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कर्नाटक के चुनावी बवंडर के बाद क्या चेंगन्नूर उपचुनाव में कामयाब हो पाएगी BJP?

पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह का सपना देश को कम्युनिस्ट मुक्त बनाना है.त्रिपुरा में मिली जीत के बाद उनका यह सपना बहुत कुछ चेंगन्नूर उप-चुनावों के नतीजे पर निर्भर करता है

TK Devasia

केरल के मध्यवर्ती इलाके चेंगन्नूर में 28 मई को उप-चुनाव है. ऐसे में कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) बीजेपी के खिलाफ नोटबंदी और जीएसटी को मुख्य हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

कर्नाटक के चुनावी बवंडर के बाद यह हथियार और धारदार हुआ है. अब दोनों पार्टियां नोटबंदी के मुद्दे के साथ विधायकों की खरीद-बिक्री के मुद्दे को नत्थी कर के पेश कर रही हैं. सीपीआई(एम) के पोलित ब्यूरो की सदस्य वृदां करात ने मुद्दे को धार देते हुए कहा है कि कर्नाटक में विधायकों की खरीद के लिए बीजेपी जो करोड़ों रुपए अपने हाथ में चमका रही थी वे सारे रुपए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाकारा साबित हुए नोटबंदी के अभियान से जुटाए गए थे.


वृंदा करात ने उप-चुनाव के सिलसिले में महिलाओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि 'आम आदमी को नोटबंदी के कारण तंगहाली और परेशानी झेलनी पड़ी जबकि बीजेपी की झोली रुपयों से भर गई. बीजेपी ने कर्नाटक में विधायकों की खरीद के लिए कालेधन का इस्तेमाल किया. यह पार्टी चेंगन्नूर में भी रुपए झोंक रही है.'

बीजेपी की  भ्रष्टाचार-विरोधी मुहिम पर उठा सवाल

बीजेपी ने भ्रष्टाचार विरोध का मुद्दा उठाकर कई राज्यों में चुनाव में जबर्दस्त फायदा उठाया था लेकिन अब कांग्रेस पार्टी विधायकों की खरीद का मसला उठाकर बीजेपी के भ्रष्टाचार-विरोधी मुहिम पर सवाल उठा रही है. बीजेपी के उम्मीदवार पीएस श्रीधरन पिल्लई को साल 2016 के चुनावों में 42,682 वोट मिले थे और वे जीत से चंद कदम दूर रह गए थे. उन्हें भरोसा है कि केंद्र में पार्टी की सरकार का ट्रैक रिकार्ड पाक-साफ होने के कारण उन्हें इसका फायदा मिलेगा और वे चुनाव जीत जाएंगे.

कांग्रेस आरोप लगा रही है कि पड़ोसी राज्य कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और उनके बेटे बीवाई राघवेंद्र समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने विधायकों को खरीदने की कोशिश की. चेंगन्नूर में पार्टी के लिए इस आरोप से निबटना भारी पड़ रहा है.

सीपीआई(एम) और कांग्रेस विधायकों की खरीदारी के आरोप से अधिकतम फायदा उठाने के फिराक में हैं. वे सोशल मीडिया और निर्वाचन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ऐसे ऑडियो क्लिप का प्रचार-प्रसार करने में लगे हैं जिनमें बीजेपी के नेता जनता दल(सेक्युलर) और कांग्रेस के विधायकों को रुपए और मंत्रीपद देने की पेशकश करते सुने जा सकते हैं.

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सामने आए बैंकों के फर्जीवाड़े और विदेशों के टैक्स हैवेन में जमा कालेधन को देश में वापस लाने में नाकाम रही केंद्र सरकार पर आरोप मढ़ने के लिहाज से विधायकों की खरीदारी का मसला कांग्रेस और सीपीआई(एम) के लिए बहुत काम का साबित हो रहा है.

