पाकिस्तान के उर्दू अखबारों पर नजर डालें तो हो सकता है कि आप कह उठे ‘उल्टा चोर कोतवाल के डांटे’. और अब इस चोर को एक नया सरपरस्त मिल गया है- रूस.
पाकिस्तान ने पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र के नए महासचिव को एक डोजियर सौंपा है और भारत पर अपने यहां आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया है. कराची से छपने वाले ‘जंग’ ने लिखा है कि यूएन में पाकिस्तान की दूत मलिहा लोधी ने जो डोजियर सौंपा है.
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उसमें भारतीय पनडुब्बी के पाकिस्तानी सीमा में घुसने की कोशिश का वीडियो, भारतीय ‘खुफिया एजेंट कुलभूषण’ के कबूलनामे और भारतीय हाई कमीशन में मौजूद भारतीय खुफिया अधिकारियों के आतंकवादी गुटों से संपर्कों के सबूत शामिल है.
डोजियर की सियासत
इस डोजियर के साथ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज की एक चिट्ठी भी सौंपी गई. अखबार लिखता है कि इस चिट्ठी में कहा गया है कि पाकिस्तान एक तरफ आतंकवाद को खत्म करने के लिए निर्णायक कदम उठा रहा है. इसके सकारात्मक नतीजे भी मिल रहे हैं. लेकिन भारत इन कामयाबियों को नाकामी में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.
‘नवा ए वक्त’ कहता है कि पिछले साल अक्टूबर में भी संयुक्त राष्ट्र को तीन ऐसे डोजियर सौंपे गए थे. अखबार ने पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले कहा है कि नए डोजियर में बलूचिस्तान, फाटा और कराची में आतंकवादी घटनाओं में भारतीय खुफिया अधिकारियों के शामिल होने के बारे में कुछ नई जानकारी दी गई है.
अखबार लिखता है कि भारत की दखंलदाजी और आतकंवादी वारदातें पाकिस्तान को अंदरूनी तौर पर अस्थिर करने की कोशिश है. साथ ही जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना पर जुल्म ढाने के इल्जाम लगाते हुए अखबार कहा है कि भारत इनसे दुनिया का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है.
नए समीकरण
उर्दू अखबार ‘औसाफ’ लिखता है कि भारत चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर में रुकावटें डालने में काफी पैसा झोंक रहा है लेकिन उसके मंसूबे चकनाचूर होंगे. अखबार के मुताबिक एक मजबूत पाकिस्तान ही क्षेत्र में ताकत के संतुलन को बरकरार रख सकता है और अगर अंततराष्ट्रीय बिरादरी ने भारत को नहीं रोका तो फिर क्षेत्र में अमन की गारंटी नहीं दी जा सकती.
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रोजनामा ‘इंसाफ’ ने लिखा है कि दक्षिण एशिया में उभरते नई समीकरणों ने भारत की नींद उड़ा दी है. अखबार ने भारतीय विश्लषकों का हवाला देते हुए लिखा है कि रूस का पाकिस्तान की तरफ झुकाव भारत की सुरक्षा के लिए धक्का साबित होगा. चीन की तरह अब रूस भी हर मामले पर पाकिस्तान की सुन रहा है.
अखबार कहता है कि तालिबान के साथ रूस के समझौते ने अफगान राष्ट्रपति के पैरों से नीचे से जमीन खिसका दी है. इसके तहत रूस अफगान तालिबान को हथियार और खुफिया जानकारी देगा. अखबार के मुताबिक यह सब सहयोग इस्लामिक स्टेट का सिर कुचलने के लिए है, लेकिन सब जानते हैं कि अफगानिस्तान में आईएस की मौजूदगी सिर्फ नाम मात्र की है, इसलिए ये हथियार अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ ही इस्तेमाल होंगे.
रिटायर्ड राहील को नौकरी
रोजनामा ‘दुनिया’ ने बताया है कि पाकिस्तान के रिटायर्ड आर्मी चीफ को नई नौकरी मिल गई है. अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि राहील शरीफ 39 देशों वाले इस्लामी सैन्य गठबंधन के प्रमुख नियुक्त किए जाएंगे.
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दिसंबर 2015 में आतंकवाद से निपटने के लिए पाकिस्तान समेत 34 देशों ने सऊदी अरब की अगुवाई में एक सैन्य गठबंधन बनाने का एलान किया था. बाद में इसमें पांच देश और शामिल हो गए जबकि अफगानिस्तान, अजबैजान, इंडोनेशिया, ताजिकिस्तान के साथ साथ कई अफ्रीकी देशों से भी बात चल रही है
अखबार ने राहील शरीफ को इस पद के बिल्कुल वाजिब व्यक्ति बताया है क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ ‘कामयाब’ जर्ब ए अज्ब ऑपरेशन चलाया.
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अखबार को उम्मीद है कि राहील शरीफ इस गठबंधन का दायरा बढ़ाते हुए इसमें ईरान, इराक और सीरिया को इसमें शामिल करते हुए इसकी निष्पक्षता को कायम रखेंगे.