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बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी: नरेंद्र मोदी का मिशन ओडिशा नवीन पटनायक के लिए बड़ी चुनौती

पश्चिम बंगाल के उप चुनाव में बीजेपी का वोट 8.76 फीसद से बढ़कर 31 प्रतिशत हो गया है

Sanjay Singh

बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए भुवनेश्वर पहुंचे पीएम मोदी ने सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक की प्रतिमा के सामने शीश नवाया. पीएम मोदी के ओडिशा के कद्दावर नेता रहे बीजू पटनायक को श्रद्धांजलि देने की लंबे वक्त तक चर्चा होगी.

मोदी ने ऐसा करके बीजू जनता दल के प्रमुख मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को जता दिया कि कोई कद्दावर नेता किसी खास पार्टी या खानदान की बपौती नहीं. उसकी विरासत पर सिर्फ परिवार या बेटे का हक नहीं होता.


पीएम मोदी ऐसा कई बार कर चुके हैं. फिर चाहे वो महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभभाई पटेल हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों, लाल बहादुर शास्त्री हों या बी.आर अंबेडकर हो.

इस नजरिए से देखें तो मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए खतरे की घंटी तेजी से बज रही है. वो पिछले 17 सालों से राज्य के मुख्यमंत्री हैं. नवीन पटनायक अपनी ईमानदार छवि के लिए जाने जाते हैं. इसी के बूते वो चुनाव दर चुनाव जीतते आए हैं. इसके अलावा वो बीजू पटनायक के बेटे भी हैं.

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बीजू पटनायक की विरासत पर अब तक नवीन पटनायक का इकलौता दावा और हक रहा है. शनिवार को उनके दावे को पहली बार पीएम मोदी ने चुनौती दी.

लिंगराज मंदिर में दर्शन करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: पीटीआई)

मोदी के रोड शो के सामने सारी चमक फीकी

तीन साल पहले राष्ट्रीय राजनीति के बड़े नेता के तौर पर स्थापित होने के बाद पीएम मोदी लोगों को लगातार चौंकाते रहे हैं. वो लीक और परंपराओं से हटकर काम करते रहे हैं.

फिर चाहे वो सियासी रणनीति हो या सरकार चलाने का तरीका. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए भुवनेश्वर पहुंचने पर पीएम मोदी ने एक बार फिर ये साबित किया.

बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अब तक की किसी भी बैठक में ऐसा नहीं हुआ था. एक तरफ राजनीतिक उत्साह से लबरेज पार्टी है. वो पार्टी अपनी बैठक में स्थानीय परंपरा और संस्कृति को बखूभी भुना रही है.

पहले दिन भुवनेश्वर में मोदी का रोड शो सबसे चर्चित कार्यक्रम रहा. इसके बाद पार्टी के तीन सौ सीनियर नेताओं ने हाल के चुनावों में जीत के लिए शुक्रिया कहा. बीजेपी ने हाल में विधानसभा चुनाव से लेकर नगर निगम और पंचायत चुनावों तक में शानदार कामयाबी दर्ज की है.

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लगातार जीत के बावजूद पार्टी नए इलाकों में विस्तार के लिए जोर लगा रही है. अब बीजेपी का जोर पूर्वी और तटीय भारत पर है. हालांकि बीजेपी काफी वक्त से इसकी कोशिश करती आई है.

परंपरागत रूप से बैठक के पहले दिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के भाषण की सबसे ज्यादा चर्चा होनी चाहिए थे. लेकिन पीएम मोदी के भुवनेश्वर एयरपोर्ट से राजभवन और फिर बैठक के ठिकाने तक के रोड शो ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं.

खास तौर से जनता के लिए तो मोदी का रोड शो एकदम चौंकाने वाला था. इससे पहले किसी प्रधानमंत्री का रोड शो नहीं होता था. मगर मोदी ने वाराणसी में लगातार तीन दिन रोड शो करके एक नया चलन शुरू किया है.

हालांकि भुवनेश्वर का रोड शो उस पैमाने का नहीं था, जैसा हमने वाराणसी में देखा था. मगर दोनों शहरों के हालात अलग हैं. सियासी समीकरण भी अलग हैं. बीजेपी और मोदी को ये देखकर बहुत संतोष हुआ होगा कि मोदी की जयकार के लिए हजारों लोग भुवनेश्वर की सड़कों पर उतरे. वो मोदी की झलक पाने को बेताब दिखे.

रोड शो के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: पीटीआई)

जननेता की छवि 

साफ है कि मोदी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिन बंद दरवाजों के भीतर चलने वाली बैठक पसंद नहीं. उन्हें पता है कि वो सबसे लोकप्रिय नेता हैं. उनके करिश्मे के चलते लोग उनकी पार्टी को वोट देने आते हैं. इसीलिए वो लगातार जनता के बीच जाने की कोशिश करते हैं.