पीएम की छवी को भुनाने से रोकना चाहती है कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश की है. उनके ऐसा करने से बीजेपी की चिन्ता और ज्यादा बढ़ गई है. राहुल गांधी ने हाल में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ही भ्रष्टाचार हैं. कांग्रेस राहुल की इस टिप्पणी को लोगों के बीच तूल देने की कोशिश में है. नरेंद्र मोदी की छवि कई राज्यों में बीजेपी के लिए मददगार साबित हुई है. लेकिन कांग्रेस, बीजेपी को प्रधानमंत्री की छवि को चुनावों में भुनाने से रोकना चाहती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में 21 जनसभाएं की थीं. इसके बावजूद पार्टी सूबे में अपनी सीटों की संख्या बहुमत के आंकड़े तक ले जाने में नाकाम रही. कांग्रेस और सीपीआई(एम) को लग रहा है कि मोदी की ताकत में गिरावट आई है. इसी आधार पर इन दोनों पार्टियों ने उप-चुनाव में जीत की उम्मीद बांध रखी है.

चेंगन्नूर के एक मतदाता जार्ज जोसेफ ने फर्स्टपोस्ट को बताया कि इस बार पिछले दफे के मुकाबले प्रधानमंत्री का नाम चुनाव-प्रचार में कम सुनाई दे रहा है. पिछली बार मोदी ने सूबे में दो बार प्रचार-अभियान में हिस्सा लिया था. उन्होंने तब अलप्पुझा जिले में भी एक रैली की थी. चेंगन्नूर निर्वाचन-क्षेत्र अलप्पूझा जिले में ही आता है.

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अलप्पुझा जिले की कांग्रेस समिति के अध्यक्ष एम लिजू का कहना है कि उनकी पार्टी को कर्नाटक में मची अफरा-तफरी का फायदा होगा क्योंकि कर्नाटक में बीजेपी लोकतंत्र की हेठी करते हुए सत्ता पर काबिज होना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस ने उसे ऐसा करने से रोक दिया. एम लिजू का दावा है कि इससे चेंगन्नूर में मतदाताओं का मनोबल बढ़ेगा और कांग्रेस यह सीट जीत जाएगी.

'कांग्रेस ने आरएसएस की B-टीम के तौर पर काम किया'

सीपीएम कांग्रेस को श्रेय देने को तैयार नहीं है. वृंदा करात ने कहा कि कांग्रेस को ऐसा दावा करने का अधिकार नहीं है क्योंकि उसने आरएसएस की बी टीम के रूप में काम किया है. जाहिर है, सीपीएम पोलित ब्यूरो की सदस्य अपनी पार्टी के दावे को मजबूती देते हुए जताना चाहती हैं कि सिर्फ सीपीएम ही बीजेपी के उभार को रोकने में कामयाब हो सकती है.

बहरहाल, राजनीति के पर्यवेक्षकों का मानना है कि कर्नाटक के चुनाव के बाद लोगों की धारणा बदल भी सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि चुनावों के बाद जेडीएस के साथ गठबंधन करने का फैसला कांग्रेस ने किया और इस फैसले की वजह से सूबे में बीजेपी सरकार ना बना सकी.

तिरुअनंतपुरम में रहने वाले राजनीतिक विश्लेषक जैकब जार्ज का कहना है कि 'बीजेपी ने कर्नाटक को दक्षिण में अपने प्रवेश के एक दुर्ग-द्वार के रूप में देखा था. कांग्रेस यह दावा कर सकती है कि उसने तेजी से अपना चतुराई भरा दांव खेलकर बीजेपी को दुर्ग-द्वार पर ही रोक दिया. जिन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों का जोर ज्यादा है, वहां अगर कांग्रेस ने छोटे भाई जैसा बर्ताव किया तो वह बीजेपी की बढ़ती को रोकने में कामयाब हो सकती है.'

कर्नाटक नतीजों के बाद अब एकजुट हो सकता है विपक्ष

उन्होंने फर्स्टपोस्ट को बताया कि कर्नाटक का चुनाव विपक्षी पार्टियों की एकता को परवान चढ़ा सकता है और ऐसा होने पर बीजेपी के 2019 के चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें बटोरने के सपने में सेंध लग सकती है. ममता बनर्जी, मायावती, चंद्रशेखर राव और चंद्रबाबू नायडू जैसे क्षत्रपों ने कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन को सराहा है और राजनीति विश्लेषक जार्ज जैकब इसे बीजेपी-विरोधी महागठबंधन बनने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखते हैं.

