view all

ड्रग्स के नशे में झुलसे पंजाब में वंशवाद के खिलाफ लहर

पिछले 10 साल की सत्ता विरोधी भारी लहर में बादल मुश्किल में आ गए हैं

Sandipan Sharma

सैकड़ों चुनावी स्टोरीज के मुकाबले कई बार कोई तस्वीर कहीं ज्यादा ताकतवर साबित होती है. ऐसे में पंजाब में क्या हो रहा है इसका बयान करने के लिए शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के नेताओं की एक तस्वीर काफी है.

पंजाब के सीमा से सटे जिले फाजिल्का की एक जेल में कुछ दर्जन नेताओं की मीटिंग हो रही है. इसमें मर्डर के आरोप में बंद एक शराब माफिया शिव लाल डोडा के संबोधन को ध्यान से सुना जा रहा है.


अंदाजा लगाइए कि शराब माफिया दरबार लगाए हुए है. इस मीटिंग में एसयूवी के काफिले में पहुंचे अकाली नेता और कार्यकर्ता बड़े गौर से डोडा की बनाई जा रही चुनावी रणनीति को सुन रहे हैं. ये नेता डोडा की बातों पर सहमति में सिर हिलाते नजर आते हैं. एक सीनियर पुलिस अफसर भी मौके पर मौजूद हैं ताकि मीटिंग में कोई खलल न पड़ सके.

अकालियों की हताशा का अंदाजा लगाइए. राज्य में कानून और व्यवस्था कैसी होगी इसका भी अंदाजा आप लगा सकते हैं. आप यह भी सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि तंत्र कितना लचर हो गया है और इसमें कितनी गिरावट आई है.

कांग्रेस पार्टी का चुनावी मैनीफेस्टो जारी करते हुए मनमोहन सिंह

दक्षिण-पश्चिम में मौजूद फाजिल्का से लेकर उत्तर में मौजूद गुरदासपुर तक पूरे पंजाब में बदलाव की तेज हवा बह रही है. अगर कोई चमत्कार न हो या नकदी की जगह सोने की टिक्कियां वोटरों को लुभाने के लिए न बांटी जाएं, तब तक इस बदलाव को रोक पाना आसान नहीं होगा.

किसकी बाजी

चुनावी जंग में बाजी कौन मारेगा यह चीज शायद अभी साफ नहीं है. लेकिन, इस जंग में किसे हराया जाना है, यह वोटरों के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा है.

चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर उतरते ही आपको अंधेरा और बोझिल करने वाला ऐसा माहौल दिखाई देगा, जो कि हॉरर फिल्मों की शूटिंग के लिए मुफीद होता है. इस सब में आपको यही सुनाई देगा कि वोटर किसे नहीं चाहते हैं.

ये भी पढ़ें: नोटबंदी का असर पक्का, रंगत नहीं

एयरपोर्ट से शहर के बीच तक ले जाने वाले कैब ड्राइवर 23 साल के मनप्रीत सिंह कहते हैं, ‘आप जहां भी जाएं लोग आपको बताएंगे कि किस तरह से ड्रग्स ने जिंदगियों को बर्बाद किया है. उन्होंने जिंदगियां तबाह की हैं.’ यह कहकर वह उड़ता पंजाब के गाने 'चित्ता वे' को गुनगुनाना शुरू कर देता है.

पूर्व डीजीपी (पंजाब जेल) शशिकांत बताते हैं, ‘पंजाब के मौजूदा हालात का सूत्रधार बादल परिवार है.’ ड्रग्स के खिलाफ जंग के मसीहा माने जाने वाले इस पूर्व पुलिस अधिकारी ने एक अलग ही कहानी बताई.

वह कहते हैं कि बादल परिवार को ठीक उसी तरह देखा जाना चाहिए, जैसे मिस्र के लिए होस्नी मुबारक थे. वो कहते हैं, ‘अगर इन्हें लोकतांत्रिक तौर पर नहीं हटाया गया तो लोग सड़कों पर उतर आएंगे और इन्हें घसीट कर सत्ता से बाहर फेंक देंगे.’

बादल परिवार के नेता अकाली दल का घोषणापत्र जारी करते हुए

फाजिल्का की जेल में अकालीन नेताओं के साथ मीटिंग कर रहे शराब माफिया शिव लाल डोडा पर चुनाव आयोग की एक टीम ने छापा मारा, जिससे यह पूरा मामला उजागर हुआ. लेकिन, इससे पता चलता है कि पंजाब किस तरह से सड़न का शिकार हो रहा है. इससे यह भी पता चलता है कि क्यों पंजाब के लोग बादल परिवार से नफरत करने लगे हैं.

