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बीजेपी के ‘दलित-प्रेम’ की हवा उसके ‘अपने’ ही निकाल रहे हैं!

विरोधियों के साथ-साथ बीजेपी के अपने ही दलित नेताओं की नाराजगी उसकी रणनीति को पलीता लगा सकती है

Amitesh

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ओडिशा के बलांगीर इलाके में जब एक दलित के घर भोजन कर रहे थे, लगभग उसी वक्त बीजेपी के एक दलित सांसद ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपने गुस्से का इजहार कर दिया. यूपी के रॉबर्ट्सगंज से एससी सांसद छोटेलाल खरवार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे और प्रदेश के संगठन मंत्री सुनील बंसल की शिकायत कर दी.

सांसद ने आरोप लगाया कि ‘उनके जिले के अधिकारी उनको प्रताड़ित कर रहे हैं. लेकिन इस मामले में उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है.’ छोटेलाल खरवार का कहना है कि ‘इस मामले में जब उन्होंने मुख्यमंत्री से शिकायत की तो उन्होंने डांटकर भगा दिया.’ अब अपने जमीन कब्जे को लेकर सांसद ने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है.


दो मामलों में की शिकायत

एससी सांसद ने दो मामलों में अपनी पीड़ा जताते हुए मोदी से गुहार लगाई है. पहली शिकायत में सांसद ने कहा है कि ‘जब प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी उस समय साल 2015 में उन्होंने नौगढ़ वन क्षेत्र में अवैध कब्जे की शिकायत प्रधानमंत्री समेत कई लोगों से की, लेकिन उस वक्त मेरी शिकायत पर कार्रवाई के बजाए अधिकारियों ने मेरे घर को ही वन क्षेत्र में डाल दिया. लेकिन, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के आदेश पर दोबारा की गई पैमाइश में सच सामने आया कि मेरा घर वनक्षेत्र में नहीं है.’

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छोटेलाल ने जिस दूसरे मामले में अपनी शिकायत की है, उसमें दूसरा मामला प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद का है. सांसद ने कहा है कि ‘अक्टूबर 2017 में मेरे भाई जवाहर खरवार, क्षेत्र पंचायत नौगढ़ का प्रमुख, के खिलाफ समाजवादी पार्टी की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था जिस पर वोटिंग के दौरान असलहों से लैस अपराधी तत्व के लोगों ने मेरे पर रिवॉल्वर तान दी , जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर धमकी दी, गाली दी, उस समय अधिकारी भी मौजूद थे. लेकिन उन्होंने कोई करवाई नहीं की.’ छोटेलाल खरवार ने इस मामले में पार्टी के लोगों की भी मिलीभगत का आरोप लगाया है.

छोटेलाल खरवार का प्रधानमंत्री को लिखा पत्र.

दलित सांसद साध्वी सावित्री बाई ने भी पार्टी को मुश्किल में डाला

हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब किसी दलित सांसद ने खुलकर इस तरह अपनी बात कही है. इसके पहले यूपी के बहराइच से ही बीजेपी की दलित तबके से आने वाली सांसद सावित्री बाई फूले ने भी कुछ इसी तरह की टिप्पणी की थी. दलितों पर हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ बीजेपी की इस तेज तर्रार महिला सांसद साध्वी सावित्री बाई ने भारतीय संविधान और आरक्षण बचाओ महारैली कर पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है.

देशभर में इस वक्त दलित समुदाय के भीतर गुस्से का माहौल है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एससी-एसटी एक्ट को लेकर दिए गए फैसले के बाद हुए विरोध-प्रदर्शन के बाद एक ऐसा माहौल बन रहा है जिसमें सरकार को ही घेरा जा रहा है. कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष की तरफ से इस मुद्दे पर सरकार पर ही लापरवाही बरतने और मजबूती से अपना पक्ष कोर्ट में नहीं रखने का आरोप लगाया जा रहा है.

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नाराजगी बीजेपी और एनडीए के एससी-एसटी सांसदों के भीतर भी है. इन सभी सांसदों ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग की थी. सरकार ने ऐसा कर भी दिया है. लेकिन, अपनी सियासत और अपने जनाधार खिसकने के डर ने इन सभी सांसदों को परेशान कर दिया है. चार साल तक चुप रहने वाले बीजेपी के सांसदों की तरफ से आ रहे बयान पार्टी को परेशान करने वाले हैं.

बीजेपी खुद को दलितों का मित्र साबित करने की कोशिश में लगी है

हालांकि, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस के सवा सौ साल पूरे होने के मौके पर मोदी सरकार ने देश भर में साल भर तक कई कार्यक्रम आयोजित किए थे. बाबा साहब की जिंदगी से जुड़े हुए सभी स्थलों को तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार ने प्रयास भी किया है. 26 अलीपुर रोड स्थित जिस मकान में बाबा साहब ने अंतिम  सांस ली थी, उसे विकसित करने के बाद अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को समर्पित किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा है कि बाबा साहब की विरासत का राजनीतिकरण करने में सभी दल लगे हुए हैं. लेकिन, जितना सम्मान हमने  बाबा साहब का सम्मान जितना उनकी सरकार में हुआ, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. उनका बयान ऐसे वक्त में आया है जब देश भर में दलित राजनीति को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है. मोदी सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाकर बैकफुट पर धकेला जा रहा है.

लेकिन, अब सरकार भी पूरी तैयारी में है. दलित समुदाय को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में बीजेपी की तरफ से देश भर में 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के मौके पर कई कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

योगी को मिलेगा 'दलित मित्र' का सम्मान

अपने प्रदेश के एससी सांसदों की तरफ से उठाए गए सवाल के बाद योगी आदित्यनाथ भी अपनी छवि को लेकर सतर्क हो गए हैं. छोटेलाल खरवार के पत्र के बाद जिस तरह से उनकी छवि को ठेस पहुंची है, उसे सुधारने के लिए बीजेपी ने अंबेडकर जयंती को खास तौर से इस बार मनाने का फैसला किया है. अंबेडकर जयंती के एक दिन पहले यानी 13 अप्रैल को बीजेपी की अनुसूचित जाति मोर्चा की तरफ से यूपी के सभी शहरों में यात्रा निकाली जा रही है. जबकि, अगले ही दिन अंबेडकर जयंती के मौके पर राजधानी लखनऊ में होने वाले कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ‘दलित मित्र’ सम्मान से नवाजा जाएगा.

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अब बीजेपी बार-बार सफाई भी दे रही है जिसमें उसके ऊपर विरोधियों की तरफ से आरक्षण खत्म करने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया जा रहा है. ओडिशा के कालाहांडी से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की तरफ से आरक्षण पर दी गई सफाई बीजेपी की रणनीति को दिखाने वाला है. शाह ने कहा था कि बाबा साहब की तरफ से संविधान में शामिल की गई आरक्षण की नीति को बदलने की किसी में हिम्मत नहीं है.

ओडिशा में आरक्षण को लेकर अमित शाह का बयान हो या फिर दलित के घर जाकर भोजन करना, बीजेपी की दलितों को साधने की रणनीति का ही हिस्सा है, लेकिन, विरोधियों के साथ-साथ बीजेपी के अपने ही दलित नेताओं की नाराजगी उसकी रणनीति को पलीता लगा सकती है.