view all

कर्नाटक: चुनाव प्रचार के लिए नए चेहरों की खोज, नई रणनीति में जुटी है कांग्रेस

पार्टी की रणनीति एक बेहतर संचार व्यवस्था को लागू करने की है ताकि मीडिया में पार्टी का पक्ष सही तरीके से और तेजी से रखा जा सके

Debobrat Ghose

कांग्रेस इन दिनों पूरी ताकत से लोगों से अपना संवाद बेहतर बनाने में जुटी है. गुजरात में चुनाव अभियान में मिली कामयाबी को पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर दोहराना चाहती है. बेहतर नतीजों के लिए गुजरात में अपनाई गई रणनीति में सुधार भी किया जा रहा है.

कांग्रेस की प्रचार की रणनीति में बदलाव की शुरुआत पार्टी की कर्नाटक इकाई ने की है. कर्नाटक में इसी साल के मध्य में चुनाव होने हैं. कर्नाटक के बाद निगाहें राजस्थान और दूसरे राज्यों पर होंगी, जहां चुनाव होने वाले हैं. हालांकि कांग्रेस का प्रचार का मॉडल पूरी तरह केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर चलेगा. लेकिन स्थानीय नेताओं को अपने स्तर की जरूरतों के हिसाब से रणनीति में बदलाव की आजादी होगी. जैसे कि पूर्वोत्तर के राज्यों में.


कर्नाटक में पार्टी ने उन नेताओं के नाम कमोबेश तय कर लिए हैं जो प्रवक्ता होंगे और मीडिया में अपनी बात रखेंगे. इन नेताओं को खास वर्कशॉप लगाकर ट्रेनिंग दी जाएगी.

गुजरात के रिस्पॉन्स से प्रभावित हैं राहुल

पार्टी के सूत्र बताते हैं कि गुजरात में प्रचार अभियान को मिले जबरदस्त रिस्पॉन्स से राहुल गांधी काफी प्रभावित हैं. इसीलिए उन्होंने निर्देश दिया है कि पार्टी को बदले हुए हालात के हिसाब से अपनी प्रचार की नीति में बदलाव करना होगा. हाल ही में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई. इस बैठक की अध्यक्षता राहुल गांधी ने ही की थी.

कांग्रेस की रणनीति ये है कि वो अपने पक्ष को तेजी से जनता के सामने रखे. किसी भी मुद्दे पर प्रतिक्रिया में भी पार्टी तेजी दिखाए और प्रेस से ताल्लुकात बेहतर करे.

पार्टी की प्रवक्ता और संचार की राष्ट्रीय संयोजक प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं कि कांग्रेस गुजरात के टेंपलेट को और बेहतर बनाने पर काम कर रही है. पार्टी की रणनीति एक बेहतर संचार व्यवस्था को लागू करने की है. ताकि मीडिया में पार्टी का पक्ष सही तरीके से और तेजी से रखा जा सके. ये तैयारी हर राज्य में की जा रही है.

शुरुआती दौर में कर्नाटक में कांग्रेस के प्रचार विभाग ने सोशल मीडिया, ईमेल, पेशेवर लोगों और पार्टी संगठन से आई अर्जियों में से लोगों को कांग्रेस का पक्ष रखने के लिए चुना है. यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई से भी लोगों को कांग्रेस के प्रचार के काम में लगाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: NRI के बूते 2019 की राह आसान करना चाहती है बीजेपी-आरएसएस

कर्नाटक में कांग्रेस स्थानीय नेताओं और काबिल लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए भी कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है. अब इन लोगों में से मीडिया के पैनलिस्ट के नाम तय किए जाएंगे. साथ ही इन्हीं में से पार्टी के प्रवक्ता भी चुने जाने हैं.

प्रियंका चतुर्वेदी ने बताया कि बहुत से लोग कांग्रेस के लिए प्रचार करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि एक 21 बरस का युवक नोटबंदी से बहुत नाराज था. वो कांग्रेस का प्रवक्ता बनना चाहता था. उस युवक ने कहा कि उसने देखा कि नोटबंदी की वजह से कितने लोगों की नौकरियां और रोजगार चले गए. उस युवक को अपनी कॉलेज की फीस भरने तक में दिक्कत हुई. प्रियंका चतुर्वेदी का दावा है कि आज बहुत से युवा ये मान रहे हैं कि देश में कट्टरपंथी सोच बढ़ रही है. इसलिए वो कांग्रेस के साथ जुड़ना चाह रहे हैं.

