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गुजरात चुनाव 2017: सीडी कांड के बावजूद हार्दिक की लोकप्रियता पर असर नहीं

हार्दिक के लगभग 50 मिनट के भाषण के दौरान लोग उन्हें सुन भी रहे हैं. तालियां भी खूब बज रही हैं. हाथ में नीले झंडे लिए और जय सरदार के नारों के साथ पूरा ग्राउंड बार-बार गूंज रहा है

Amitesh

राजकोट के नाना मोवा सर्किल इलाके में हार्दिक पटेल के आने का इंतजार हो रहा था. लेकिन, उसके पहले वहां मौजूद भारी भीड़ लगातार हार्दिक-हार्दिक के नारे लगा रही थी. यह नारा ठीक उसी अंदाज में था जिस अंदाज में मोदी-मोदी के नारे प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों में लगाए जाते हैं.

हार्दिक पटेल जब मंच पर पहुंचे तो फिर भीड़ का उत्साह और भी ज्यादा बढ़ गया. रैली में हार्दिक को देखने और सुनने के लिए आए लोगों में अधिकतर युवा ही दिख रहे थे. मंच के सामने ग्राउंड में भी और मंच पर भी युवाओं की ही भरमार थी.


हार्दिक के आने में देरी भी हुई. शाम 6.30 को ही उन्हें आना था, लेकिन, एक झलक पाने और सुनने के लिए आए लोगों का जमावड़ा रात 9 बजे तक लगा रहा.

हार्दिक की रैली के पहले मेरे मन में भी यह सवाल बार-बार आ रहा था कि हार्दिक की सीडी के सामने आने के बाद आखिरकार साख पर कितना असर पड़ा है ? एक और बात दिमाग में आ रही थी कि हार्दिक ने अबतक आरक्षण को लेकर आंदोलन चलाया था तबतक तो पटेल समाज के युवा उनके साथ थे, लेकिन, कांग्रेस से हाथ मिलाने के बाद क्या बदलाव आएगा ?

लेकिन, राजकोट की रैली में पहुंचे युवाओं से बातचीत के दौरान लगा की हार्दिक को लेकर सामने आई विवादास्पद सीडी का असर उनकी लोकप्रियता को लेकर नहीं दिख रहा है.

हार्दिक के साथ रहेंगे तभी मिल सकता है आरक्षण 

रैली में मौजूद राजकोट के रहने वाले संजय पटेल का कहना था ‘हम हार्दिक के साथ हैं. हार्दिक ने आरक्षण को लेकर जो आंदोलन चलाया था, वो सही था. हम हार्दिक के साथ रहेंगे तभी हमें आरक्षण मिलेगा.’

हार्दिक की रैलियों में अभी भी वैसी ही भीड़ जुट रही है जैसे सीडी कांड के पहले थी.हालाकि इस भीड़ को कांग्रेस को वोट करने वाले तराजू पर तौल कर देखना जल्दबाजी होगी.

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हार्दिक खुद चुनाव नहीं लड़ रहे लेकिन,उनके कहने से अबतक बीजेपी को वोट देते हुए आए युवाओं पर क्या असर होगा, क्या वो बीजेपी का साथ छोड़ इस बार कांग्रेस के साथ चले जाएंगे. अभी यह एक बड़ी पहेली बना हुआ है. क्योंकि दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी की रैली में भी कुछ ऐसे युवाओं से मुलाकात हुई जो कांग्रेस के साथ उनके जाने को गलत बताकर बीजेपी को ही वोट देने की वकालत कर रहे हैं.

राजकोट के ही रहने वाले विक्रम पटेल बेसब्री से हार्दिक के आने का इंतजार कर रहे थे. उनकी नाराजगी इस बात से थी कि जब आठ बजे रात को नोटबंदी हो सकता है, आधी रात को जीएसटी हो सकता है तो फिर आधी रात को अनामत लागू करने की तैयारी क्यों नहीं हो सकती. हमें तो बस अनामत चाहिए.

