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Special : अब तो महिलाओं की इज्जत करना सीखिए करण जौहर

माफी मांगकर करण ने अपने ओछेपन को छिपाने की कोशिश की है

Abhishek Srivastava

आईफा 2017 में स्टेज पर जो कुछ भी हमने करण जौहर, सैफ अली खान और वरुण धवन के बीच देखा कहने की जरुरत नहीं कि उसकी कोई आवश्यकता नहीं थी. आईफा अवार्ड्स के आर्गनाईजर उसके बिना भी अमेरिकी दर्शक और टेलीविजन के करोड़ों दर्शकों का मन लुभा सकते थे.

नतीजा इसका कुछ भी नहीं हुआ महज विवाद के करण, सैफ और वरुण ने दिखा दिया कि फिल्म जगत की वास्तविक हकीक़त क्या है और एक अभिनेत्री जिसने सच कहने की जहमत कुछ महीनों पहले उठाई थी उसको एक बार फिर से कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की.


सबसे पहले हम आपको पृष्ठभूमि बताते हैं कि आखिर स्टेज पर हुआ क्या था. मौका था जब वरुण धवन को स्टेज पर फिल्म ढिशुम के लिये बेस्ट एक्टर इन ए कॉमिक रोल के अवार्ड के लिये आमंत्रित किया गया. स्टेज पर पहुंचने पर ही सैफ अली खान ने तुरंत उनकी चुटकी ली और उनको बताया की वो जो कुछ भी हैं अपने पिता की बदौलत है.

आखिर क्यों कंगना न बोले तो ही अच्छा है?

बदले में वरुण भी कहा रुकने वाले थे उनका जवाब भी फौरन साफ को मिल गया जब उन्होंने सैफ को याद दिलाया की वो भी अपने मां शर्मिला टैगोर के बदौलत हैं. अब स्टेज पर नेपोटिज्म की बात हो रही हो तो भला करण कैसे पीछे रह सकते हैं.

उन्होंने भी अपने दिल की बात साफ कर दी यह कहकर की उनका भी अस्तित्व फिल्म जगत में उनके पिता की वजह से उसके बाद तीनों ने खुद की बात को तस्दीक करते हुआ कहा की नेपोटिज्म रॉक्स और उसके बाद करण की ही फिल्म कभी खुशी कभी ग़म के एक गाना बोले चूड़ियां बोले कंगना पर वरुण ने थिरकना शुरु कर दिया जिसके बाद करण ने तंज मारा कि कंगना ना बोले तो ही बेहतर है.

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अब सबसे ताज़ा माजरा ये है कि वरुण ने अपने आईफा गिग पर अपने ट्विटर पोस्ट के जरिये माफी मांग ली है तो वही दूसरी तरफ फर्स्टपोस्ट के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भी सैफ अली खान ने पूरे गिग पर खेद जताया है और इस बात को स्वीकारा है की आईफा के बाद वो काफी डिस्टर्ब्ड हो गये थे. करण ने भी एक मीडिया चैनल के साथ एक इंटरव्यू पूरे मामले पर खेद जताया है.

लेकिन सबसे बड़ी बात इस मामले में यही है की एक ऐसा मुद्दा जो कमोवेश ठंडा हो चुका था उसको फिर से जिंदा करने की कोशिश क्यों की गई. क्या इसके पीछे साज़िश थी या इसके पीछे कोई मंशा.  मामले की तह तक जाये तो यही पता चलेगा की जब कंगना ने करण को उनके ही शो पर आड़े हाथों लिया था तो करण की हालत ऐसी थी मानो काटो तो खून नहीं.

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वाद विवाद को जो भी सिलसिला काफी विथ करने में करण जौहर और कंगना के बीच नेपोटिज्म या फिर फिल्म जगत में भाई भतीजावाद के मुद्दे को लेकर हुआ था वो बिल्कुल सही था और कंगना ने एक तरह से करण की दुखती रग पर हाथ रख दिया था.

इसके पहले कई सितारों ने करण के साथ शो के कांटेट के बारे में यही कहा था कि इसमें जो कुछ भी होता है उसे सीरियस तरीके से बिल्कुल नहीं लेना चाहिये ये सब कुछ हास परिहास के दायरे में ही आता है.

अगर बात यही थी तो करण ने खुद अपने ही शो के कांटेंट को इतने सीरियस तरीके से क्यूं ले लिया. करण ने दो हफ्ते के बाद ही वार किया लेकिन हिंदुस्तान में रहकर नहीं बल्कि लंदन से जब वो लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स के एक इवेंट में शिरकत कर रहे थे.

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करण उस वक्त तक इसको भूल नहीं पाये थे. इस बीच कंगना ने पूरे एपीसोड पर एक तरह से चुप रह कर अपनी गरिमा बनाये रखी. जब करण की कुछ बातों पर कंगना ने अपना खंडन दिया तो कंगना की बात को मीडिया में ज्यादा तूल ना मिले इसके लिये लोगों का ध्यान खींचने के लिये करण ने अपने सरोगेसी की बात को सार्वजनिक कर दिया.

