब्यूटर्स और एग्जीबिजटर्स के लिए यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं हो सकती. एक ही दिन बॉक्स ऑफिस पर उतरी फिल्में एक दूसरे की कमाई पर डाका डाल सकती हैं.

'रईस' को फ़रहान अख्तर और रितेश सिधवानी की एक्सेल एंटरेटमेंट और शाहरुख़ ख़ान की रेड चिलीज ने बनाया है. रिलीज डेट को लेकर फिल्म के निर्माताओं का कहना है कि उनके पास कोई चारा नहीं था. मूल रूप से इस फिल्म को पिछले साल जून में ईद पर रिलीज करने की योजना थी लेकिन तब तक फिल्म तैयार नहीं हो सकी इसलिए इसकी रिलीज को टालना पड़ा.


शाहरुख़ ख़ान ने डीएनए के साथ बातचीत में कहा 'लेकिन यार कोई और डेट थी ही नहीं. मैंने आगे पीछे करने की पूरी कोशिश की. पहले फिल्म को जून में ईद पर रिलीज होना था, फिर मैंने इसे सितंबर-अक्टूबर में लाने की सोची, लेकिन उस वक्त ‘ए दिल..’ और ‘शिवाय’ आ रही थीं. फिर मैंने 9 दिसंबर को इसे रिलीज करने की कोशिश की, लेकिन ‘बेफिक्रे’ आ रही थी. इस बीच, मेरे पास ‘डियर जिंदगी’ भी थी. इसलिए देरी और मेरी चोट के कारण बदकिस्मती से फिल्म को हमें अब रिलीज करना पड़ा. वैसे भी अगर हम इसे ईद पर रिलीज करते तो यह ‘सुल्तान’ के साथ टकराती.'

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जाहिर है, ‘काबिल’ की टीम बॉक्स ऑफिस पर हुई इस भिडंत से कतई खुश नहीं है. फिल्म के निर्माता राकेश रोशन ने अपनी नाराजगी खुल कर जाहिर की है. उन्होंने कहा, 'देखिए, किसी तारीख का मैं तो मालिक नहीं हूं. लोगों को जो अच्छा लगता है वे करते हैं. लेकिन इस बात को उल्टा करके देखें तो मैं उनके साथ कभी ऐसा नहीं करूंगा. इस तरह की चीजें करना बहुत गलत है. मुझे बहुत ठेस लगी है. मेरी फिल्म अगस्त में तैयार थी. मैं इसे पहले रिलीज कर सकता था'.

रोशन ने कहा, 'मैंने 26 जनवरी की तारीख इसलिए ली क्योंकि इससे पहले की सारी तारीखें और लोगों ने ले रखी थीं. मैंने पिछले साल फरवरी में यह तारीख चुनी थी. मैं किसी और की फिल्म को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता हूं. इस तरह के टकराव से फिल्म, डिस्ट्रीब्यूटर, एग्जीबिटर और यहां तक कि देखने वालों को भी नुकसान होता है. बहुत लोग ऐसे हैं जो एक ही हफ्ते में दो-दो फिल्में देखने का खर्च नहीं उठा सकते. इसलिए वे किसी एक फिल्म को चुनते हैं. यह स्थिति उनके लिए भी ठीक नहीं है'.

खराब हुए रिश्ते 

ऋतिक पूरी तरह अपने पिता के साथ है. लेकिन जब उनसे बॉक्स ऑफिस की इस टक्कर के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब जरा नपा तुला ही था. उन्होंने कहा, 'एक प्रोड्यूसर के नाते, मेरे डैड ने इस बात का पूरा ख्याल रखा कि उनकी फिल्म नवंबर और दिसंबर में दूसरी फिल्मों से न टकराए. उनकी फिल्म तैयार थी लेकिन उन्होंने इंतजार करने का फैसला लिया क्योंकि वह किसी फिल्म से क्लैश नहीं चाहते थे. मसलन अगर हम ‘डियर जिंदगी’ के साथ अपनी फिल्म रिलीज करते तो यह भी अच्छा नहीं होता. मेरे पिता की ऐसी सोच है लेकिन वह किसी और से तो ऐसे आदर्शों की उम्मीद नहीं कर सकते हैं.'

दोनों एक्टर सोशल मीडिया पर जोर शोर से अपनी-अपनी बात कर रहे हैं. लेकिन इतना तय है कि इस बॉक्स ऑफिस क्लैश की वजह से रोशन परिवार और शाहरुख़ ख़ान, फ़रहान अख्तर के रिश्तों में तनातनी आ गई है. हालात तब और खराब हो गए जब पता चला कि 50-50 स्क्रीन शेयर की बजाय एग्जीबिटर ने ‘रईस’ को ज्यादा तवज्जो देते हुए स्क्रीन शेयर 60-40 रखा यानी 100 में से 60 स्क्रीन पर ‘रईस’ जबकि 40 पर ‘काबिल’ दिखाई जाएगी. कलेक्शन के शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि ‘रईस’ को ज्यादा बड़ी ओपनिंग मिली.

