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यूपी चुनाव 2017: कागज पर कांग्रेस जीती, जमीन पर एसपी

प्रियंका गांधी रायबरेली और अमेठी में चुनाव प्रचार पर जाने से क्यों घबरा रही हैं?

Sitesh Dwivedi

उत्तरप्रदेश में एसपी-कांग्रेस के गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. चुनाव के पहले चरण के बाद ही दोनों दलों में वोट ट्रांसफर न होने को लेकर भीतरखाने चर्चा शुरू हो गयी है. जबकि भीतरघात ने भी दोनों दलों के माथे की शिकन बढ़ा दी है.

शायद यही वजह है, कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का मानी जा रही प्रियंका गांधी प्रदेश की अन्य सीटों पर प्रचार से इंकार कर चुकी हैं. जबकि रायबरेली और अमेठी में उनके चुनाव प्रचार को लेकर संशय पैदा हो गया है.


पूर्व कार्यक्रम के अनुसार प्रियंका को 14 फरवरी से कांग्रेस के लिए प्रचार अभियान शुरू करना था. लेकिन, अब उनका यह दौरा स्थगित हो गया है. रायबरेली और अमेठी क्षेत्र के पार्टी नेताओं को दौरा टालने की वजह के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.

हालांकि, पार्टी ने प्रियंका के दौरे के स्थगन के पीछे कोई कारण नहीं बताया है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि, प्रियंका इन दोनों संसदीय सीटों के तहत आने वाली विधानसभाओं से आ रही जानकारियों से असहज हैं.

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कांग्रेस को डर है कि इन सीटों पर प्रियंका के प्रचार के बाद अगर परिणाम पक्ष में न हुए तो प्रियंका की छवि पर भी सवालिया निशान उठने लगेंगे.

कांग्रेस-एसपी गठबंधन में प्रियंका गांधी, डिंपल यादव  का अहम रोल

मजबूत गढ़

दरअसल, रायबरेली और अमेठी कांग्रेस के मजबूत गढ़ रहे हैं. एसपी से गठबंधन के बाद भी इन सीटों के तहत आने वाली विधानसभा सीटों को लेकर दोनों पार्टियों में लंबी खींचतान चली. बाद में प्रियंका के हस्तक्षेप के बाद बात बन गई.

इस समझौते के तहत एसपी ने दस में से दो, अमेठी और ऊंचाहार के अलावा बाकी की सीटें कांग्रेस को सौंप दी. गौरतलब है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में एसपी ने रायबरेली में 6 में से पांच सीटें जीती थीं. जबकि, अमेठी में एसपी ने चार में से दो सीटें जीती थीं.

ऐसे में दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं का यह समझौता, वहां के जमीनी नेताओं को रास नहीं आया. जिसके नतीजे में इलाके की सभी सीटों पर बगावत का झंडा बुलंद कर बागी मैदान में हैं.

सबसे बड़ी बगावत खुद अमेठी में है, जहां से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस सांसद संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह मैदान में हैं. समझौते के तहत यह सीट एसपी के हिस्से में गयी थी. यहां से एसपी सरकार में मंत्री गायत्री प्रजापति मैदान में हैं.

साफ है कि कांग्रेस ने इस सीट पर पर्दे में ढंककर अपना उम्मीदवार उतार दिया.

चुनाव प्रचार के दौरान राहुल और अखिलेश

मैदान में बागी

जाहिर है, जो कांग्रेस अमेठी में कर रही है वही एसपी, कांग्रेस के हिस्से में आई आठ सीटों पर दोहरा रही है. इन सभी सीटों पर एसपी के बागी मैदान में हैं. कहने को तो इन बागी प्रत्याशियों के पास एसपी का सिंबल नहीं है, बाकी उन्हें पार्टी काडर के सपोर्ट के साथ सरकार के मंत्रियों तक का सहयोग मिल रहा है.

यही वो कारण है जिसकी वजह से टिकट की लड़ाई में एसपी के मौजूदा सुप्रीमो अखिलेश यादव को पीछे हटने को मजबूर करने वाली प्रियंका गांधी खुद अभी तक यहां नहीं आ पाई हैं.

ऐसा माना जा रहा है कि, समझौते की मेज पर इन सीटों को अपने पाले में लाने में कामयाब रही कांग्रेस जमीन पर इसे दोहरा नहीं पायेगी. ऐसे में प्रियंका के प्रचार को लेकर पार्टी में एक राय नहीं बन पा रही है.

गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाले अमेठी रायबरेली को लेकर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बेहद संवेदनशील है.

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करीब साल भर पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को खड़ा करने के लिए उतारे गए राजनीतिक मैनेजर प्रशांत किशोर ने पार्टी को जो रिपोर्ट सौपी थी, उसमे पार्टी को इन दोनों सीटों पर जमीनी पकड़ मजबूत करने के कई सुझाव भी शामिल थे. उनमें से इन दोनों संसदीय सीटों की सभी विधानसभा सीट जीतने का लक्ष्य भी था.

रिपोर्ट में 2014 के चुनावों में अमेठी से बीजेपी प्रत्याशी रही स्मृति ईरानी से मिली चुनौती के जिक्र के साथ कहा गया था कि अमेठी और रायबरेली में की सभी विधानसभा सीटों पर अगर हमारे विधायक न हुए तो 2019 में सीट बचाना (खासकर अमेठी) बड़ी चुनौती होगी.

रैली के दौरान राहुल गांधी

कार्यकर्ताओं में मायूसी

कांग्रेस ने इलाके के 10 में से 8 सीटें अपने हिस्से में ले कर पहली लड़ाई तो जीत ली थी, लेकिन बागियों ने पार्टी की राह में कांटे बिछा दिए हैं. खुद को कई पीढ़ियों से कांग्रेसी बता रहे राम खेलावन गठबंधन के तमाम वादों और भविष्य की रुपहली राजनीतिक तस्वीर के बाद भी उदास हैं.

रामखेलावन कहते हैं, 'कांग्रेस के साथ धोखा भा है, हम अबहें बता रहें रिजल्ट बाद सभे कहीहें'. वे आगे कहते हैं, 'आमने-सामनेव लड़ते तबौ 6 से 8 सीट कांग्रेसय जीतत लेकिन अब एसपी पीछे से वार करे'.

राम खेलावन प्रियंका के अभी तक यहां न आने से भी चिंतित हैं. वे कहते हैं 'पिछली दफा बिटिया (प्रियंका) अमेठी बचाय लिहे रही, अबकी मुश्किल बड़ी है.' राम खेलावन का डर अनायास नहीं है, एसपी सरकार में बतौर निर्दलीय विधायक मंत्री रहे एक नेता कहते हैं, अखिलेश जी समझदार नेता हैं  2019 में अगर कांग्रेस के साथ चुनावों में जाना है तो कुछ नस दबा के रखनी ही होगी.

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अमेठी में गायत्री प्रजापति का चुनाव प्रचार कर रहे अंबरीश यादव कहते है, 'कागज पर कांग्रेस जीती, जमीन पर एसपी. हम अखिलेश भैया को दस की दस सीट जीत के देंगे.'

हालांकि, दोनों दलों के भीतर चल रही इस लड़ाई के बीच बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी भी अपने-अपने दांव लगा रही है. बहुत संभव है कि, कांग्रेस-एसपी की लड़ाई में इन दलों को जमीन हथियाने का मौका मिल जाए.