जैकब का यह भी मानना है कि कांग्रेस अगर विधायकों की खरीद के मसले को तार्किक अंजाम तक ले जाएं तो वह बीजेपी के भ्रष्टाचार-विरोधी मुहिम की पोल-पट्टी खोलने में कामयाब हो सकती है. जैकब का कहना है कि कांग्रेस अपने आरोपों को संजीदगी से लेते हुए उन्हें और आगे ले जा सकती है क्योंकि पार्टी ने जिन लोगों पर आरोप लगाए हैं उनमें येदियुरप्पा का नाम भी शामिल है जो कांग्रेस के मुख्य विरोधियों में एक हैं.

जैकब का कहना है कि 'येदियुरप्पा खुद को नाइंसाफी का शिकार बताते हुए पूरे सूबे की यात्रा पर निकलने के मंसूबे बांध रहे हैं. उनकी नजर 2019 के चुनावों पर है. कांग्रेस येदियुरप्पा से जुड़े ऑडियो क्लिप की फोरेंसिक जांच के जरिए सत्यापन कर उनके खिलाफ मुकदमा दायर करके इस मंसूबे की काट कर सकती है.'

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उन्होंने कहा कि कर्नाटक में बीजेपी को जो धक्का लगा है उसका असर केरल में भी दिखेगा. केरल में बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में 12 सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया है. चेंगन्नूर का उप-चुनाव बीजेपी के लिए बहुत अहम है क्योंकि पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह का सपना देश को कम्युनिस्ट मुक्त बनाना है.त्रिपुरा में मिली जीत के बाद उनका यह सपना बहुत कुछ चेंगन्नूर उप-चुनावों के नतीजे पर निर्भर करता है.

वहीं बीजेपी के उम्मीदवार का कहना है कि हाल की घटनाओं का उनकी जीत की संभावनाओं पर असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने बताया कि पार्टी को 2011 में मात्र 6 फीसद वोट मिले थे. वहीं 2016 में वोटों की तादाद पार्टी के पक्ष में बढ़कर 16 प्रतिशत हो गई. इसमें समाज के सभी तबकों का सहयोग रहा जिसमें ईसाई भी शामिल हैं. ईसाई मतदाताओं की संख्या चेंगन्नूर निर्वाचन क्षेत्र में 30 फीसद है.

बीजेपी के साथ ईसाई वोटरों का समर्थन

बीजेपी के उम्मीदवार के आत्मविश्वास की वजह है निर्वाचन क्षेत्र के ईसाई मतदाताओं के एक तबके से मिल रहा समर्थन. सीरियन जैकोबाइट चर्च के सदस्य एबी मैथ्यू ने कहा कि बीजेपी के उम्मीदवार को 2016 में ऑर्थोडॉक्स चर्च के एक हिस्से का समर्थन मिला था क्योंकि प्रधानमंत्री के साथ चर्च के मेट्रोपॉलिटन थॉमस मार एथानेसियस की जान-पहचान है.

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मेट्रोपॉलिटन थॉमस मार एथानेसियस ने मोदी के गृह राज्य गुजरात में रहकर उच्च शिक्षा हासिल की है. गुजरात में चर्च की कई संस्थाएं हैं सो वे बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं. एबी मैथ्यू का मानना है कि चर्च का समर्थन बीजेपी के उम्मीदवार पिल्लई को जीत दिलाने में नाकाफी साबित हो सकता है क्योंकि चेंगन्नूर सीट पर पिल्लई को जीत के लिए अपने वोटों में 10 हजार का और इजाफा करना होगा और इतने वोट अकेले चर्च के समर्थन से जुटा पाना मुश्किल है.ऐसे में उप-चुनाव में अगर बीजेपी की हार होती है तो केरल में अमित शाह की योजना को पलीते लग सकते हैं.