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नेहरू से राहुल गांधी तक... मोदी ने कांग्रेसी विरासत को धो डाला

मोदी के लंबे भाषण ने निचली पंक्ति के नेताओं को 2019 के आम चुनाव के लिए कई मुद्दे दे दिए हैं. इससे चुनाव के लिए अनुकूल माहौल बनाने में मदद मिलेगी

Updated On: Feb 08, 2018 03:49 PM IST

Sanjay Singh

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नेहरू से राहुल गांधी तक... मोदी ने कांग्रेसी विरासत को धो डाला

एक ही विषय पर एक घंटे के अंतराल के बीच संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग कंटेंट के साथ बोलने के लिए पक्का होमवर्क, शानदार भाषण शैली और हाजिरजवाब होने की जरूरत होती है. निश्चित रूप से यह उच्च दर्जे की कला है. राष्ट्रपति के भाषण से जुड़े धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित कर दिया कि इस कला पर उनकी पकड़ बेजोड़ है.

उनके लंबे भाषण ने निचली पंक्ति के नेताओं को 2019 के आम चुनाव के लिए कई मुद्दे दे दिए हैं. इससे चुनाव के लिए अनुकूल माहौल बनाने में मदद मिलेगी. लोकसभा में उनका भाषण डेढ़ तो राज्यसभा में करीब एक घंटे का था.

इस मौके पर मोदी ने पांच बड़े मुद्दों पर अपनी बात रखी–

सबसे पहले उन्होंने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला. जब वो लोकसभा से 50 यार्ड की दूरी पर स्थित राज्यसभा में पहुंचे तो उन्होंने खुलकर 'कांग्रेस मुक्त भारत' की प्रतिबद्धता दोहराई. विपक्षी दलों के सांसदों को उन्होंने याद दिलाया कि महात्मा गांधी भी आजादी के बाद यही चाहते थे. लोकसभा में उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लिए लोकतंत्र का मतलब एक परिवार (नेहरू-गांधी खानदान) का शासन है, और अब भारत के लोगों ने इस वंशवादी राजनीति को खारिज कर दिया है.

दूसरा, उन्होंने बंटवारे के बाद आंध्र प्रदेश को मुआवजे के तौर पर मिलने वाली राशि के आवंटन पर अपनी सहयोगी तेलुगुदेशम पार्टी का गुस्सा कम किया.

तीसरा, अपनी पार्टी के वोट बैंक यानी मध्यवर्ग, ओबीसी, किसान और दलितों की चिंताओं को दूर किया.

चौथा, पिछले तीन साल में उनकी सरकार की ओर से शुरू विकास योजनाओं का विस्तार से ब्यौरा दिया. उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार के 10 साल के शासन के तौर-तरीकों और अपनी सरकार के शासन की तुलना की.

पांचवां, अपने राजनीतिक विरोधियों और आलोचकों के इस आरोप का जवाब दिया कि वो पार्टी के वयोवृद्ध नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी का ख्याल नहीं रखते.

अटल और आडवाणी को भी किया याद

अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य ऐसा नहीं है कि वो संसद की घटनाओं समेत किसी भी स्थिति पर अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकें. लेकिन अगर उनके मौखिक और लिखित विचारों को शब्दों में पिरोने की बात हो तो जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों सदनों में उनकी विरासत को बार-बार याद किया, वो इस पर गर्व महसूस करेंगे. भले ही वाजेपीय आज सक्रिय नहीं हो और उनकी दिनचर्या अपने घर और बिस्तर तक सीमित हो लेकिन राजनीति के अंदर (बीजेपी के सभी पुराने सहयोगी) और बाहर के लोगों में उनकी साख गजब की है. मोदी ने इस बीजेपी संस्थापक को नेता, प्रशासक और कवि के रूप में अनुराग से याद किया.

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'छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता' वाजपेयी की कविता की इस पंक्ति के साथ मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा और दलील दी कि क्यों कांग्रेस (राहुल गांधी के नेतृत्व वाली) निकट भविष्य में सत्ता में आने का न पूरा होने वाला सपना देख रही है.

narendra modi atal bihari

मोदी ने राज्य सभा में लालकृष्ण आडवाणी का हवाला देते हुए आधार पर कांग्रेस के दावों की हवा निकाली.

टीडीपी को किया खुश

मोदी के भाषण की शुरुआत में ही पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का जिक्र आया. प्रधानमंत्री ने कहा, वाजपेयी जी के राज में तीन राज्य झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से अलग कर बनाए गए. मूल राज्यों और नए बने राज्यों के बीच सत्ता का हस्तांतरण और संसाधनों के आवंटन की पूरी प्रक्रिया बेहतर तरीके से अंजाम दी गई. इसके विपरीत, मनमोहन सिंह सरकार ने आंध्र प्रदेश से तेलंगाना का निर्माण जल्दबाजी में किया. ऐसे वक्त किया जब सदन व्यवस्थित नहीं था और चुनाव सिर पर थे. कांग्रेस के विभाजनकारी चरित्र की वजह से आजादी के 70 साल बाद भी देश इसकी पीड़ा भोग रहा है. यही आंध्र प्रदेश के बंटवारे के समय भी हुआ.

