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अपनी पार्टी के लिए तूफान से कश्ती निकाल लाए मोदी

सोमवार को मोदी ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को नया नारा दिया, 'जीतेगा भाई जीतेगा, विकास ही जीतेगा.

Sanjay Singh

नई दिल्ली में 11 अशोका रोड के बीजेपी दफ्तर पहुंचने पर नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत किया गया. जोश से भरे कार्यकर्ताओं द्वारा की गई गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश से उनकी काली बुलेटप्रूफ कार गुलाबी और लाल दिख रही थी. अप्रत्याशित रूप से छठी बार गुजरात की सत्ता में वापसी और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस से छीन लेने के बाद उनके लिए यह जबरदस्त उत्साह की घड़ी थी. लेकिन दूर कहीं बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में खलिश भी थी कि गुजरात की जीत उतनी शानदार नहीं थी, जैसी वो उम्मीद कर रहे थे.

आखिरकार जब जुलाई 2013 में मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था, उसके बाद बीजेपी ने जितने भी चुनाव लड़े, बिहार और दिल्ली को छोड़कर सभी में बीजेपी की जीत का अंतर बढ़ा ही है. गुजरात मोदी का गृह प्रदेश है और उम्मीद की जा रही थी कि यही रुख यहां भी दोहराया जाएगा.


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बीजेपी साल 2012 की तुलना में ज्यादा वोट फीसद से जीती है, लेकिन कांग्रेस के मुकाबले घटे हुए अंतर से; और अंतिम नतीजे बताते हैं कि 182 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी को 99 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस को 80. इसमें कोई शक नहीं है कि मोदी ने अपनी पार्टी के लिए गुजरात जीता है. उनके जादू और जज्बाती अपीलों के अभाव में पार्टी इसे हार भी सकती थी. उनके लिए पुराना फिल्मी गाना बहुत सटीक बैठता है, 'हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के…' और फिर मोदी ने अपने खास अंदाज में इस जीत को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व राज्य में लाखों कार्यकर्ताओं को समर्पित कर दिया.

उन सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों, जिनके मन में गुजरात में पार्टी की जीत को लेकर कोई शक था, उनके लिए मोदी का संदेश बहुत सादा सा था- आंकड़ों को लेकर शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है.

हकीकत यह है कि पार्टी (मोदी) ने 27 साल के सत्ता विरोधी फैक्टर को पराजित किया है और अगले पांच साल के लिए फिर से सत्ता हासिल की है, जो कि गर्व का विषय है. मोदी ने कहा, “यह साधारण जीत नहीं है. यह असाधारण है. कुछ लोग बीजेपी की जीत को हजम नहीं कर पा रहे हैं, उन पर अपना समय मत व्यर्थ कीजिए और 2022 तक नव-भारत के सृजन पर ध्यान केंद्रित कीजिए.'

बाद में उन्होंने ट्वीट किया. गुजरात में जीत बहुत खास है. 1989 में शुरुआत से गुजरात के लोगों ने हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी को आशीर्वाद दिया है. इतने वर्षों तक गुजरात की सेवा करना हमारे लिए सम्मान की बात है. हम गुजरात के विकास के लिए काम करते रहेंगे.

https://twitter.com/narendramodi/status/942765865572868098

उनका धन्यवाद ज्ञापन भाषण तीन मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता है- पहला, चुनाव नतीजों ने जीएसटी और इस पर लोगों के गुस्से को लेकर दिल्ली के 'बुद्धिजीवियों' के फैलाए भ्रम का निर्णायक रूप से फैसला कर दिया है. उनका तर्क था कि उत्तर प्रदेश में शहरी निकायों के चुनाव, गुजरात विधानसभा चुनाव और महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों ने संदेह करने वालों को गलत साबित कर दिया है.

मोदी के पास इस दावे के वाजिब कारण भी हैं. बीजेपी ने सूरत में सभी 12 विधानसभा सीटें जीती हैं, जिसने व्यावसायिक और वाणिज्यिक समुदाय के गुस्से को लेकर देश भर में हेडलाइंस में बनाई थी, और संभावना थी कि ये लोग बीजेपी के खिलाफ वोट करेंगे.

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दूसरा, उन्होंने गुजराती समुदाय के जातीय आधार पर और जातिवादी बंटवारे पर अपनी चिंता जताई, जो कि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की एक बुरी प्रथा रही है और जिसके गुजरात में भी उसी तीव्रता से फैल जाने का खतरा है. मोदी ने गुजरात के लोगों से यहां तक अपील की कि समाज को एकजुट रहना चाहिए और विभाजनकारी भावनाओं से सामाजिक समरसता व विकास प्रक्रिया को बाधित नहीं होने देना चाहिए.

उन्होंने हालांकि आरक्षण आंदोलन के दौरान 14 नौजवानों के पुलिस फायरिंग में मारे जाने की घटना को लेकर पाटीदार समुदाय और उनके दुख व गुस्से (जिस समुदाय के एक हिस्से का नेतृत्व हार्दिक पटेल ने किया था) और उना की घटने के बाद दलितों में गुस्से का जिक्र नहीं किया, लेकिन यह शीशे की तरफ साफ था कि वो समाज के किस तबके के बारे में बात कर रहे हैं.

पाटीदार 1985 से ही बीजेपी के बड़े समर्थक रहे हैं और सामाजिक रूप से या किसी भी तरह से सत्तारूढ़ पार्टी उनके अलगाव का दबाव झेल नहीं सकती. दलितों के मामले में भी यही स्थिति है.

मोदी जानते हैं कि विजय रूपाणी के लिए उनकी चिंताओं को आवाज देना मुश्किल होगा, जिस तरह वह कर सकते हैं, इसलिए उन्होंने ठीक समझा कि लोगों से सीधे अपील कर दी जाए. पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए कि वह समाज के विभिन्न तबकों को एक साथ जोड़ सकते हैं, जिनका पार्टी के साथ मोहभंग हो गया है.

मोदी ने कहा कि मैदान में चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच लड़ा गया, लेकिन बहुत सी अन्य शक्तियां भी थीं, जिन्होंने चुनावी लाभ के लिए मनमुटाव के बीज बोए. यह अब पार्टी और सरकार की जिम्मेदारी है कि इन चिंताओं पर ध्यान दे.

तीसरा, यह एक और मौका था जब मोदी ने समाज के सभी वर्गों की बढ़ती आकांक्षा की बात की और मौजूदा सरकार के इन पर खरा उतरने की बात कही. अगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीजेपी के खिलाफ चुनावी तंज (हालांकि यह उधार लिया हुआ ही था), 'विकास गांडो थायो छे (विकास पागल हो गया है) ' के जवाब में बीजेपी के चुनावी नारे, 'हूं छू गुजरात, हूं छू विकास (मैं ही गुजरात हूं, मैं ही विकास हूं)' को सोमवार को मोदी ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को नया नारा दिया, 'जीतेगा भाई जीतेगा, विकास ही जीतेगा.'