भले ही इससे सुरक्षा का बड़ा जोखिम वो मोल लेते हों. वो खुद को बहादुर, निडर नेता के तौर पर पेश करते हैं. ऐसा नेता जो अपनी निजी सुरक्षा की फिक्र नहीं करता. वो लोगों के बीच जाना चाहता है, उनसे मिलना चाहता है. उनके रोड शो की तस्वीरों का सीधा प्रसारण पूरे देश में हुआ. इसका भी साफ सियासी संदेश जाता है.

मोदी आज पार्टी को पुराने दायरों से बाहर निकाल कर नए फलक पर पहुंचाना चाहते हैं. 2019 के लिए उनकी 'लुक ईस्ट' की नीति बहुत अहम है. बीजेपी को ओडिशा से बहुत उम्मीदें हैं. फिर चाहे वो विधानसभा के चुनाव हों या लोकसभा के.

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राज्य में दोनों चुनाव एक साथ ही होने हैं. मोदी खुद को ऐसे हालात के लिए भी तैयार कर रहे हैं, जहां उन्हें एकजुट हो रहे विपक्षी दलों का सामना करना होगा. कांग्रेस, बीएसपी, जेडी(यू), आरजेडी और दूसरी पार्टियां बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की बात कर रही हैं.

भले ही अभी इस एकता की सिर्फ चर्चा ही हो रही हो, पर मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. भुवनेश्वर में मोदी के रोड शो को इसी नजरिए से देखा जाना चाहिए.

ओडिशा फतह पर निगाह 

147 सदस्यों वाली ओडिशा विधानसभा में बीजेपी के अभी सिर्फ दस विधायक हैं. 2014 में बीजेपी ओडिशा में सिर्फ एक सीट जीती थी. लेकिन हाल के पंचायत चुनावों में शानदार कामयाबी के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. पंचायत चुनावों में बीजेपी को 850 फीसद का फायदा हुआ. वो राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई.

बीजेपी ने सत्ताधारी बीजेडी के गढ़ में भी सेंध लगाई है. 2012 में जहां पार्टी ने पंचायत चुनावों में सिर्फ 36 सीटें जीती थीं. वहीं इस बार 851 में से 306 सीटें जीती हैं. बीजू जनता दल 651 से घटकर 460 सीटों पर आ गई है.

वहीं कांग्रेस 126 से 66 सीटों पर सिमट गई. इससे 2019 के चुनाव में बीजेपी को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जगी है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बीजेपी आईटी सेल अमित मालवीय के ट्वीट को रिट्वीट करके इन आंकड़ों पर जोर दिया.

आज बीजेपी 14 राज्यों में खुद सरकार चला रही है. वहीं तीन राज्यों में वो सत्ता में साझीदार है. इस तरह वो 17 राज्यों में सत्ता में है. यूपी में शानदार जीत से पार्टी की कामयाबी में चार चांद लग गए हैं.

ओडिशा में लोगों का अभिवादन स्वीकार करते पीएम मोदी (फोटो: ट्विटर)

पश्चिम बंगाल और दिल्ली के चुनावी नतीजों से पार्टी अतिउत्साहित

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू होने के बाद अमित शाह ने ट्वीट किया कि 'लोग कहते हैं कि बीजेपी का स्वर्णिम काल आ गया है. मगर मेरा मानना है कि बीजेपी का स्वर्ण काल तब आएगा, जब हमारी पार्टी केरल, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में सत्ता में आएगी.'

अपने एक और ट्वीट में अमित शाह ने कहा कि, 'अब जब हमें लगातार विजय मिल रही है तब हमारे अंदर आलस्य का निर्माण न होने पाए, बल्कि विस्तार की प्यास हमें परिश्रम की पराकाष्ठा की प्रेरणा दे.'

शाह के हौसले इसलिए भी बुलंद हैं क्योंकि दिल्ली की राजौरी गार्डेन सीट के उपचुनाव में बीजेपी को जबरदस्त जीत हासिल हुई है. बीजेपी ने 51 फीसद वोट हासिल करके अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई.

वहीं पश्चिम बंगाल में यूं तो ममता बनर्जी उप चुनाव में जीत गईं, मगर बीजेपी ने लेफ्ट को पीछे छोड़कर दूसरा स्थान हासिल किया. पश्चिम बंगाल के उप चुनाव में बीजेपी का वोट 8.76 फीसद से बढ़कर 31 प्रतिशत हो गया है.

मोदी और अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी तेजी से विस्तार कर रही है, वो लगातार नए इलाकों में पैठ बना रही है.