कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लिंगायतों के गढ़ विजयपुरम में थे. विजयपुरम की चुनावी रैली में मोदी ने कहा ‘यह भगवान बसवेश्वर की जन्म स्थली है. उन्होंने सिखाया था, कि आप किस जाति से हो, किस संप्रदाय से हो, किस मत से हो, किस पंथ से हो, ऐसा मत पूछो. बल्कि, उसको अपनाओ, उसे गले लगाओ, उसे अपना साथी समझो, उसे अपने घर का ही सदस्य समझो. लेकिन, यहां की सरकार को भगवान बसवेश्वर के आचरण के विरुद्ध काम करने की आदत हो गई है.’
मोदी ने कहा वो सबको साथ लेकर चलने की बात करते थे लेकिन, ये कांग्रेस सरकार समाज में विघटन करो, जातियों में मतभेद करो, बांटो और राज करो, तोड़ो और एक-दूसरे को लड़ाओ की नीति पर चल रही है. मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का इरादा सिर्फ और सिर्फ राज करने का है, अपनी कुर्सी बचाने का है.
कर्नाटक चुनाव प्रचार खत्म होने के दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लिंगायतों के गढ़ में पहुंचकर जिस तरह से भगवान बसवेश्वर को याद करते हुए कांग्रेस को उनके सिद्धांतों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया, उससे साफ लगा कि मोदी की कोशिश कांग्रेस को हर हाल में लिंगायत विरोधी बताने की है.
दरअसल, कांग्रेस की तरफ से जिस तरीके से लिंगायत कार्ड खेला गया उससे बीजेपी काफी तिलमिला गई थी. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म देने की मान्यता को लेकर पहल की थी. इससे लिंगायत समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा मिल जाता. इस खेल के जरिए सिद्धरमैया की कोशिश बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी की थी.
कर्नाटक की आबादी में 17 फीसदी की हिस्सेदारी वाला लिंगायत समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है. बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार वी एस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं.
यहां तक कि पहली बार जब बीजेपी की सरकार बनी तो उस वक्त भी लिंगायत समुदाय का ही सबसे बड़ा योगदान रहा था. उस वक्त येदियुरप्पा ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन, इस बार अब कांग्रेस सरकार ने बीजेपी के लिंगायत कार्ड की हवा निकालने के लिए उसे अलग धर्म के तौर पर मान्यता देने का ही दांव खेल दिया.
लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिंगायतों के गढ़ में लिंगायत समुदाय को आगाह किया कि कांग्रेस उन्हें बांटने का काम कर रही है. कांग्रेस की कोशिश फूट डालो और राज करो की है. मोदी लिंगायतों को इस नीति से बचने की नसीहत दे रहे हैं. विजयपुरम की रैली में मोदी का पूरा फोकस केवल लिंगायतों को एक करने पर रहा. उनकी हर बातों में लिंगायतों के प्रति अपनापन दिखता रहा. वो बताने की कोशिश करते रहे कि वो ही लिंगायत समुदाय के सच्चे हितैषी हैं न कि उन्हें अलग धर्म की मान्यता देने की कोशिश करने वाले कांग्रेसी नेता.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बसवेश्वर का जिक्र करते हुए भारत को ऋषियों-मुनियों की धरती बताया. मठों, मंदिरों और लिंगायत धर्म के धर्मुगुरुओं का प्रभाव कर्नाटक में काफी रहा है. लिहाजा लिंगायत मठों और धर्मगुरुओं को याद कर मोदी का लक्ष्य भगवान बसवेश्वर को याद करना था.
हालांकि कर्नाटक चुनाव के ठीक पहले अपने हाल के लंदन दौरे के वक्त भी प्रधानमंत्री ने भगवान बसवेश्वर की जयंती के मौके पर लंदन में उनकी प्रतिमा पर जाकर श्रद्धांजलि दी थी. मोदी सरकार आने के बाद 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन में टेम्स नदी के तट पर भगवान बसवेश्वर की प्रतिमा का अनावरण किया था. इस बात को अपनी चुनावी रैली में याद कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बताने की कोशिश की, कैसे उनकी सरकार ने लिंगायत समुदाय के जनक का ख्याल रखा.
पहली बार संसद के भीतर भगवान बसवेश्वर की प्रतिमा भी तब लगाई गई थी, जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी. मोदी ने विजयपुरम की अपनी चुनावी रैली में इस बात का जिक्र कर कांग्रेस पर आजादी के 60 साल बाद लिंगायतों के भगवान की उपेक्षा का आरोप लगाया था.
कर्नाटक के भीतर सूखे की समस्या से किसान काफी परेशान रहे हैं. मोदी ने अपनी रैली के दौरान राज्य में सूखे की समस्या से जूझ रहे किसानों की हालत की चिंता के बजाए कर्नाटक सरकार के सिंचाई मंत्री के दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने के मुद्दे को चतुराई से उछाल दिया. मोदी ने कहा कि यहां के सिंचाई मंत्री, शिक्षा मंत्री और खनन मंत्री राज्य के भीतर अपने विभाग के कामों को ठीक करने के बजाए दिल्ली में नामदारों के चरणों में जाकर समाज को तोड़ने का काम कर रहे थे.
मोदी ने एक बार फिर गांधी-नेहरू परिवार पर हमला बोलते हुए दिखाने की कोशिश की, कैसे उन्हें भगवान बसवेश्वर के बारे में पता तक नहीं है. लेकिन, उनके मंत्री और नेता अपने-आप को असली अनुयायी बताते फिरते हैं.
भगवान बसवेश्वर की जन्म स्थली पर मोदी का भाषण उनके अनुयायियों पर केंद्रित था. मोदी लगातार यह बताना चाह रहे थे कि कांग्रेस की चाल केवल उनके वोट बैंक को तोड़कर उसका सियासी फायदा उठाने की है, क्योंकि मोदी को भी पता है कि कांग्रेस के लिंगायत कार्ड की हवा निकाले बगैर कर्नाटक का किला फतह मुश्किल होगा.
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