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पीएम ने जज्बात में नहीं, सधी हुई चुनावी रणनीति के तहत कांग्रेस पर हमला बोला

मोदी ने बड़ी चतुराई से कर्नाटक के वोटरों को संदेश दे दिया. उन्होंने बताया कि किस तरह कांग्रेस के नेता, एक परिवार को खुश करने के लिए राज्य की ऐतिहासिक विरासत को नीचा दिखा रहे हैं

Ajay Singh

हे प्रभु ! मेरी अरज सुनो...

जो स्थिर है उसका पतन हो


जो चलायमान है वही बचा रहे...

ये बात बारहवीं सदी के कर्नाटक के समाज सुधारक और दार्शनिक बासवेश्वरा ने कही थीं. जब बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देने के लिए संसद के दोनों सदनों में गए होंगे, तो उनके जेहन में यही बातें चल रही होंगी. बासवेश्वरा ने ब्रिटेन में मैग्ना कार्टा बनने के बहुत पहले अपनी बातों में लोकतांत्रिक मूल्यों और भारतीय अध्यात्म की वकालत की थी.

जब मोदी के जेहन में बासवेश्वरा की बातें चल रही होंगी, तो न तो उनके अंदर गुस्सा रहा होगा, न ही आक्रामकता. मोदी अपने ही अंदाज में संसद में दिखे थे. उनका पूरा ध्यान अपने भाषण पर था. लेकिन, जैसे ही वो सदन में पहुंचे, उन्हें अंदाजा हो गया कि पूरा विपक्ष उनके भाषण को पटरी से उतारने पर आमादा है. ऐसा पहली बार हुआ था जब संसद में विपक्ष ने प्रधानमंत्री के जवाबी भाषण में इतना खलल डाला हो.

विपक्ष के हमले देखते हुए मोदी ने उसी वक्त कड़े तेवर दिखाने का फैसला कर लिया. ये फैसला जज्बाती रहा हो, ऐसा नहीं था. मोदी ने सियासी रणनीति के तहत ये फैसला किया. भाषण की शुरुआत से ही मोदी ने कांग्रेस पर करारे हमले करने शुरू कर दिए. कांग्रेस की रणनीति थी कि वो शोर मचाकर मोदी को चुप करा लेगी. इसके जवाब में मोदी ने अपने सुर ऊंचे कर लिए, ताकि विपक्ष का शोर दब जाए. अपने भाषण में मोदी ने कभी व्यंग्य, तो कभी मजाक और कटाक्ष, तो कभी बेहद तीखे बयानों से विपक्ष, खास तौर पर कांग्रेस पर पलटवार किया.

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जिस तरह पीएम मोदी ने राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी की हंसी पर लगाम लगाई, वो इसकी मिसाल था. मोदी के भाषण के दौरान रेणुका चौधरी बहुत जोर-जोर से हंस रही थीं. जब राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने इस पर ऐतराज जताया तो, मोदी ने कहा कि, 'उन्हें हंसने दीजिए. हम तो रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का सौभाग्य आज हमें मिला है'.

अब जिन्हें मोदी का ये कटाक्ष समझ में आया होगा, वो यकीनन ये जान गए होंगे कि ऐसी हंसी, रामायण सीरियल में राक्षस रावण हंसता था. लोकसभा में जब नारेबाजी के बीच मोदी ने भाषण शुरू किया, तो उन्होंने चुन-चुनकर वो मुद्दे, वो बातें उठाईं, जो कांग्रेस, खास तौर से सोनिया-राहुल को निशाने पर लेने वाली थीं. पीएम मोदी ने अपने भाषण में वंशवाद, आपातकाल और भ्रष्टाचार के मसले तो उठाए ही. उन्होंने खास तौर से आंध्र प्रदेश का बंटवारा करके तेलंगाना राज्य बनाने का जिक्र किया. मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने आंध्र का बंटवारा सिर्फ सियासी फायदे के लिए किया, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ने उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्यों का गठन विकास और बेहतर प्रशासन के लिए किया था.

मोदी के भाषण में तेलंगाना का जिक्र पहले से तय नहीं था. असल में जब आंध्र प्रदेश के कांग्रेसी सांसदों ने सदन में हंगामा शुरू किया, तो उन्हें बैकफुट पर धकेलने के लिए मोदी ने फौरन तेलंगाना का जिक्र छेड़ दिया.

जो लोग मोदी के भाषण को जज्बाती नजर से देख रहे हैं, वो सरासर गलत हैं. मोदी का भाषण पूरी तरह से चुनावी था. उन्होंने पूरी रणनीति के साथ कांग्रेस पर हमले का फोकस अपने भाषण में रखा. जिस तरह से उन्होंने लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पर हमला बोला, उससे ये बात एकदम साफ है. मोदी ने खड़गे पर हमला, कर्नाटक में होने वाले चुनाव को ध्यान में रखकर किया.

मोदी ने मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि वो तो सिर्फ अपनी लोकसभा सीट बचाने के लिए एक खास परिवार के कसीदे पढ़ते रहते हैं. वंशवाद के प्रति उनके प्रेम की यही वजह है. मोदी ने खड़गे के भाषण के उस हिस्से का खास तौर से जिक्र किया, जिसमें खड़गे ने कहा था कि देश में लोकतंत्र, कांग्रेस और जवाहरलाल नेहरू की देन है.

मोदी ने कहा, 'खड़गे जी, आप संत बासवेश्वरा का अपमान कर रहे हैं'. मोदी ने याद दिलाया कि कर्नाटक के मशहूर लिंगायत संत बासवेश्वरा ने ही 'अनुभव मंतप' के नाम से खुली संसद बुलाई थी. इसमें समाज के सभी तबके के लोग हिस्सा ले सकते थे. इसमें जाति, धर्म या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता था. हर फैसला मिल-जुलकर लिया जाता था.

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मोदी ने बड़ी चतुराई से कर्नाटक के वोटरों को संदेश दे दिया. उन्होंने बताया कि किस तरह कांग्रेस के नेता, एक परिवार को खुश करने के लिए राज्य की ऐतिहासिक विरासत को नीचा दिखा रहे हैं.

(इस लेख को अंग्रेजी में यहां पढ़ें.)