view all

छत्तीसगढ़ चुनाव 2018: विधायक बनने को तैयार हैं IAS, IPS  और पत्रकार  

विधायक बनने के लिए किसी ने आईएएस जैसी नौकरी को भी छोड़ दिया, तो किसी ने इंजीनियरिंग छोड़ राजनीति को अपना लिया है

Anand Dutta

छत्तीसगढ़ में चुनावी माहौल गर्म हो चुका है. राजनीतिक पार्टियों के कार्यालय से बाहर निकल चुनावी गहमा-गहमी गांव-घरों तक पहुंच चुकी है. इधर वीआईपी सीट और वीआईपी कैंडीडेट के अलावा कुछ ऐसे चेहरे हैं जिनके बारे में राज्य ही नहीं, राज्य से बाहर भी चर्चा हो रही है. विधायक बनने के लिए किसी ने आईएएस जैसी नौकरी को भी छोड़ दिया, तो किसी ने इंजीनियरिंग छोड़ राजनीति को अपना लिया है. एक ने पत्रकारिता को गुडबाय कहा तो कुछ ने खाकी वर्दी से फुर्सत पाने के बाद खादी में उतरने की तैयारी कर रखी है.

ओपी चौधरीः आईएएस छोड़ विधायक बनने निकले ओपी भैया


छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी इंदौर में बतौर आईएएस तैनात थे. राजीव गांधी ने उन्हें ऑफर दिया और वह नौकरी छोड़ राजनीति की पगडंडियों पर चल पड़े. इस चुनाव में छत्तीसगढ़ के एक और आईएएस  नौकरी छोड़, विधायक बनने की राह पर निकल चुका है. 22 साल की उम्र में पहले प्रयास में डीएम बने ओपी चौधरी को बस्तर का कायापलट करने के लिए मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सम्मानित भी किया जा चुका है. इस बार वह बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं. बीते अगस्त में ही उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. 2005 बैच के चौधरी मूल रूप से रायपुर जिले के रहनेवाले हैं.

ये भी पढ़ें: बेटी-दामाद की बगावत रामविलास पासवान के लिए चुनावी मुसीबत न बन जाए

चर्चा ये है कि खुद अमित शाह ने इन्हें पार्टी में आने को कहा. एक चतुर राजनेता की तरह नौकरी से इस्तीफे का कारण बताते हुए ओपी ने कहा कि अब लोगों की सेवा करने का वक्त आ गया है, अब वह राजनीति में उतरने जा रहे हैं. बस्तर को एजुकेशन हब बनाने वाले इस ईमानदार छवि वाले आईएएस पर चुनाव जीतने के लिए टिफिन बॉक्स, मोबाइल जैसे गिफ्ट बांटने के आरोप लग रहे हैं. खरसिया विधानसभा सीट जहां से ओपी चुनाव लड़ रहे हैं, आज तक बीजेपी यहां जीत नहीं पाई है. चर्चा ये है कि अगर ओपी यहां से बीजेपी का खाता खोलते हैं, और राज्य में बीजेपी सरकार अगर बनती है तो वह बड़ी भूमिका में होंगे.

ओ.पी चौधरी

उमेश पटेलः पिता को नक्सलियों ने मारा, इंजीनियरिंग छोड़ विधायक बना बेटा

खरसिया विधानसभा सीट पर ओपी के खिलाफ कांग्रेस के वर्तमान विधायक उमेश पटेल मैदान में हैं. यह विधायकी उन्हें पिछले चुनाव में हासिल हुई थी. कांग्रेस पार्टी की तरफ से कभी सीएम पद के प्रबल दावेदार रहे उनके पिता नंद कुमार पटेल की नक्सलियों ने 25 मई 2013 को झीरमघाटी में हत्या कर दी थी. उस वक्त वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, साथ में उनका बेटा दिनेश पटेल भी मारा गया था. बेंगलुरु में बतौर इंजीनियर नौकरी कर रहे उमेश पटेल ने पिता की हत्या के बाद उनकी विरासत संभालने की ठानी.

मजे की बात ये है कि ओपी रायगढ़ जिले के बायंग गांव और पटेल बायंग से पांच किमी दूर नंदेली के रहनेवाले हैं. दोनों ही गांव इसी विधानसभा क्षेत्र के हैं. दोनों ही इस बात का खास ध्यान रख रहे हैं कि एक-दूसरे पर व्यक्तिगत हमले न किए जाएं. पटेल कहते हैं कि उनका मुकाबला ओपी से नहीं, बीजेपी से है. वहीं ओपी चुनावी भाषणों में अपने सफर के अलावा कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी और पार्टी की संस्कृति पर हमला कर रहे हैं.