जहां उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाए वहीं सहयोगी टीडीपी को खुश किया. उन्होंने 1980 में एनटी रामाराव की ओर से तेलुगुदेशम पार्टी के गठन के पीछे की परिस्थितियों की याद दिलाई. प्रधानमंत्री ने कहा कि टीडीपी का गठन तब हुआ, जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री टी अंजैया के साथ राजीव गांधी के व्यवहार को लेकर चौतरफा गुस्सा था.

कांग्रेस को किया चारों खाने चित

धन्यवाद प्रस्ताव पर भाषण के आखिर में मोदी ने जिस आक्रामकता के साथ कांग्रेस की राजनीतिक धुलाई की उसने मुख्य विपक्षी दल को बुरी तरह प्रभावित किया. कांग्रेस के सदस्य इतने नाराज थे कि वो भाषण के मुद्दों पर देर तक विरोध जताते रहे. लोकसभा में कांग्रेस ने अपने सांसदों को सदन में हंगामा करने की छूट देकर रणनीतिक चूक कर दी. हालांकि मोदी ने शोर-शराबे के बीच भी भाषण जारी रख विरोधियों को चारों खाने चित्त कर दिया. उन्होंने कहा, 'ये आवाज दबाने की इतनी कोशिश नाकाम रहने वाली है. सुनने की ताकत रखो.'

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मोदी ने राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और लोकसभा में नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषणों को आधार बनाकर मुख्य विरोधी दल और उसके प्रथम परिवार पर ताबड़तोड़ हमले किए. दो दिन पहले आजाद ने यह कहकर अपने समर्थकों को खुश कर दिया था कि वो 'न्यू इंडिया' नहीं चाहते हैं, उन्हें 'पुराना' भारत लौटा दिया जाए. उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार की कई योजनाएं 'गेमचेंजर' नहीं बल्कि 'नेमचेंजर' (यूपीए सरकार की पुरानी योजनाएं)” हैं. यूपीए सरकार से अलग मोदी ने नई दलील दी और कहा कि उनकी सरकार टएमचेंजर' है और फोकस आखिरी आदमी पर है.

modi in rs

पुराना भारत मांगने वाले आजाद के बयान पर प्रधानमंत्री ने कुछ इस तरह तंज कसा- कौन सा पुराना भारत आप चाहते हैं, जिसमें जीप, बोफोर्स, पनडुब्बी और दूसरे घोटाले हुए. वो पुराना भारत जिसमें आपातकाल लगा, वो पुराना भारत जिसके प्रधानमंत्री ने यह कहकर कि बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है हजारों बेकसूर सिखों की हत्या हो गई, तंदूर कांड वाला पुराना भारत या फिर वो पुराना भारत जिसमें भोपाल गैस कांड के बाद भी वारेन एंडरसन को भागने दिया गया. वो पुराना भारत जहां हर व्यक्ति को एक परिवार के गुणगान के लिए मजबूर किया गया.

लोकतंत्र पर कांग्रेस के दावों को किया खारिज

लोकसभा में मोदी ने खड़गे के इस बयान पर जबरदस्त हमला बोला कि नेहरू और कांग्रेस ने भारत को लोकतंत्र दिया. मोदी ने यह दलील दी कि आजाद होने और नेहरू के प्रधानमंत्री बनने से सदियों पहले से भारत का अस्तित्व था. उन्होंने कहा, 'मैं यह देखकर चकित हूं कि आपके अंदर कितना गुमान है. प्राचीन काल में बिहार के वैशाली में लिच्छवी गणराज्य में भी तो लोकतंत्र था.'

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मोदी ने इस दावे पर भी कांग्रेस को आड़े हाथों लिया कि नेहरू ने इस देश को लोकतंत्र दिया. उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा, 'जब भारत आजाद हुआ तो कांग्रेस कार्यसमिति के अधिकतर सदस्य सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में थे, लेकिन देश का नेतृत्व करने के लिए सरदार पटेल के ऊपर नेहरू को चुना गया. यह कैसा लोकतंत्र था. तब लोकतंत्र कहां था जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया. वो किस तरह का लोकतंत्र था जब राजीव गांधी ने हैदराबाद एयरपोर्ट पर आंध्र प्रदेश के दलित मुख्यमंत्री का सार्वजनिक रूप से अपमान किया था. वो कैसा लोकतंत्र था जब कांग्रेस ने अनुच्छेद 356 का उपयोग कर देश की कई चुनी हुई राज्य सरकारों को गिरा दिया. वो कैसा लोकतंत्र था जब राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में मनमोहन सिंह सरकार से मंजूर एक अध्यादेश को फाड़ कर फेंक दिया था. राहुल गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष बनना लोकतंत्र था या ताजपोशी.'

लगता है मोदी सरकार पर आरोप लगाने से पहले कांग्रेस अपना इतिहास देखना भूल गई.

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