'एयरलिफ्ट' और 'रुस्तम' जैसी फिल्में करने वाले अक्षय कुमार को कुछ लोग अब मॉर्डन इरा का भरत कुमार या मनोज कुमार कहने लगे हैं. हाल ही में अक्षय ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर आम लोगों से अपने दिल की बात कही है.
अक्षय का कहना है, '26 जनवरी के समय मैं देशवासियों से कहना चाहता हूं कि कोई तो एक ऐसा ऐप बनाया जाए जो सीमा पर देश की रखवाली करते हुए शहीद हो जाने वाले सैनिकों और फौजियों के परिवारों का विवरण दे सकें. ताकि मुझ जैसे लोग जो इन परिवारों की मदद करना चाहते हों, उन तक पहुंच सकें.'
अक्षय बताते हैं, 'मेरा एक दोस्त जो मुंबई के माटुंगा इलाके में रहता है वो आकर बोला कि तू तो सेलेब्रिटी है, तुझे तो सारे अकाउंट नंबर मिल जाते हैं. बस हमें नहीं मालूम चलता है. हम भी पैसे देना चाहते हैं. तो बस ये बाद दिल में घर कर गई और मैसेज दे दिया.'
अक्षय का मैसेज देखें:
Here I am standing up AGAIN for something I truly believe in coz THEIR well-being MATTERS to ME.I'd love to know if it does to YOU as well? pic.twitter.com/3Y5NPmTJhg
— Akshay Kumar (@akshaykumar) January 24, 2017
अक्षय डिजिटल एज की मदद की बात करते हुए कहते हैं, 'हम आज डिजिटल युग में हैं तो बस एक हजार रुपए भी हमने इन लोगों तक मोबाइल के जरिए पहुंचा दिए तो हो सकता है 15 लाख से उनके घर की लड़की की पढ़ाई में काम आ जाएं. पैसे कभी उस जान की कीमत तो नहीं दे सकते हैं हम कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं.
फिर सरकार तो अपना काम कर ही रही है लेकिन उस सैनिक के बारे में सोचिए वो भी मन में सोचेगा कि अगर सीमा पर मुझे एक गोली लग जाती है तो सवा करोड़ देशवासी मेरे पीछे खड़े हैं. मेरे परिवार को ध्यान रखा जाएगा. अब सोचिए कितनी हिम्मत उन्हें मिल जाएगी. तो 24 तारीख की सुबह 5 बजे मैं उठा और ये बात लोगों तक पहुंचा दी.'
क्या आपको लगता है कि इन दिनों लोगों के बीच में देश की बातें ज्यादा होने लगी हैं. लोग खुलकर देश की बातें बोलने लगे हैं. क्या आपको लगता है कि कुछ सालों पहले ये माहौल नहीं था?
पूछने पर अक्षय कहते हैं, 'ऐसा नहीं है हमें हमेशा से हमारे देश को रक्षा करने वालों और सैनिकों का ध्यान रहता था उनके बारे में केयर करते थे. मुझे आज भी याद है कि बचपन में जब हम फ्रंटियर मेल या डीलक्स मेल में जाते थे और कभी कोई फौजी रेल के डिब्बे में सवार हो जाता था, वो भी अपने पीछे बैकपैक के साथ, तो उनके लिए सम्मान जाग जाता था और वो जिस भी बोगी में सवार होते थे तो लगता था कि हम सुरक्षित हैं.'
अक्षय इन दिनों 'जॉली एल एल बी' का प्रमोशन भी कर रहे हैं, जिसमें वो चालू वकील का रोल कर रहे हैं. लेकिन समय उन्हें उनके अंदर के हीरो को पहचानने का मौका भी देता है.
अक्षय कहते हैं कि आम लोगों को अभी भी न्यायालय पर बहुत भरोसा है. लेकिन बड़ी मुश्किल ये हैं कि हम हमेशा देखते हैं कि बहुत सारा समय निकल जाता है इन कोर्ट केसेस में. कभी-कभी 8 साल, 12 साल, 13 साल चले जाते हैं लेकिन वो लोग भी क्या कर सकते हैं वो अपना काम बखूबी कर रहे हैं. गणित भी यही कहता है कि लगभग 4 करोड़ केसेस का निपटारा होना अभी बाकी है वो भी इसलिए क्योंकि सिर्फ 21 हजार जज हैं हमारे देश में, तो वो भी काम कर ही रहे हैं.
जॉली एल एल बी की शूटिंग याद करते हुए अक्षय समझाते हैं कि देश में जजों की नियुक्ति कितनी गंभीरता का विषय है. वो कहते हैं, 'आप सोचिए एक जज को कितने सारे केस के बारे मे जानना समझना पड़ता होगा एक ही दिन में. जजों को एक नहीं कई फाइल्स पढ़नी पड़ती होंगी सिर्फ ये देखने और जानने के लिए कि कौन सही है और कौन गलत. और जज कभी कोई ग़लत फैसला नहीं कर सकते हैं. उन्हें बहुत सटीक निर्णय देना होता है तो उन पर कितना तनाव होता होगा.
मैंने तो अपनी फिल्म की शूटिंग के दौरान देखा है कि 'जॉली एल एल बी 2' में जज बने सौरभ शुक्ला को कि उन्हें बार-बार याद करना होता था कि इस बार ये जवाब देना है या उन्हें ये बोलना है, भले ही वो अभिनय कर रहे हैं. तो एक्टिंग में ही इतना तनाव उनको हो जाता था, तो जो हमारे जज हैं उनको तो हर पहलु को देखना होता है. और मुझे बहुत फख्र होता है उन जजों पर क्योंकि वो कितना काम कर रहे हैं क्योंकि बहुत कम जज हैं देश में.
अक्षय की 'जॉली एल एल बी 2' 10 फरवरी को रिलीज हो रही है.
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