होती रही हैं भिड़ंत

वैसे एक ही दिन एक साथ दो बड़ी फिल्मों का रिलीज होना बॉलीवुड में कोई नई बात नहीं है. 1975 में ‘शोले’ और ‘जय संतोषी मां’ एक ही दिन रिलीज हुई थीं. शुरू में धर्मेंद्र-अमिताभ स्टारर ‘शोले’ के मुकाबले ‘जय संतोषी मां’ की तरफ ज्यादा दर्शक खिंचे लेकिन बाद में ‘शोले’ ने उसे पछाड़ दिया. वैसे दोनों ही फिल्में सुपर डुपर हिट रहीं.

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इसके दशकों बाद आमिर ख़ान की ‘लगान’ और सनी देओल की ‘गदर’ एक ही दिन रिलीज हुईं. दोनों ही फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुईं.

तो, क्या बदला? सिनेमाओं में फिल्मों के टिके रहने का समय बदला है. सत्तर और अस्सी के दशक में फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सिल्वर जुबली और गोल्डन जुबली मनाया करती थीं. लेकिन अब बॉक्स ऑफिस पर किसी भी फिल्म की उम्र तीन हफ्तों से ज्यादा नहीं होती. रिलीज होने के बाद पहले तीन दिन ही बता देते हैं कि फिल्म कितनी चलेगी.

फिल्म की स्टारकास्ट नामी हो तो पहले वीकेंड पर लोग फिल्म की क्वॉलिटी की ज्यादा परवाह नहीं करते. सोमवार के बाद फिल्म के बारे में लोगों की राय से तय होता है कि वह दूसरे हफ्ते में जाएगी या फिर उसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है. जब भी दो बड़ी फिल्में एक ही दिन रिलीज होती हैं तो सबसे अच्छा तो यही रहता है कि दोनों फिल्मों को बराबर की हिस्सेदारी मिले. लेकिन ऐसा शायद ही कभी होता है.

दोस्तियों की भेंट

पिछली बार 2012 में एक साथ रिलीज होने वाले दो फिल्मों की कमाई बराबर रही थी. जब एक साथ ‘जब तक है जान’ और ‘सन ऑफ सरदार’ पर्दे पर आई थीं. लेकिन रिलीज से पहले दोनों फिल्मों के निर्माताओं के बीच खूब तू-तू मैं-मैं हुई थी. अजय देवगन ही ‘सन ऑफ सरदार’ के निर्माता भी थे. उन्होंने ‘जब तक है जान’ के निर्माता यशराज फिल्म्स के खिलाफ कंपीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया में शिकायत भी दर्ज कराई थी.

अजय देवगन ने आरोप लगाया था कि यशराज फिल्म्स ने बाजार में अपने दबदबे का फायदा उठाते हुए अपनी फिल्म के लिए ज्यादा स्क्रीन हासिल कर ली है. नतीजतन अजय की ‘सन ऑफ सरदार’ को पर्याप्त स्क्रीनें नहीं मिलीं. आखिर में उनकी शिकायत खारिज हो गई. लेकिन इस विवाद की कीमत अजय देवगन की पत्नी काजोल को यशराज फिल्म्स के मुखिया आदित्य चोपड़ा से अपनी दोस्ती कुर्बान कर के चुकानी पड़ी.

इसके चार साल बाद दिवाली के मौके पर कालोज को अपनी एक और दोस्ती गंवानी पड़ी. करण जौहर के साथ दोस्ती टूटने की वजह थी उनकी फिल्म ‘ए दिल है मुश्किल’ की रिलीज ‘शिवाय’ से टकराना.

फिल्म इंडस्ड्री पहले ही बंटी हुई है. ऐसे में रिलीज को लेकर विवाद हालात को और खराब कर रहे हैं. लगभग एक दशक पहले भी बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस क्लैश के एक तीखे विवाद का गवाह बना था. 2007 में संजय लीला और शाहरुख़ ख़ान ने अपनी फिल्मों ‘ओम शांति ओम’ और ‘सांवरिया’ के लिए दीवाली के मौके को चुना था.

देखते ही देखते बात इतनी बिगड़ गई कि शाहरुख़ ख़ान ने कह दिया कि वह कंपीटिशन को ही ‘तबाह’ कर देंगे. भंसाली ने कहा कि शाहरुख को ‘150 लोगों की मेहनत को बर्बाद करने का कोई हक नहीं है’. उस दिवाली के बाद दोनों के बीच रिश्ते कई साल तक खराब रहे.

समाधान

गणतंत्र दिवस वाले वीकेंड को लेकर ऋतिक और शाहरुख़ के बीच महीनों से तनातनी रही. हालांकि समझदारी दिखाते हुए कोई बड़ा बखेड़ा खड़ा नहीं किया गया. दक्षिण के बड़े एक्टर बालाकृष्णा और चिरंजीवी, दोनों ने अपनी फिल्में ‘गौतमीपुत्र सतकर्णी’ और ‘खिलाड़ी नंबर 150’ को संक्रांति वाले वीकेंड पर रिलीज करने का एलान किया. लेकिन दोनों ने अपने फिल्मों को एक ही दिन रिलीज करने की बजाय अलग-अलग तारीखें चुनीं.

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चिरंजीवी स्टारर ‘खिलाड़ी नंबर 150’ को 11 जनवरी को रिलीज किया गया जबकि बालाकृष्णा की ‘गौतमीपुत्र सतकर्णी’ 13 जनवरी को सिनेमाघरों में आई. इसलिए अगली बार जब बॉक्स ऑफिस पर ऐसी ही भिड़ंत के आसार हों तो इस फॉर्मूले को आजमाया जा सकता है.