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राहुल गांधी ने पीएम पद की दावेदारी तो पेश कर दी, लेकिन खुद ही आश्वस्त नहीं

राहुल गांधी ने भले ही यह दावा किया हो कि वह अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं, लेकिन इस दावेदारी के बावजूद वह इस मोर्चे पर खुद की शंकाओं से घिरे नजर आए

Sanjay Singh

कई साल तक ऊहापोह की स्थिति में रहने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आखिरकार प्रधानमंत्री पद को लेकर अपनी महत्वाकांक्षा जाहिर कर दी है. इस तरह से उन्होंने उन हजारों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और नेताओं की उस आवाज को बुलंद किया है, जिसके तहत गांधी-नेहरू परिवार के सदस्य का जन्म प्रधानमंत्री बनने के लिए हुआ है और इस परिवार के सदस्य के लिए इससे कमतर कुछ मंजूर नहीं होना चाहिए.

यहां इस बात को समझना जरूरी है कि कर्नाटक चुनाव प्रचार की गहमागहमी के बीच उन्होंने 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार होने का ऐलान किया. कर्नाटक की मौजूदा सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस का इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी और जेडी(एस) से कड़ा मुकाबला है.


इन तमाम राजनीतिक घटनाक्रमों के मद्देनजर हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि राहुल गांधी को ऐसा क्यों लगता है कि नरेंद्र मोदी 2019 के लोकसभा चुनावों में फिर से केंद्र की सत्ता में वापसी करने में नाकाम रहेंगे और क्यों वह (राहुल गांधी) इस देश के सबसे अहम और टॉप पोस्ट यानी प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी को संभालने के लिए स्वाभाविक विकल्प हैं?

हालांकि, राहुल गांधी के इस दावे की पड़ताल करें, तो पता चलता है कि जाहिर तौर पर ऐसा इसलिए नहीं है कि उन्होंने इस तरह से कांग्रेस पार्टी के संगठन का ढांचा तैयार किया है कि बीजेपी खत्म हो जाएगी या हाल में मंदिरों, मठों, मस्जिदों में लगातार किेए जाने वाले अपने दौरे के जरिए उन्होंने आम जनता के पॉपुलर मूड को समझ लिया है, जिसके तहत लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के साथ काफी असंतुष्ट हैं और उनकी (राहुल गांधी) तरफ इस कदर आकर्षित हैं कि वह इस तरह की भविष्यवाणी करने में पूरी तरह से सक्षम हैं. हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि उन्होंने नई कला हासिल की है और वह चेहरों को आसानी से पढ़ सकते हैं और किसी के भविष्य के बारे में बता सकते हैं.

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राहुल ने पीएम पद की दावेदारी तो पेश की, लेकिन खुद आश्वस्त नहीं

राहुल गांधी ने कर्नाटक में अपनी पार्टी के एक समूह की तरफ से आयोजित 'समृद्ध भारत' नामक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री पद को लेकर अपनी आकांक्षाओं के बारे में बात की. कांग्रेस अध्यक्ष का इस मौके पर कहना था, 'मैं इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हूं कि नरेंद्र मोदी अगले लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नहीं बनने जा रहे हैं. मैं उनके चेहरे को देखकर ऐसा कह सकता हूं. उन्हें (नरेंद्र मोदी) को इस बात का बखूबी पता है( कि मोदी 2019 के संसदीय चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे).'

कांग्रेस पार्टी के एक कार्यकर्ता की तरफ से पूछे गए एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पद को लेकर खुद की आकांक्षाओं का इजहार करते हुए इस बारे में बात की. इस कार्यकर्ता ने सीधा-सीधा पूछा था कि क्या आप प्रधानमंत्री बनेंगे, इस पर राहुल गांधी ने कहा, 'वह इस बात पर निर्भर करता है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहता है.' इसके बाद इसी से संबंधित यानी गठबंधन सरकार से संबंधित स्थिति पैदा होने की हालत में उनकी संभावनों को लेकर पूछे गए प्रश्न पर राहुल गांधी का कहना था, 'मेरा मतलब आगामी लोकसभा चुनावों के नतीजों में कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने से है और ऐसी स्थिति में प्रधानंत्री बनने को लेकर मेरा जवाब हां होगा.'

विंडबना यह है कि जो शख्स प्रधानमंत्री के चेहरे को देखकर यह जान सकता है कि नरेंद्र मोदी मई 2019 के तीसरे हफ्ते के बाद प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे, वह इसी प्रधानमंत्री पद के लिए कई तरह की शर्तों और गुणा-गणित के साथ खुद की दावेदारी पेश कर रहा है. ऐसे में जाहिर तौर पर उनका (राहुल गांधी का) मकसद काफी ऊंचा नहीं है. वह सिर्फ मौजूदा विपक्ष की रैंक में सबसे बड़ी पार्टी बनने का इरादा पेश कर रहे हैं. वह पूर्ण बहुमत के लक्ष्य की बात ही नहीं कर रहे हैं, जिसकी आकांक्षा बीजेपी और नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले पाली थी.

