कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के खिलाफ एक कैंपेन चला था. अड़े रहना हैशटैग पर लोग तंज भरा ट्वीट और फेसबुक पोस्ट कर रहे थे. लोगों ने तीखे और मारक लेकिन मजेदार ट्वीट और पोस्ट किए. किसी ने लिखा- ‘वो कहेंगे न्यू इंडिया बनाएंगे, तुम अच्छे दिन की डिलीवरी पर अड़े रहना’. किसी ने कहा- ‘वो तुम्हें गाय-गोबर पर ले जाएंगे, तुम रोजगार, महंगाई, महिला सुरक्षा और जीडीपी पर अड़े रहना’. कोई बोला- ‘वो तुम्हारे हाथ में स्वच्छ भारत का झाड़ू पकड़ाएंगे, तुम नौकरी के लिए अड़े रहना’. किसी की सलाह थी- ‘वो तुम्हें 2022 के सपने दिखाएंगे, तुम 2014 के वादों पर अड़े रहना’. ये तो सोशल मीडिया की क्रिएटीविटी है लेकिन असल में बात अड़ने की ही है. कांग्रेस भी अपनी बात पर अड़ी है और बीजेपी भी.
कांग्रेस नोटबंदी पर अड़ी है कहती है कि नोटबंदी मोदी की बनाई आर्थिक तबाही है. नोटबंदी की वजह से मोदी सरकार ने लोगों का भरोसा खो दिया है. बीजेपी भी अड़ी है कहती है नोटबंदी सरकार का अहम फैसला रहा. इसकी वजह से कालेधन के साम्राज्य को खत्म करने में मदद मिली. लाखों शेल कंपनियां एक झटके में साफ हो गईं. करोड़ों के कालेधन के लेनदेन पर रोक लग गई. कांग्रेस जीएसटी पर अड़ी है. कहती है कि जीएसटी टैक्स आतंक की सुनामी है. जीएसटी से लाइसेंस राज का आतंक फिर से लौट आया है. जीएसटी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है. बीजेपी कहती है जीएसटी मोदी सरकार का मजबूत फैसला है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे.
बीजेपी के नेताओं की राय में जीएसटी वो पुराना जूता है जो तीन दिन तो काटेगा लेकिन उसके बाद बिल्कुल फिट रहेगा. जीएसटी की वजह से टैक्स का दायरा बढ़ा है. कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताते हैं बीजेपी इसका जवाब वैट से देती है. वैट माने- वाड्रा ऐडेड टैक्स. दोनों ही पार्टियां अपनी बात पर अड़ी है. जनता के सामने अपने अड़े रहने के दोनों के पास वाजिब वजहें भी हैं.
राहुल ने निकाल लिए हैं सारे तीर
सोमवार को भी राहुल गांधी नोटबंदी और जीएसटी पर अड़े रहे. राहुल गांधी ने कांग्रेस के महासचिवों और राज्य प्रभारियों के साथ कांग्रेस मुख्यालय में बैठक की. बैठक के बाद उन्होंने मोदी सरकार पर फिर हमला बोला. उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीसएटी के जरिए मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था पर टॉरपीडो और बम जैसे हमले किए हैं.
बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘जीएसटी एक अच्छा आइडिया है. सरकार ने इसे गलत तरीके से लागू किया. इससे नुकसान हुआ. मोदी ने जी हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था पर दो टॉरपीडो मारे. पहला टॉरपीडो नोटबंदी. दूसरा जीएसटी. एक टॉरपीडो ने अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया, तो दूसरे ने उसे डुबो ही दिया.
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गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनावों तक राहुल गांधी नोटबंदी और जीएसटी पर अड़े रहेंगे. उन्होंने इन दो मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए अपने तरकश से सारे तीर निकाल लिए हैं. सोमवार को राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के साथ भी बैठक की. इन बैठकों के जरिए वो सरकार पर बयानों के नए-नए बम बरसाने के तरीके सीख रहे हैं. वो नोटबंदी और जीएसटी को कांग्रेस के शासनकाल का आइडिया बताना भी नहीं भूलते और उसे गलत तरीके से लागू करने का हवाला देकर उस पर मोदी सरकार पर हमले करने का मौका भी नहीं खोते.
सोमवार को भी एक बार उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की दो बड़ी आर्थिक नीतियों नोटबंदी और जीएसटी से लोगों को अपार दुख हुआ है. अच्छे आइडिया को कैसे भ्रष्ट किया जा सकता है, जीएसटी इसका उदाहरण है.
जो अड़ेगा वही अच्छे से लड़ेगा और जीतेगा
8 नवंबर को नोटबंदी के एक साल पूरे हो रहे हैं. इसकी पहली सालगिरह पर भी कांग्रेस और बीजेपी दोनों अड़े हैं. कांग्रेस उस दिन देशभर में विरोध-प्रदर्शन करने वाली है. मोदी सरकार के विरोध में उस दिन ब्लैक डे मनाया जाएगा. जबकि बीजेपी इस विरोध प्रदर्शन के विरोध में जश्न मनाने वाली है. बीजेपी इस दिन काला धन विरोधी दिवस मनाएगी. दोनों ही अपनी-अपनी बात पर अड़े हैं.
गुजरात और हिमाचल के चुनाव ने ऐसा माहौल बनाया है, जिसमें जो अपनी बात पर जितना सख्ती से अड़ेगा वो उतनी ही मजबूती के साथ जनता के बीच खड़ा होगा. कांग्रेस के लिए गुजरात में वापसी की संभावना दिख रही है. 22 साल के बीजेपी शासन के बाद उसे अपने लिए मुफीद स्थितियां दिख रही हैं. कांग्रेस पाटीदारों की बीजेपी से नाराजगी के मौके को भुनाना चाहती है इसलिए हार्दिक पटेल को साथ लाने की कोशिशें चल रही है.
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ओबीसी आंदोलन का गुजरात में चेहरा रह चुके अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. दलित आंदोलन का अहम किरदार रह चुके जिग्नेश मेवाणी के समर्थन से कांग्रेस का उत्साह बढ़ा है. और इन सब स्थितियों ने मिलकर राहुल के हौसले को बढ़ाया है.
राहुल गांधी की लोकप्रियता भी हाल के दिनों में बढ़ी है. सोशल मीडिया पर वो ज्यादा मुखर दिखे हैं. सरकार को घेरने के लिए उन्होंने मजेदार जुमले उछालने सीख लिए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर उनकी ताजपोशी को लेकर चर्चा जोरों पर चल रही है. अगर राहुल ऐसे ही अड़े रहे तो शायद इसमें कोई अड़ंगा भी न आए. सोमवार को हुई बैठक के बाद अब इस चर्चा ने और तेजी पकड़ी है. ऐसी अनुकूल स्थिति में राहुल गांधी के लिए एक जुमला ये भी हो सकता है- वो 60 साल का हिसाब मांगेंगे, राहुल आप साढ़े तीन साल के हिसाब पर अड़े रहना.
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