उमेश पटेल

रुचिर गर्गः कभी नक्सली घोषित किए गए पत्रकार भी मैदान में

वो 90 का दौर था. संयुक्त मध्यप्रदेश के इन इलाकों में नक्सलियों का ही बोलबाला था. रुचिर गर्ग उन पत्रकार में शामिल थे जो दुरूह बस्तर, दंतेवाड़ा जैसे इलाकों में नक्सलियों की मांद में घुसकर खबरें लाया करते थे. उनकी रिपोर्टिंग की वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार ने उनके ऊपर जांच कमेटी बैठा दी थी. यह पता करने कि कहीं इनका कनेक्शन सीधे तौर पर नक्सलियों से तो नहीं है. बाद में वह पाक साफ निकले. पिता लेखक रहे हैं. 35 साल से पत्रकारिता कर रहे रुचिर इस वक्त राज्य के तीसरे नंबर के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से खड़े हो रहे हैं. सरकारी जमीन पर रिसॉर्ट बनाने का आरोप में घिर चुके बृजमोहन के खिलाफ हैं. वह पिछले 25 साल से लगातार विधायक रहे हैं. ऐसे में पैसा बनाम ईमानदारी की बात कह रुचिर गर्ग कांग्रेस पार्टी की तरफ से मैदान में उतर रहे हैं.

रुचिर गर्ग

देवेंद्र यादवः 28 साल में मेयर बने, राहुल गांधी के खास बनने चले विधायक

देवेंद्र यादव मात्र 28 साल की उम्र में भिलाईनगर का महापौर बन गए थे. मतदाताओं में उनकी पकड़ का आलम ये है कि तीन साल पहले हुए निगम चुनाव में उन्हें 46,000 वोटों से जीत मिली थी. छत्तीसगढ़ एनएसयूआई के अध्यक्ष रह चुके देवेंद्र राज्य के मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय के खिलाफ लड़ रहे हैं. 31 साल के इस कांग्रेसी नेता को राहुल गांधी का काफी करीबी माना जाता है. वह एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव भी रहे हैं. व्यापारिक पृष्ठभूमि परिवार के यादव के भाई का शराब का कारोबार भी रहा है. हालांकि फिलहाल राज्य में केवल सरकारी ठेके चल रहे हैं. भाई का बार है. कहा जा रहा है कि जितनी उम्र देवेंद्र यादव की है उतने साल से तो प्रेम प्रकाश राजनीति कर रहे हैं. लेकिन गूंजे धरती गूंजे आकाश, आ रहा है प्रेम प्रकाश, के सामने वह बदल रही है हवा, आ रहे हैं युवा जैसे नारों के साथ मैदान में उतर चुके हैं.

देवेंद्र यादव

भारत सिंहः खाकी नहीं, खादी में रामदयाल उईके का करेंगे मुकाबला

इसके अलावा कुछ रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी भारत सिंह भी मैदान में उतर चुके हैं. उन्होंने 23 अक्टूबर को राहुल गांधी के सामने कांग्रेस का दामन थामा है. प्रबल संभावना है कि वह पाली तानाखार सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इस सीट पर राज्य कांग्रेस से कार्यकारी अध्यक्ष रहे रामदयाल उईके भी चुनाव लड़ने जा रहे हैं. उईके ने 19 अक्टूबर पाला बदला और बीजेपी का दामन थाम लिया. यह सीट कभी भी बीजेपी के पास नहीं रही है. उईके को शामिल कर बीजेपी इस बार इसे अपने खाते लाना चाहती है. एक्स आईपीएस भारत सिंह रिटायर होते ही इस इलाके में सामाजिक कार्य करने में लग गए थे.

ये भी पढ़ें: झारखंडः 18 साल पुरानी सहयोगी AJSU छोड़ने जा रही है बीजेपी का साथ

बीजेपी के नेताओं के साथ नजदीकियां बढ़ाने लगे थे. पुलिस से जुड़े एक आयोग में उनकी नियुक्ति भी हो गई. लेकिन ऐन मौके पर उईके ने बीजेपी का दामन थामा और इसके साथ ही अमित शाह ने उन्हें इस सीट पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिया. अपना पत्ता साफ होता देख भारत सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन करने की सोची. बीते 23 अक्तूबर को जब राहुल छत्तीसगढ़ के दौरे पर पहुंचे तो सिंह उनसे मिलने कांग्रेस कार्यालय तक पहुंच गए थे. ऐन मौके पर कहीं से फोन आया और वह बिना मिले ही वहां से निकल गए. फिर अचानक शाम को कांग्रेस कार्यालय पहुंच उन्होंने हाथ का दामन थाम लिया.

इसके अलावा डीएसपी रहे विभोर सिंह ने कोटा सीट पर टिकट की उम्मीद में नौकरी छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. 2013 में कांकेर से चुनाव लड़ने के लिए आईएएस शिशुपाल सोरी ने वीआरएस ले लिया था, उन्हें कांग्रेस ने 2018 में कांकेर से अपने ही दल के विधायक शंकर ध्रुवा की टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया है. कोरबा में कलेक्टर रह चुके आर पी.एस त्यागी रिटायर्ड आईएएस बजी कटघोरा से कांग्रेस के दावेदार हैं. पूर्व आईपीएस RC पटेल ने भी कांग्रेस का दामन थामा है हालांकि उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं जताई है.