पार्टी की रणनीति क्या है?

- हर स्तर पर पार्टी के संचार विभाग का नए सिरे से गठन किया जाएगा

- कांग्रेस के सहयोगी संगठनों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से नए लोग जोड़े जाएंगे. पेशेवर लोगों को मीडिया में कांग्रेस का पक्ष रखने और प्रवक्ता बनाने में तरजीह दी जाएगी.

- उम्मीदवारों को ये समझना होगा कि कांग्रेस की विचारधारा क्या है. कांग्रेस का राजनीतिक स्टैंड क्या है. उन्हें पार्टी में आ रहे बदलावों को अपनाने को तैयार रहना होगा.

- राज्य स्तर पर बदलाव के बाद जिला स्तर पर भी कांग्रेस अपनी प्रचार टीमें गठित करेगी. पार्टी का मकसद जमीनी स्तर पर पहुंच बढ़ाना है, ताकि लोकल मुद्दे उठाए जा सकें.

- पार्टी का संचार विभाग विज्ञापन की दुनिया में काम करने वालों, लेखकों, फिल्म और डॉक्यूमेंट्री बनाने वालों को भी अपने साथ जोड़ने में जुटा है.

- प्रचार के लिए लोगों को चुनने के बाद वर्कशॉप के जरिए उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी. ताकि तमाम मुद्दों पर उन्हें कांग्रेस का स्टैंड पता हो. उन्हें विरोधी दलों को जवाब देने की भी ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि मीडिया में बहस के दौरान वो सही तरीके से पार्टी का पक्ष रख सकें.

- कांग्रेस की कोशिश ये है कि संचार की नई रणनीति बनाकर किसी भी मुद्दे पर पार्टी का पक्ष जनता तक पहुंचाया जाए. प्रिंट से लेकर सोशल मीडिया तक में तेजी से अपनी बात रखी जाए.

- गुजरात की ही तरह कर्नाटक में भी आईटी सेल का गठन किया गया है.

- कांग्रेस की कोशिश है कि वो कर्नाटक में अपनी सरकार के अच्छे कामों का बखान कर सके. जरूरत पड़ने पर पार्टी सख्त स्टैंड लेने से भी पीछे नहीं हटेगी.

- कांग्रेस की रणनीति मोदी सरकार की नाकामियों को जनता तक पहुंचाने की भी हैं. साथ ही राज्यों की बीजेपी सरकारों की खामियों को भी पार्टी उजागर करेगी.

कांग्रेस कार्यसमिति के एक सदस्य ने कहा कि कर्नाटक के चुनाव कांग्रेस के लिए बेहद अहम हैं. राहुल गांधी का कहना है कि पार्टी को नए चेहरों को आगे बढ़ाना होगा. उन्हें बात रखनी आनी चाहिए. ताकि वो किसी भी बहस में मजबूती से हिस्सा ले सकें. इस नेता ने बताया कि कांग्रेस पिछले चार महीनों से कर्नाटक में लोगों को अपने साथ जुड़ने को कह रही है. इसके लिए लिंक्डइन नाम की वेबसाइट पर कांग्रेस ने विज्ञापन भी दिया था.

यह भी पढ़ें: कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी के सामने उम्मीदों का बोझ!

हाल ही में कर्नाटक में कांग्रेस और बीजेपी के बीच जबानी जंग काफी तेज हो गई है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने तो यहां तक कहा कि बीजेपी और आरएसएस हिंदुत्ववादी आतंकी हैं. इसे कांग्रेस की नई रणनीति का ही हिस्सा माना जा रहा है.

पार्टी के एक सीनियर नेता ने कहा कि हम अब आक्रामक तेवर के साथ हैं. इस नेता ने कहा कि आप को हमारे अध्यक्ष को बहरीन में देखना चाहिए था. हम न तो वामपंथी हैं और न ही दक्षिणपंथी. हमारी सोच मध्यमार्गी है. हम आने वाले चुनावों में सांप्रदायिक ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं.