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सरदार की विरासत पर सियासत: कांग्रेस को किस हद तक घेर पाएगी बीजेपी?

बीजेपी को उम्मीद है कि हार्दिक पटेल के कारण उपजी पाटीदारों की नाराजगी को सरदार पटेल के सम्मान के दम पर खत्म किया जा सकता है.

Amitesh

सरदार वल्लभ भाई पटेल की 142 वीं जयंती के मौके पर रन फॉर यूनिटी यानी एकता की दौड़ का आयोजन किया गया. राजधानी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मौजूद रहे.

हमेशा की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल को उनकी जयंती पर याद करते हुए भारत को एकता के सूत्र में पिरोने को लेकर उनका  गुणगान किया. आजादी के बाद सभी अलग-अलग रियासतों को भारत में विलय के उनके प्रयास को याद करते हुए मोदी ने सरदार को सही मायने में आजाद भारत के सबसे बड़े सरदार के तौर पर पेश किया.


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कांग्रेस पार्टी के नेता रह चुके सरदार पटेल की विरासत पर अपना हक जताने की बीजेपी की कोशिश पहले से भी रही है. आरोप रहा है नेहरू-गांधी परिवार पर सरदार की उपेक्षा का. राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को दरकिनार करने का आरोप बीजेपी पहले से ही लगाती रही है. बीजेपी का आरोप रहा है कि केवल नेहरू-गांधी परिवार को ही नायक के तौर पर सामने लाया गया. लेकिन, सरदार पटेल जैसों को तो इतिहास से ही मिटाने की कोशिश कर दी गई.

एक बार फिर से सरदार पटेल की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद करते हुए कहा ‘शायद हमारे देश की नई पीढ़ी को उनसे परिचित नहीं कराया गया. इस महापुरुष के नाम को इतिहास से मिटा देने का भी प्रयास किया गया. कोई सरकारी दल उनकी महानता को स्वीकार करे या न करे, लेकिन देश उनको नहीं भूलेगा.’

दरअसल, मोदी बार-बार सरदार की उपेक्षा का आरोप लगाकर यह जताना चाह रहे हैं कि कांग्रेस के भीतर नेहरू-गांधी परिवार के ही योगदान की पूजा होती रही है. बाकी क्रांतिकारी और आजादी की लड़ाई में अपना योगदान देने वालों की भूमिका को दरकिनाकर कर दिया गया है. लेकिन, बात यहीं खत्म नहीं हुई. देश आजाद होने के बाद भी प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के ही नेतृत्व और उनके काम का ढिंढोरा कांग्रेस की तरफ से पीटा जाता रहा है. लेकिन, सरदार पटेल जैसों के योगदान को हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है.

जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल की साथ की तस्वीर (फोटो : फेसबुक से साभार)

मोदी ने सरदार पटेल को याद करते हुए देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भी याद किया. मोदी ने कहा कि इस वक्त सरदार पटेल के नाम पर जो बातें हो रही हैं और जिस अंदाज में उन्हें याद किया जा रहा है उससे राजेंद्र बाबू की भी आत्मा खुश हो रही होगी. मोदी यह दिखाना चाह रहे हैं कि उस वक्त भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की बातों को भी नेहरू परिवार और तब की कांग्रेस ने नजरअंदाज किया था.

सरकार की तरफ से पहले ही गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध से जुड़े नदी इलाके में एक बड़ी प्रतिमा बनाई जा रही है. स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से 182 मीटर ऊंची प्रतिमा के माध्यम से मोदी पूरे देश के लोगों को यह बताने में लगे हैं कि इतिहास के पन्नों में जिस सरदार पटेल को गुमनाम रखा गया, अब बीजेपी उसे फिर से उनके गौरव को वापस लाकर देश-दुनिया के सामने उनको सही मायने में सरदार के तौर पर यथोचित सम्मान दिलाना चाह रही है.

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अब मोदी सरकार ने सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा भी की है. राष्ट्रीय एकता दिवस के जरिए हर साल सरदार पटेल को याद कर आजाद भारत के इतिहास में सभी रियासतों को भारत में विलय की कोशिशों को लेकर उनके योगदान को याद किया जाएगा.

हालाकि रन फॉर यूनिटी का आयोजन तो 2014 से ही शुरू हो गया था, लेकिन, इस बार इस कार्यक्रम का महत्व ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि गुजरात में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. गुजरात फतेह के लिए बीजेपी अब भी विश्वस्त दिख रही है, लेकिन, कांग्रेस की तरफ से हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर जैसे नेताओं को साध कर जातीय संतुलन को बिठाने की कोशिश हो रही है.

बीजेपी को लग रहा है कि सरदार पटेल की विरासत और उनके सम्मान के दम पर फिर से पाटीदारों को अपने पास जोड़े रखा जा सकता है. बीजेपी को उम्मीद है कि हार्दिक पटेल के कारण उपजी पाटीदारों की नाराजगी को सरदार पटेल के सम्मान के दम पर खत्म किया जा सकता है.

इसका सियासी फायदा कितना होगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन, मोदी ने सरदार पटेल के सम्मान के मुद्दे पर सांकेतिक तौर पर कांग्रेस पर बढ़त जरूर बना ली है.