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नवाबों का शहर रामपुर अब आज़म ख़ान का शहर हो गया है...

रामपुर जो पहले नवाबों की नगरी का जाता था, अब वहां आज़म ख़ान का सिक्का चलता है

Amitesh

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं शहर ये आज़म ख़ान का.....रामपुर शहर की सड़कों पर अचानक इस तरह की आवाज गूंज रही है. शहर के विधायक और प्रदेश सरकार के बड़े कद्दावर मंत्री आज़म ख़ान के समर्थक रामपुर की सड़कों पर कुछ इसी अंदाज में उनके काम का प्रचार कर रहे हैं.

मौका चुनाव का है तो उनके समर्थकों की तरफ से बार-बार उनके काम का ढिंढोरा पीटा जा रहा है. रामपुर की बदली-बदली तस्वीर और यहां हुए विकास के कामों को लेकर ही इस बार आज़म ख़ान चुनाव मैदान में हैं.


आज़म ख़ान ने रामपुर की पहचान ही बदल दी है

आज़म ख़ान पहले 1980 से 95 तक और फिर 2002 से लेकर अब तक रामपुर के विधायक रहे हैं. लेकिन जब से समाजवादी पार्टी की सरकार में उनका कद बढ़ा तब से लेकर अबतक रामपुर पर सरकार मेहरबान रही है.

रामपुर के रहने वाले मुनव्वर अली आज़म ख़ान की तारीफ में कहते हैं कि उन्होंने तो इस शहर का नक्शा ही बदल दिया. पहले यहां की सड़कें खराब होती थीं, लेकिन अब सड़कें चौड़ी और साफ-सुथरी बन गई हैं. बिजली चौबीस घंटे रहती है जो कि यूपी के बाकी जगहों से बेहतर रहती है. पानी की समस्या यहां न के बराबर है.

रामपुर पब्लिक स्कूल (फोटो: फर्स्टपोस्ट)

रामपुर शहर के क्षेत्र में रामपुर पब्लिक स्कूल (आरपीएस) नाम से तीन स्कूल भी चल रहे हैं जिसमें फीस भी बेहद कम है. इसके अलावा कई तकनीकी संस्थान खोले जा रहे हैं, जो आज़म ख़ान के बढ़ते राजनीतिक कद और सूबे की सपा सरकार में उनके कद के कारण ही संभव हो पाया है.

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लेकिन आज़म ख़ान ने मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के जरिए रामपुर की पहचान ही बदल दी है. पहले रामपुर को नवाबों के शहर के नाम से जाना जाता था.

मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी (फोटो: फ़र्स्टपोस्ट)

नवाब खानदान से नूरबानो कांग्रेस की सांसद भी रहीं. लेकिन अब आज़म ख़ान ने इस क्षेत्र में एक बड़ी यूनिवर्सिटी के जरिए नवाब खानदान से आगे अपनी बड़ी पहचान बनाने की पूरी कोशिश की है.

रामपुर शहर से करीब 15 किमी की दूरी पर 300 एकड़ में जौहर यूनिवर्सिटी बनकर तैयार है. जौहर यूनिवर्सिटी के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर अकबर मसूद फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में कहते हैं कि इस यूनिवर्सिटी में लगभग 3000 छात्र इस वक्त 40 से ज्यादा पाठ्यक्रमों में पढ़ाई कर रहे हैं.

अकबर मसूद (फोटो: फ़र्स्टपोस्ट)

मसूद बताते हैं कि इस वक्त साइंस, कॉमर्स, आर्टस की सामान्य पढाई के अलावा तकनीकी शिक्षा की भी अच्छी व्यव्स्था की गई है. जिसके जरिए रामपुर और आस-पास के छात्र बीबीए, एमबीए, इंजीनियरिंग समेत कई तरह की पढ़ाई कर सकते हैं.

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मसूद का मानना है कि यहां छात्रों को दूसरी यूनिवर्सिटी के मुकाबले कम फीस में बेहतर शिक्षा देने की कोशिश की जा रही है. रामपुर के चमरोबा के रहने वाले वसीम अकरम और जसीम अकरम दोनों भाई इसी यूनिवर्सिटी में एक साथ पढ़ाई करते हैं. बड़ा भाई वसीम अभी बीबीए करने के बाद एमबीए कर रहा है जबकि छोटा भाई जसीम बी कॉम करने के बाद एमबीए ही करने की सोच रहा है.

वसीम और जसीम (फोटो: फ़र्स्टपोस्ट)

वसीम और जसीम कहते हैं कि अपने जिले में इस तरह की बड़ी यूनिवर्सिटी बन जाने से उनकी पढाई आसान हो गई है.

कोई आज़म का समर्थक तो कोई आज़म विरोधी भी रामपुर में है

रामपुर में महात्मा गांधी की अस्थियां भी लाई गईं थीं जहां समाधि स्थल आज भी मौजूद है. लेकिन, आज समाधि स्थल की जगह को एक अलग ही रंग में संवारा गया है. समाधि स्थल के दोनों तरफ दो द्वार इस जगह की खूबसूरती को और भी निखारने का काम कर रहे हैं.

रामपुर स्थित गांधी समाधि (फोटो: फ़र्स्टपोस्ट)

लेकिन, इस दौरान आज़म ख़ान को लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा है. सड़कें बनाने से लेकर यूनिर्वसिटी बनाने तक के मुद्दे पर आज़म की मनमानी कईयों को रास नहीं आई है. आज़म ख़ान विरोधियो के निशाने पर रहे हैं.

लेकिन, अब चुनाव के वक्त कई दूसरे भी हैं जो अब उनसे हिसाब चुकता करना चाहते हैं. रामपुर में चाय की दुकान चलाने वाले भीम सिंह सैनी तो खुलकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. सैनी का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि रामपुर में विकास हुआ है लेकिन, उनका (आज़म ख़ान का) बिहेव सही नहीं है, उनकी तरफ से आने वाले बयान खराब हैं और उनकी तानाशाही से लोग नाराज हैं. लिहाजा इस बार बदलाव होने चाहिए.

रामपुर का बाब ए हयात गेट (फोटो: फ़र्स्टपोस्ट)

चाय की दुकान पर बैठे जाटव समुदाय से आने वाले दूसरे शख्स ने तो साफ-साफ कहा कि इस बार तो हाथी को ही जीत मिलेगी. हालांकि सैनी का कहना है कि हम तो बीजेपी के समर्थक हैं लेकिन रामपुर शहर की सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार शिवबहादुर सक्सेना कमजोर हैं लिहाजा हाथी की सवारी ही सही है.

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बीएसपी ने इस बार डॉ.तनवीर को आज़म ख़ान के खिलाफ मैदान में उतारा है जिनकी कोशिश आज़म ख़ान से नाराज लोगों को अपने पाले में लाने की है.

लगभग 60 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले रामपुर में आज़म ख़ान एक बार फिर से अपना सिक्का कायम करने की जुगत में हैं. रामपुर में किसी बड़े उलटफेर की गुंजाइश तो कम ही लगती है लेकिन इस शहर में बड़ा बदलाव दिख रहा है. नवाबों की नगरी अब आज़म ख़ान की नगरी के रूप में तब्दील हो गई है.