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इशांत-जडेजा गाली गलौज कांड की जांच और सजा जरूरी, यह मुल्क की बदनामी है

बीसीसीआई ने अपने बयान में कहा है कि इशांत शर्मा और रवींद्र जडेजा के बीच जो घटना हुई, वो किसी भी तरह झगड़ नहीं था

Jasvinder Sidhu

गूगल पर सर्च मारने पर आपको शायद ही कोई ऐसी स्टोरी मिले, जिसमें मैदान पर बदसलूकी करने वाले टीम इंडिया के किसी सदस्य के खिलाफ बीसीसीआई की कार्रवाई का जिक्र हो.

ऐसे में इंशात शर्मा और रवींद्र जडेजा के बीच पर्थ टेस्ट के दौरान जो कुछ भी हुआ, बीसीसीआई के लिए वह गली के खेलने वाले बच्चों के बीच नोकझोंक के ज्यादा कुछ नजर नहीं आता. इशांत शर्मा ने जिस तरह की भाषा और उसमें जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है, टीवी वालों से तो उसे बीप से ढक दिया है. लेकिन सोशल मीडिया पर साफ देखा और सुना जा सकता है कि क्या-क्या कहा गया.


हो सकता है कि मैच के दबाव और खेल की उत्तेजना के बीच दोनों आपस में किसी मुद्दे पर भिड़ गए हों. वैसे ऐसा होना नहीं चाहिए, क्योंकि आप ना केवल विदेशी धरती पर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, बल्कि एक पेशेवर भी हैं. फिर भी मान लिया जाए कि यह किसी कारण से हो गया. लेकिन टीम इंडिया और बीसीसीआई का यह दावा करना कि यह आपस में झगड़ा नहीं था, शर्मनाक है. बीसीसीआई ने अपने बयान में कहा है कि इशांत शर्मा और रवींद्र जडेजा के बीच जो घटना हुई, वो किसी भी तरह झगड़ नहीं था. मैदान में क्षणिक घटना थी. बीसीसीआई ये साफ करना चाहता है कि इन दोनों के बीच सब कुछ ठीक है.

इशांत और जडेजा की हिस्ट्री रही है खराब

इशांत की मैदान पर खराब व्यवहार की हिस्ट्री रही है. ट्वीटर और गूगल पर एक सर्च मारने की जरूरत है, इशांत की अंतरराष्ट्रीय मैचों में कारगुजारियों की लंबी लिस्ट मिल जाएगी. इंग्लैंड के दौरे पर डेविड मलान को आउट करने के बाद बल्लेबाज के बेहद करीब जाकर आक्रामक ढंग से जश्न मनाने के कारण इशांत को 15 फीसदी मैच फीस गंवानी पड़ी थी.

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रवींद्र जडेजा का नाम भी आईसीसी की सजायाफ्ता खिलाड़ियों की सूची में लगभग हर साल चढ़ता है. पिछले साल श्रीलंका में मैदान पर विपक्षी खिलाड़ी के खिलाफ खराब व्यवहार के कारण उनकी 50 फीसदी फीस कटी.

असल में टीम में अनुशासन के लिहाज से टीम में राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले जैसे कप्तानों की कमी साफ दिखती है. पर्थ टेस्ट मैच में कप्तान विराट कोहली और ऑस्ट्रेलियन कप्तान टिम पेन के बीच जो भी हुआ, बाकी खिलाड़ियों ने भी देखा. इसमें भी बीसीसीआई का बयान यह है कि जिस तरह की बातें की जा रही हैं, वैसा कुछ विराट ने नहीं कहा. कहा जा रहा था कि विराट ने पेन से कहा कि मैं दुनिया का बेस्ट प्लेयर हूं. दूसरी तरफ, तुम सिर्फ पार्ट टाइम कप्तान हो.

विराट का मैच के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ लगातार आक्रामक रुख किसी भी लिहाज से बाकियों के लिए अच्छा संदेश नहीं देता. वह भी तब जब टीम लगातार विदेशी दौरों पर सीरीज-दर-सीरीज हार रही हो.

कप्तान का टीम पर पड़ रहा है असर

इस साल जनवरी में उनके खिलाफ साउथ अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन टेस्ट मैच में खेल की भावना से खेलने के कारण जुर्माना लग चुका है. लेकिन अनुशासनहीनता पर लगाम लगाने के लिए बीसीसीआई ने कभी किसी खिलाड़ी को सजा के तौर पर सीरीज या मैच से बाहर बिठाने का फैसला कभी नहीं लिया. हर लिहाज से देश, खेल और टीम की प्रतिष्ठा सबसे ऊपर होती है.

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दौरा शुरू होने से पहले बॉल टेंपरिंग में फंसे डेविड वॉर्नर और कप्तान स्टीव स्मिथ पर लगे प्रतिबंध को हटाने की जबरदस्त मुहिम चली. कोशिश की गई कि दोनों को भारत के खिलाफ सीरीज में खेलने दिया जाए. ऑस्ट्रेलियन टीम बेहद कमजोर घोषित की जा चुकी थी. लेकिन क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने इन दोनों के प्रतिबंध को खत्म करने की बजाय सीरीज में हार का सामना करने का फैसला किया. वजह यह है कि क्रिकेट आस्ट्रेलिया का मानना है कि उनकी करतूत से देश की छवि खराब हुई है.

2013 के दौरे पर हैदराबाद टेस्ट हारने के बाद तेज गेंदबाज शेन वॉटसन, जेम्स पैटिंसन और उस्मान ख्वाजा अनुशासनहीनता के कारण मोहाली टेस्ट मैच से बाहर कर दिए गए. ऑस्ट्रेलिया वह मैच हारा लेकिन कायदे-कानून के साथ कोई समझौता नहीं किया.

बीसीसीआई को भी ऐसे मामलों में खिलाड़ियों का बचाव करने की बजाय मामले की जांच करके अपने नियमों के अनुसार सजा तय करनी चाहिए. यह देश की टीम है,  गली मोहल्लों के पार्कों में खेलने वाले स्कूली ड्रॉपआउट लड़कों की नहीं.

(फोटो साभार- फॉक्स वीडिया)