बर्फ बेचने से हत्या करने तक

अस्सी के दशक में बर्फ बेचने वाले के तौर पर शुरुआत करने वाले डोडा ने कामयाबी की सीढ़ियां तेजी से चढ़ीं. एक दशक में वह पश्चिमी पंजाब में डॉन कार्लियन जैसी शख्सियत बन गया. सालों तक उसे अकालियों के सहयोगी के तौर पर देखा जाता रहा. अपने फार्महाउस में एक दलित की कथित तौर पर क्रूरतापूर्वक हत्या में मुख्य अभियुक्त के तौर पर सामने आने के बाद अकालियों ने उससे नाता तोड़ लिया.

दागदार इतिहास और आपराधिक रिकॉर्ड वाला यह शख्स अकालियों के चुनावी भाग्य से जुड़ा हुआ है. कुछ दिन पहले डोडा ने अबोहर से उम्मीदवारी दाखिल की. इस विधानसभा क्षेत्र में वह 2012 का चुनाव हार गया था. कांग्रेस के दिग्गज सुनील जाखड़ ने डोडा को हरा दिया था.

ये भी पढ़ें: अकाली दल का घोषणापत्र

लेकिन, जेल में मीटिंग के बाद डोडा ने बीजेपी को समर्थन देने के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का फैसला किया. अकालियों के साथ गठबंधन में बीजेपी को यह सीट आवंटित हुई है. एक हास्यपूर्ण स्थिति में कुछ तकनीकी वजहों से डोडा वक्त पर अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं ले सका और इस तरह से वह अभी भी मैदान में है.

वोटरों का कहना है कि तकरीबन पूरा पंजाब इस वक्त बादल परिवार और उनके डोडा जैसे अपराधी दोस्तों के कब्जे में है. चंडीगढ़ इनकी सत्ता का प्रतीक है, भटिंडा में इनका राजनीतिक दबदबा है. अमृतसर में उपमुख्यमंत्री सुखबीर बाद के बहनोई बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की चलती है.

मनीष सिसोदिया ने कुछ दिन पहले ये कहकर हलचल मचा दी थी कि पंजाब में सीएम केजरीवाल हो सकते हैं

यहां ऐसा वंशवाद पनपा है जिसमें सत्ता की पूरी मलाई एक ही परिवार खा रहा है. पिता मुख्यमंत्री हैं. बेटा उप मुख्यमंत्री है. परिवार की बहू हरसिमरत कौर बादल दिल्ली में नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं. बादल के दामाद आदेश प्रताप सिंह कैरों राज्य कैबिनेट का एक कद्दावर मंत्री है. इसी तरह से सुखबीर बादल का बहनोई मजीठिया भी हैं.

ये भी पढ़ें: हर गरीब को घर, हर घर में नौकरी

केवल राजस्थान का राजे घराना ही इस तरह के मुकाम पर है. यहां मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे सांसद दुष्यंत सिंह के पास इतनी ही सत्ता की ताकत है.

एक परिवार के हाथ में सत्ता

पूरी सत्ता एक परिवार के हाथ में केंद्रित होने के बावजूद बदलाव की बयार कुछ ऐसी है कि इसमें पूरा टारगेट यही एक परिवार है. शशिकांत बताते हैं, 'अगर कोई सेना अक्षम और भ्रष्ट है तो उसके जनरल का नाम खराब होता है. आज पंजाब इस वजह से बर्बाद हो रहा है क्योंकि यह ड्रग्स के शिकंजे में फंसा हुआ है. यहां बेरोजगारी फैली हुई है, खेतीबाड़ी संकट में है और एक संगठित लूट मची हुई है. लोग इस सबके लिए बादल परिवार को जिम्मेदार मानते हैं.'

ऐसे में पिछले 10 साल की सत्ता विरोधी भारी लहर में बादल मुश्किल में आ गए हैं. इनका कट्टरपंथी वोटबैंक इनसे छिटक गया है. युवा वोटर आप और कांग्रेस के साथ है.

पंजाब लंबे समय तक ड्रग्स और माफिया के चपेट में रहा है

विकास के एजेंडे से एक दशक पहले बादलों को सत्ता हासिल हुई थी. लेकिन अब इनके नीचे की जमीन खिसक रही है. अब परिवार को अपने गढ़ में ही कड़ी चुनौती मिली हुई है.

लांबी में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को कैप्टन अमरिंदर सिंह चुनौती दे रहे हैं.

जलालाबाद में सुखबीर सिंह आप के भगवंत मान और कांग्रेस के रणबीर सिंह बिट्टू के साथ जंग में उलझे हुए हैं. बिट्टू लुधियाना से कांग्रेस एमपी हैं और पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के बेटे हैं. मजीठा में बिक्रमजीत सिंह भी त्रिकोणीय लड़ाई में फंसे हैं.

राज्य में दोबारा से लहर पैदा कर रही आप का वादा न सिर्फ बादल परिवार को सत्ता से बाहर करने का है बल्कि इनके सदस्यों को जेल भेजने का भी है.

पंजाब में एक जोक चल रहा है कि अगर ऐसा होता है तो डोडा के पास फाजिल्का जेल में दरबार लगाने के लिए ज्यादा बड़ा श्रोता होगा.