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कुलभूषण पर पाक मीडिया ने कहा- हमारी हमदर्दी पर भी भारत में हंगामा

कुछ पाकिस्तानी अखबारों ने इस बारे में भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग पर सवाल उठाया है तो कुछ अखबार पाकिस्तान की तरफ से इस मामले में दी जा रही ‘रियायत’ से परेशान हैं

Seema Tanwar

पाकिस्तान में मौत की सजा पाने वाले भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की अपनी पत्नी और मां से मुलाकात पाकिस्तानी मीडिया में छाई है. पाकिस्तानी मीडिया ने अपनी सरकार के इस फैसले को मानवता और सहानुभूति की अद्भुत मिसाल बताया है. साथ ही भारत में इसे लेकर हो रही प्रतिक्रिया पर पाकिस्तानी उर्दू मीडिया ने निराशा भी जताई है.

कुछ पाकिस्तानी अखबारों ने इस बारे में भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग पर सवाल उठाया है तो कुछ अखबार पाकिस्तान की तरफ से इस मामले में दी जा रही ‘रियायत’ से परेशान हैं.


'पूरा किया वादा'

रोजनामा ‘दुनिया’ लिखता है कि कुलभूषण की उसके परिवार से मुलाकात कॉन्सुलर एक्सेस के संदर्भ में नहीं, बल्कि इंसानी हमदर्दी की बुनियादी पर कराई गई. अखबार लिखता है कि उम्मीद थी कि भारत का रुख भी इस बारे में सकारात्मक होगा, लेकिन भारत सरकार और भारतीय मीडिया भी इस मुलाकात को विवादित बना रहे हैं और मुलाकात के दौरान बीच में शीशा होने और कॉन्सुलर एक्सेस न दिए जाने पर शोर मचा रहे हैं.

अखबार कहता है कि कुलभूषण की सेहत को लेकर भारतीय मीडिया में चलने वाली अटकलों को दूर करने के लिए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ‘भारतीय जासूस’ की 22 दिसंबर की मेडिकल रिपोर्ट जारी की, जिसके मुताबिक कुलभूषण की सेहत बिल्कुल ठीक है और उस पर कई हिंसा नहीं की गई है.

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अखबार की टिप्पणी है कि इस मुलाकात जैसी खबरें दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए ताजा हवा के झोंके की तरह हैं इसीलिए भारत को अपना संकुचित रवैया और हठधर्मी को छोड़ना होगा ताकि दोनों देशों के बीच फासलों को कम करने में मदद मिले.

रोजनामा ‘उम्मत’ लिखता है कि पाकिस्तान ने अपना वादा पूरा करते हुए कुलभूषण को उसकी पत्नी और मां से मिलवाया और जो मुलाकात शुरू में तीस मिनट के लिए थी उसे कुलभूषण के आग्रह पर दस मिनट और बढ़ा दिया गया.

अखबार कहता है कि पाकिस्तान ने ‘भारतीय जासूस’ के लिए इंसानी हमदर्दी और सौहार्द का परिचय दिया है. अखबार के मुताबिक मुलाकात के दौरान बीच में शीशे पर भारतीय मीडिया में कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली और पाकिस्तान के खिलाफ प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया गया जबकि कुलभूषण जाधव और उनके परिजनों ने इस मुलाकात के लिए पाकिस्तान का शुक्रिया अदा किया है.

नेतृत्व पर सवाल

इसी मुद्दे पर ‘नवा ए वक्त’ का संपादकीय है- इतने अच्छे कदम पर भी जहरीला प्रोपेगेंडा करने वाला भारत क्या किसी रियायत के लायक है? अखबार ने कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान की तरफ से लगाए गए आतंकवाद के तमाम आरोपों को गिनाते हुए लिखा है कि कुलभूषण को ऐसी रियायत देकर पाकिस्तान ने अपनी कमजोरी ही जाहिर की है लेकिन भारत को इस पर भी तसल्ली नहीं है और उसके विदेश मंत्रालय की तरफ से कॉन्सुलर एक्सेस मांगने की बातें हो रही हैं.

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अखबार ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ के इस बयान पर कड़ी आपत्ति की है कि कुलभूषण को कॉन्सुलर एक्सेस दी जा सकती है. अखबार पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के इस बयान पर भी सख्त नाराजगी दिखता है कि कुलभूषण को फांसी देना पाकिस्तान को ‘सूट नहीं करता’.

अखबार की टिप्पणी है कि अगर भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपने दावे के मुताबिक कुलभूषण को अपने मुल्क ले जाने में कामयाब हो जाती हैं तो फिर पाकिस्तान की जनता के दिल में यह सवाल उठना लाजिम है कि हमारा सिविल और सैन्य नेतृत्व देश की संप्रभुता की रक्षा और देश की सुरक्षा के तकाजों को पूरा करने के काबिल है भी या नहीं.

'हमदर्दी का ये सिला?'

दूसरी तरफ, कई अखबारों ने नियंत्रण रेखा पर भारत की कथित गोलीबारी में तीन पाकिस्तानी फौजियों के मारे जाने की खबर को ‘इंसानी हमदर्दी का यह जवाब मिला’ जैसी सुर्खियां लगाई हैं.

‘औसाफ’ अपने संपादकीय में लिखता है कि भारत की तरफ से पाकिस्तान के हर अच्छे कदम का जवाब आक्रामकता के रूप में ही सामने आता है. अखबार के मुताबिक, पाकिस्तान में आतंकवाद की बदतरीन कार्रवाइयों में रंगे हाथ पकड़े गए कुलभूषण जाधव की परिजनों से मुलाकात के चंद घंटे भीतर ही भारतीय सेना ने कंट्रोल लाइन पर फायरिंग कर पाकिस्तान के तीन जवानों को मार डाला.

अखबार कहता है कि पाकिस्तान की तरफ से हमदर्दी के कदम पर भी भारत की तरफ से नफरत का प्रचार जारी है और भारतीय मीडिया ने कुलभूषण जाधव की परिजनों से मुलाकात का श्रेय भी मोदी के खाते में डाल दिया है.

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उधर ‘एक्सप्रेस’ ने कानूनी जानकारों के हवाले से अपनी एक खबर में कहा है कि कुलभूषण को परिजनों से मुलाकात की अनुमति देना एक अच्छा फैसला है. रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व प्रमुख बैरिस्टर अली जफर जहां परिजनों से मुलाकात के फैसले को सराहते हैं वहीं कॉन्सुलर एक्सेस न देने के फैसले को भी सही ठहराते हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय अदालत में भी पाकिस्तान का यही रुख था.

उनके मुताबिक, कुलभूषण को माफी दिए जाने के बारे में विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ का बयान अभी जल्दबादी होगी. एक अन्य कानूनी जानकार अकरम चौधरी एडवोकेट का कहना है कि कुलभूषण को माफी पाकिस्तानी जनता को कबूल नहीं होगी.