बहरहाल, इस बारे में कोई पक्के तौर पर यह नहीं बता सकता है कि कांग्रेस के पीएम उम्मीदवार के इस बयान का क्या मतलब था....'अगर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरती है'. इस बात को लेकर बिल्कुल स्पष्टता नहीं है कि उनके (राहुल गांधी) इस बयान का मतलब सबसे बड़ी पार्टी से था या वह बीजेपी से कम सीटें हासिल करने (बीजेपी के पूर्ण बहुमत हासिल नहीं करने की स्थिति में) और यूपीए जैसे गठबंधन में सबसे बड़े दल के तौर पर उभरने को लेकर बातें कर रहे थे. पिछले संसदीय चुनाव में कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी (बीजेपी) और दूसरी बड़ी पार्टी (कांग्रेस) के बीच सांसदों की संख्या के आंकड़ों का अंतर काफी बड़ा था. यह अंतर 282 और 44 के रूप में था.

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कांग्रेस को इस बात की भी चिंता होनी चाहिए कि राहुल गांधी के खुद को मोदी के विकल्प के तौर पर पेश करने के तुरंत बाद पार्टी की सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) ने समय से पहले इस संबंध में ऐलान को लेकर सवाल उठाए. कांग्रेस की एक और संभावित सहयोगी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के पास भी राहुल गांधी की काबिलियत को लेकर कई सवाल थे. तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी राहुल गांधी को बीजेपी-विरोधी गठबंधन का नेता स्वीकार किए जाने को लेकर ऐतराज जताया था. तृणमूल कांग्रेस के पास लोकसभा में सांसदों की संख्या 34 है. संसद में पार्टी के सांसदों की संख्या का यह आंकड़ा कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में सांसदों की संख्या से थोड़ा ही कम है. तृणमूल कांग्रेस नेता इस आधार पर इस तरह की बात करती हैं.

जमीनी हकीकत से काफी दूर है 10 महिला सीएम बनाने का कांग्रेस अध्यक्ष का वादा

राहुल गांधी ने भले ही यह दावा किया हो कि वह अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं, लेकिन इस दावेदारी के बावजूद वह इस मोर्चे पर खुद की शंकाओं से घिरे नजर आए. प्रधानमंत्री पद को लेकर अपनी दावेदारी के ऐलान के कुछ दिन पहले पार्टी की तरफ से आयोजित रैली में ही उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस पार्टी 15 मई को कर्नाटक में जीत का जश्न मनाएगी. इसके बाद वह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करेगी और फिर 2019 के लोकसभा चुनावों में भी जीत का परचम लहराते हुए फिर से देश में सत्ता पर काबिज होगी.

हालांकि, बाद में एक हॉल में पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत में वह भविष्य में अपनी पार्टी की संभावनाओं को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नजर नहीं आए. उनका कहना था, 'यह इस बात पर निर्भर करता है कि 2019 के संसदीय चुनावों में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहता है.' वह भी ऐसे हालात में, जब कांग्रेस अध्यक्ष ने घोषणा कर रखी हो कि मोदी आगामी संसदीय चुनाव में अपने लोकसभा क्षेत्र बनारस में चुनाव हार सकते हैं और भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में पांच से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी. पिछले लोकसभा चुनावों में बीजेपी और उसकी सहगोयी पार्टियों ने यूपी में 73 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी.

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जिस कार्यक्रम में राहुल ने पीएम पद को लेकर अपनी पेश की, उसमें सबसे दिलचस्प बात यह रही कि कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक के रूप में वहां मौजूद श्रोताओं से कहा कि वह चाहते हैं कि अगले 10 साल में कांग्रेस की तरफ से देश में 10 महिला मुख्यमंत्री हों.

हालांकि, विडबंना यह है कि राहुल गांधी की पार्टी ने कर्नाटक की कुल 244 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 15 सीटों पर महिलाओं को उम्मीदवार बनाया. जहां तक कम से कम 10 महिला मुख्यमंत्री को लेकर उनकी आशावादिता का सवाल है, तो यहां इस बात की याद दिलाना बेहद जरूरी है कि दिल्ली में शीला दीक्षित (केंद्रशासित प्रदेश न कि राज्य) कई दशकों में पार्टी की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री थीं और कर्नाटक समेत कांग्रेस शासित राज्यों की संख्या महज 3 है, जहां आगामी 12 मई को चुनाव होने जा रहे हैं.