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मुलायम सिंह यादव ने मन बदला लेकिन इरादे नहीं

यहां मुलायम ने कमरों का ताला लगवाया. अपनी और शिवपाल की नेम प्लेट लगवाई.

FP Politics

मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया है कि परिवार में चल रहा विवाद जल्दी खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी कार्यकर्ता चुनाव की तैयारी करें.

दिल्ली में शिवपाल सिंह और अमर सिंह के साथ बैठक के बाद मुलायम ने कहा कि अखिलेश हमारा बेटा है और वो ठीक कर रहा है. मुलायम ने शिवपाल और अमर सिंह की भी जमकर तारीफ की.


इससे पहले रविवार सुबह मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के लखनऊ दफ्तर में राष्ट्रीय अध्यक्ष के कमरे में ताला लगाकर दिल्ली पहुंच गए हैं. वो सोमवार दोपहर पार्टी महासचिव अमर सिंह और यूपी अध्यक्ष शिवपाल सिंह के के साथ चुनाव आयोग जाएंगे.

मुलायम अचानक समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुंचे. एक जनवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद मुलायम पहली बार पार्टी दफ्तर पहुंचे थे. यहां मुलायम को किसी ने नहीं रोका. मुलायम दफ्तर में राष्ट्रीय अध्यक्ष के कमरे में बैठे और मीटिंग की.

यह पहला मौका है जब अखिलेश के मुलायम को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाने के बाद मुलायम पार्टी दफ्तर पहुंचे. यहां मुलायम ने कमरों का ताला लगवाया. अपनी और शिवपाल की नेम प्लेट लगवाई. इस नेम प्लेट में उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष और शिवपाल को सिंचाई-सहकारिता मंत्री दिखाया गया है. उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड को भी दफ्तर से बाहर कर दिया. यहां कुछ देर रुकने के बाद चाबियां लेकर मुलायम शिवपाल संग दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

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इस दफ्तर पर कुछ दिन पहले ही अखिलेश समर्थकों ने धावा बोलकर कब्जा जमा लिया था. अखिलेश की ओर से नामित प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की अगुवाई में भीड़ यहां पहुंची थी. इसके बाद से वही इस दफ्तर में बैठ रहे थे. लेकिन आज मुलायम पहली बार दफ्तर पहुंच गए और अपना दावा ठोक दिया.

रामगोपाल ने ठोका पार्टी पर दावा

शनिवार रात रामगोपाल यादव ने अखिलेश के समर्थन में विधायकों, सांसदों पार्टी प्रतिनिधियों के डेढ़ लाख पन्नों के हलफनामे चुनाव आयोग को सौंपे और चुनाव चिह्न साइकिल पर दावा पेश किया. रामगोपाल यादव की इस पूरी कवायद से तय होगा कि असली समाजवादी पार्टी किसकी है और चुनाव चिह्न साइकिल की सवारी कौन करेगा?

रामगोपाल के चुनाव आयोग को सौंपे दस्तावेजो में 205 विधायकों ने अखिलेश को समर्थन किया है. 56 विधान पार्षद भी अखिलेश के साथ हैं. समाजवादी पार्टी के 15 सांसद भी अखिलेश को समर्थन कर रहे हैं. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 30 सदस्य भी अखिलेश के साथ खड़े हैं. साथ ही 4400 पार्टी प्रतिनिधि भी अखिलेश को समर्थन कर रहे हैं.

रामगोपाल का दावा है कि 90 फीसदी विधायक और एमएलसी अखिलेश के साथ हैं. इस पूरी कवायद को देखकर कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी में मुलायम और अखिलेश खेमे में सुलह की तमाम कोशिशें नाकाम हो गई हैं.

सूत्रों के मुताबिक पार्टी में टूट अब तय है और आज कोई बड़ा ऐलान हो सकता है.   इससे पहले शनिवार को दिन भर सुलह का रास्ता निकालने के लिए बैठकें होती रहीं, मगर कोई नतीजा नहीं निकला. आजम खान और शिवपाल मुलायम सिंह से मिलने पहुंचे, लेकिन कोई नजीता निकलता नजर नहीं आया. कहा जा रहा है कि अखिलेश किसी भी कीमत पर राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने को राजी नहीं और अब वो अपनी शर्तों पर समाजवादी पार्टी को चलाना चाहते हैं.

रामगोपाल यादव ने कहा कि इसके आगे चुनाव आयोग तय करेगा. हमें जो करना था, हम कर चुके हैं. सारे पदाधिकारी अखिलेश के साथ हैं. चुनाव आयोग को 9 तारीख को तय करना है.

सूत्रों के मुताबिक अखिलेश ये भी चाहते हैं कि चाचा शिवपाल यादव को प्रदेश की राजनीति से दूर रखा जाए. अमर सिंह को पार्टी से बाहर निकाला जाए. अखिलेश चाहते हैं कि रामगोपाल यादव को फिर से पार्टी में पद और अधिकार दिए जाएं. मगर मुलायम खेमे को इसपर ऐतराज है.

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वहीं, बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के इस घमासान को बाप बेटे के बीच राजनीतिक मैच फिक्सिंग बताया है. बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा है कि मुलायम मैच फिक्सिंग  कर रहै हैं. ये बाप बेटे की पॉलिटिकल मैच फिक्सिंग है.