आरक्षण को ले विश्वास से ज्यादा है लाठीचार्ज का असर 

लेकिन, विक्रम पटेल से जब मैंने पूछा कि आपने इसके पहले किसकी तरफ वोट किया था तो उनका जवाब जीपीपी था. जी हां केशुभाई पटेल ने पिछले चुनाव में अलग पार्टी बनाकर जीपीपी का गठन कर दिया था लेकिन, विक्रम पटेल इस बार भी बीजेपी के खिलाफ हार्दिक के साथ दिख रहे हैं.

हार्दिक पटेल के साथ खडे युवाओं में आरक्षण को लेकर भरोसा और विश्वास से ज्यादा आंदोलन के दौरान लाठी चार्ज का ज्यादा असर दिख रहा है. हार्दिक पटेल को सुनने आए अशोक पटेल का कहना था ‘अहमदाबाद के जीएमडीसी ग्राउंड में दो साल पहले हुए लाठीचार्ज की याद अभी जेहन से नहीं गई है. नाराजगी उस लाठी चार्ज में युवाओं की पिटाई और कई जगहों पर उनके मारे जाने को लेकर है.’

पटेल समुदाय के कई लोगों से बात करने के बाद ऐसा लगा कि उनके मन में भी कांग्रेस के साथ जाने पर आरक्षण की गुंजाइश नहीं दिख रही, लेकिन, आंदोलन के दौरान पड़ी मार का असर उन्हें हार्दिक के साथ जाने पर मजबूर कर रहा है.

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हार्दिक ने मंच से जब बोलना शुरू किया तो एक बार फिर से निशाने पर बीजेपी सरकार थी. आंदोलन की आग और उस आंदोलन की आग में झुलसे युवा पटेलों की याद को तरोताजा करने में लगे हार्दिक पटेल आरक्षण के मुद्दे को ही उठाकर युवाओं को अपने पास बांधे रखना चाहते हैं.

मंच से कांग्रेस के साथ हुई डील और आरक्षण को लेकर दिए गए फॉर्मूले को सही ठहराया जा रहा है. रैली में मौजूद युवा पटेलों के भीतर आरक्षण की आग तो लगाई ही जा रही है. लेकिन, उससे भी कहीं ज्यादा उनके साथ हुई ज्यादती की बात कहकर उन्हें अपने वोट से बदला लेने की बात की जा रही है.

हार्दिक की रैली में उमड़ रही भीड़ परेशान कर रही बेजीपी को 

हार्दिक के लगभग 50 मिनट के भाषण के दौरान लोग उन्हें सुन भी रहे हैं. तालियां भी खूब बज रही हैं. हाथ में नीले झंडे लिए और जय सरदार के नारों के साथ पूरा ग्राउंड बार-बार गूंज रहा है.

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के घर में ही उन्हें घेरने के लिए हार्दिक पटेल ने राजकोट में बड़ी रैली की है.

कोशिश बीजेपी को पटेल विरोधी बताने की है. क्योंकि सरदार पटेल की विरासत पर अपना दावा कर रही बीजेपी बार-बार सरदार पटेल से लेकर कई पटेल नेताओं और मुख्यमंत्रियों को किनारे करने का आरोप कांग्रेस पर लगा रही है. हार्दिक और उनके साथी उलट बीजेपी पर पटेल नेताओं को दरकिनार करने का आरोप लगा रहे हैं.

हार्दिक पटेल के विरोध की धार को कुंद करने के लिए बीजेपी ने इस बार 182 में से 52 पटेलों को मैदान में उतार दिया है. नाराजगी कम करने की कोशिश हो रही है. पार्टी को भरोसा है कि पहले की तरह ही सारे पटेल बीजेपी के ही साथ रहेंगे. केवल कांग्रेस के साथ पहले से ही रहने वाले पटेल हार्दिक और कांग्रेस का साथ देंगे.

लेकिन, हार्दिक पटेल की रैली में जिस अंदाज में भीड़ जमा हो रही है. उस भीड़ ने बीजेपी को परेशान कर दिया है. हार्दिक पटेल के कहने से रैली में आने वाले युवा कांग्रेस को वोट करें या न करें लेकिन, रैली के दौरान उनकी मौजूदगी ने बीजेपी को परेशान कर दिया है.