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पाकिस्तान डायरी: 7 साल में रेगिस्तान बन जाएगा पाकिस्तान

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) समेत कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 7 साल के भीतर पाकिस्तान रेगिस्तान में तब्दील हो सकता है

Seema Tanwar

पाकिस्तान चंद सालों के भीतर पानी की बूंद-बूंद को मोहताज हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) समेत कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 7 साल के भीतर पाकिस्तान रेगिस्तान में तब्दील हो सकता है. यही जल संकट पाकिस्तानी उर्दू अखबारों के संपादकीयों में छाया है.

एक तरफ सरकार से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने को कहा जा रहा है तो दूसरी तरफ भारत पर सिंधु जल समझौते के उल्लंघन के आरोप मढ़े जा रहे हैं. पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए पानी के गहराते संकट के लिए सरकारों को जिम्मेदार बताया है. इसके अलावा, पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को चुनाव लड़ने की इजाजत देने पर भी कई अखबारों ने टिप्पणियां की हैं.


पाकिस्तान में पानी बना परेशानी

रोजनामा ‘जंग’ लिखता है कि जल विशेषज्ञ दशकों से पानी की बढ़ती हुई किल्लत और भविष्य में पैदा होने वाली गंभीर स्थिति की तरफ ध्यान दिलाने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन सरकार का रवैया बहुत ही ढीला ढाला रहा है. अखबार कहता है कि अंतरराष्ट्रीय नदियों के पानी से पाकिस्तान के जायज हिस्से को लेने के लिए पैरवी में गफलत और जल भंडारों के निर्माण को लेकर लापरवाही बरती गई.

अखबार ने आईएमएफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि 1990 से किसी भी स्तर पर पानी को लेकर कोई योजना नहीं बनाई गई. अखबार ने सुप्रीम कोर्ट से इस रिपोर्ट में शमिल उन दूसरी वजहों पर भी ध्यान देने को कहा है, जिनके चलते आज पाकिस्तान के सामने पानी की किल्लत एक संकट में तब्दील होती जा रही है.

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रोजनामा ‘एक्सप्रेस’ लिखता है कि दुनिया के बहुत से हिस्सों में ताजा पानी और खास तौर से पीने के पानी की दिक्कत है और अगर पानी है भी तो वह प्रदूषित है. अखबार कहता है कि पाकिस्तान का 80 फीसदी पानी प्रदूषित है और पानी का संकट आने वाले समय में पाकिस्तान की बहुत बड़ी समस्या साबित होने जा रही है.

अखबार लिखता है कि पाकिस्तान दुनिया के उन 136 देशों में 36वें स्थान पर आता है, जहां पानी की कमी की वजह से सरकार, अर्थव्यवस्था और आम लोग, तीनों ही दबाव में हैं. अखबार के मुताबिक यह संकट इतना गंभीर होगा कि दो एटमी ताकतों के बीच पानी के संसाधनों के लिए जंग हो सकती है. इसके साथ ही अखबार ने भारत पर सिंधु जल समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है.

रोजनामा ‘दुनिया’ लिखता है कि काफी समय से अलार्म की घंटिया बज रही हैं लेकिन जैसे हमारे सदनों में कोरम की घंटियां कोई नहीं सुनता, उसी तरह जल संकट पर हर तरफ से मिलने वाली चेतावनियों को कोई नहीं सुनता. अखबार लिखता है कि पाकिस्तान में नए जल भंडारों को लेकर कुछ नहीं हो रहा है, “ऐसा लगता है कि हमें जल भंडारों से ज्यादा प्यारी सियासत है.”

अखबार की राय में, पाकिस्तान की सबसे बड़ी बदकिस्मती यह है कि उसके राजनेता होशियार तो हैं लेकिन समझदार नहीं. अखबार के मुताबिक पाकिस्तानी राजनेता ख्वाब तो देखते हैं लेकिन छोटे छोटे और वो भी अपने निजी फायदों के ख्वाब. अखबार पूछता है कि “हम एक देश के तौर पर पिछले 70 साल से गहरी नींद में सोए हुए हैं, इससे हमें कौन जगाएगा?”

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने दी मुशर्रफ को छूट

उधर जसारत ने पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को अजीब बताया, जिसके मुताबिक पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ आने वाले आम चुनावों में हिस्सा ले सकते हैं और पाकिस्तान आने पर उन्हें कोई गिरफ्तार नहीं करेगा. बेनजीर भुट्टो हत्याकांड समेत कई मामलों में मुकदमों का सामना कर रहे मुशर्रफ की वतन वापसी पर अखबार को शक है.

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अखबार लिखता है कि परवेज मुशर्रफ दुबई में बैठकर पाकिस्तान फौज को उकसा रहे हैं कि सोलजर का काम सिर्फ सरहदों की हिफाजत करना नहीं, बल्कि अगर पाकिस्तान खतरे में हो तो आगे बढ़ कर कदम बढ़ाना चाहिए जैसे उन्होंने 1999 में उठाया था. अखबार ने अयोग्य करार दिए गए पूर्व प्रधानमंत्री के इस बयान को भी तवज्जो दी है कि देशद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहे मुशर्रफ को किस आधार पर चुनाव लड़ने की इजाजत दी जा रही है.

मशरिक’ ने अपने संपादकीय पन्ने पर कार्टून के जरिए मुशर्रफ पर तंज किया है. कार्टून में पलंग के नीचे से झांक रहे मुशर्रफ फोन पर कह रहे हैं, "थैंक यू वेरी मच, बुलाने के लिए. लेकिन कमांडर डरता नहीं है बस सावधानी से काम ले रहा है. अभी नहीं आएगा."

पाकिस्तान में 54 अरब की लूट

इसके अलावा कई अखबारों ने अपने संपादकीय में उन 222 पाकिस्तानी कंपनियों का जिक्र किया है, जिन्होंने वित्तीय संस्थानों से 54 अरब रुपये के कर्ज लिए और उन्हें माफ करा लिया. सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर इन कंपनियों से जवाब मांगा है. ‘उम्मत’ लिखता है कि 54 अरब रुपया हड़पने के बाजवदू ये कंपनियां आज भी काम कर रही हैं.

अखबार कहता है कि आज पाकिस्तान के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि किस तरह देश के संसाधनों की लूट खसोट करके निजी जायदाद और संपत्तियां बनाने वालों से कैसे सारी रकम वापस ली जाए.

वहीं औसाफ की टिप्पणी है कि पाकिस्तानी राजनेताओं, हुक्मरानों और रसूख वाले लोगों की अमेरिका, लंदन और खाड़ी देशों समेत दुनिया भर में जायदादें बिखरी हुई हैं, जो निश्चित तौर पर मेहनत की कमाई से खड़ी हो नहीं हो सकतीं. अखबार ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता है.