कोशिश पूरी यही थी कि मीडिया में कंगना की बातों को जगह ना मिले. लेकिन करण की ये कोशिश कामयाब नहीं हो पाई. अप्रैल के महीने में अनुपमा चोपड़ा के साथ टाउन हाल चैट के दौरान करण ने एक बार फिर से नेपोटिज्म के मुद्दे को कुरेदा लेकिन यही कहा की अब वो इस मुद्दे को भूल चुके हैं लेकिन जो कुछ भी आईफा समारोह में कुछ दिन पहले हुआ उसको देखकर नहीं लगता की करण कुछ भी भूले हैं.

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जब सोशल मीडिया पर करण,सैफ और वरुण की हरकतों पर लोगों ने किरकिरी करनी शुरु की तो वरुण और सैफ ने तुरंत माफी मांग ली. लेकिन करण ने ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि मामले को एक बार फिर से दरकिनार करने के लिये अपने बच्चों की तस्वीरों का सहारा लिया.

जब लोगों ने फटकार लगानी शुरु की तो करण ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी बच्चों की तस्वीर टीज की.  लेकिन जो भी कमेंट उनको इस फोटो पर मिले उससे एक बार तो साफ हो जाती है की पब्लिक सेंटीमेंट करण के साथ नहीं था और जब लगा की बात नहीं बन रही है तो अपने दो दोस्तों की तरह करण ने माफी का सहारा ले लिया.

करण को देखकर एक बात साफ हो जाती है की 40 के ऊपर होने के बावजूद विजडम नाम की चीज उनके अंदर अभी तक घर नहीं कर पाई है. कंगना के साथ पूरे एपिसोड में यही बात समझ में आती है कि सच्चाई एक कड़वा सत्य है जो करण अभी तक निगल नहीं पाये हैं.

अब तो इस बात पर विश्वास करने का मन करता है कि गिग के नाम पर जो कुछ भी आईफा समारोह में हुआ वो दरअसल एक सुनियोजित वार था कंगना के उपर उनके नेपोटिज्म पर कमेंट के लिये और ये सब कुछ करण के दिमाग से उपजा था.

औरतों की कद्र करना करण नहीं जानते हैं ये बात भी इस पूरे प्रकरण से उजागर हो जाती है. करण को ये नहीं भूलना चाहिये की अगर अपनी पहली फिल्म में शाहरुख खान और सलमान खान को एक साथ ले आने का करिश्मा कर पाये थे तो उसके पीछे उनके पिता यश जौहर और यश चोपड़ा ही थे.

आदित्य चोपड़ा की दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे में बतौर सह निर्देशक काम करके करण, शाहरुख के करीब आयें तो वही दूसरी ओर सलमान ने उनका पहली फिल्म महज इसलिये की क्योंकि उनके पिता एक अच्छे इंसान थे.

नेपोटिज्म का इससे बेहतर किस्सा और कहा मिल सकता है. किसी भी नये निर्देशक के लिये दो सुपरस्टार को एक साथ फिल्म में लेना असंभव काम हो सकता है. करण ज़रा याद कीजिये धर्मा प्रोडक्शन की पहली फिल्म  (जब करण ने बागडोर संभाली थी) कल हो ना हो जिसका निर्देशन किया था निखिल अडवाणी ने.

अगर निखिल के बैकग्राउंड पर एक नजर मारें तो निर्माता एनएन सिप्पी और एकता कपूर से रिश्ते के अलावा वो खुद करण के साथ कई सालों से काम करते आये थे.

फिल्म वेक अप सिड से करण ने अयान मुखर्जी को मौका दिया था. अयान भी काजोल, रानी और आशुतोष गोवारिकर के रिश्ते में आते हैं. आलिया और वरुण के बारे में जिक्र ना करे तो बेहतर होगा. आने वाले समय में करनी की ही फिल्म स्टूडेंट आफ द ईयर का सीक्वल बनने वाला है और इसमें भी आपको फिल्म जगत के लोगों के ही बेटे बेटियों के दर्शन होने वाले हैं.

करण ने जो कुछ भी इस बार आईफा में किया वो रिफाइंड कहीं से नहीं लगता है. तीन लोगों ने मिलकर एक ऐसे शख्स पर वार किया जो वहां पर मौजूद नहीं थी और जिसने अपने दमखम पर फिल्म जगत को दिखा दिया है की साहस बहुत है उसके अंदर.

ये हमारे देश की मानसिकता भी दर्शाती है कि औरतों की जगह कही और है. ये बात समझ के परे है कि करण जौहर आज देश के यूथ आईकन है. वाह रे वाह.