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अमित शाह की नजर में अखिलेश-राहुल का ‘ड्रामा’ नहीं चलेगा

अमित शाह को लगता है कि वोटर पिछले 15 साल की अराजकता और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना फैसला सुनाएगा

Pramod Joshi

29 जनवरी को जहां दिनभर एसपी-कांग्रेस के गठबंधन के औपचारिक समारोह से लखनऊ शहर रंगा रहा, वहीं रात होते-होते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि यह पारिवारिक ड्रामा इस गठबंधन की रक्षा कर नहीं पाएगा.

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जहां एसपी-कांग्रेस गठबंधन को नोटबंदी के नकारात्मक प्रभाव से उम्मीदें हैं. वहीं बीजेपी के रणनीतिकार अमित शाह को लगता है कि प्रदेश का वोटर पिछले 15 साल की अराजकता और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना फैसला सुनाएगा. उनका दावा है कि पार्टी को दो-तिहाई बहुमत मिल जाएगा.


वे कहते हैं कि पहले दो दौर के चुनाव में ही 135 में से 90 सीटें बीजेपी को मिलने वाली हैं. पहले दौर में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में चुनाव होगा. वे मानते हैं कि राज्य में उनकी पार्टी का मुख्य मुकाबला एसपी-कांग्रेस गठबंधन से है, बसपा से नहीं.

यूपी चुनाव में विकास, राष्ट्रवाद और मोदी पर भरोसा 

नेटवर्क18 ग्रुप के एडिटर इन चीफ राहुल जोशी के साथ बातचीत में अमित शाह की जो रणनीति सामने आई है उसके अनुसार विकास, राष्ट्रवाद और नरेंद्र मोदी के रूप में मजबूत नेता की अवधारणा अब भी प्रासंगिक है. उत्तर प्रदेश ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जो फैसला किया था, वैसा ही अब होगा.

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अमित शाह मानते हैं कि देश की डबल डिजिट ग्रोथ के लिए उत्तर प्रदेश में डबल डिजिट ग्रोथ की जरूरत है. बीजेपी की सरकार आई तो वह पांच साल में पिछले 15 साल के पिछड़ेपन को दूर करने की कोशिश करेगी.

अमित शाह मानते हैं कि पारिवारिक ड्रामे के सहारे वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी बचकर निकल नहीं पाएगी. प्रदेश कानून-व्यवस्था में गिरावट का शिकार है. यहां से पलायन हो रहा है. बच्चे नौकरी की तलाश में घर से बाहर जा रहे हैं.

अमित शाह की फेसबुक वॉल से साभार

महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है. जमीन पर कब्जा करने वाले माफिया सक्रिय हैं.

उन्होंने मथुरा में रामवृक्ष यादव का उल्लेख किया. भ्रष्टाचार का बोलबाला है. 18 करोड़ में बनने वाली सड़क 31 करोड़ में बनती है.

तुष्टीकरण की राजनीति, यूपी की बर्बादी का कारण  

उनकी समझ से प्रदेश के पिछड़ेपन के पीछे कोई वजह नहीं है. जमीन के 50 फुट नीचे पानी है. भूमि उर्वरा है. मेधावी और पढ़ा-लिखा युवा उसके पास है. पर जातिवाद और तुष्टीकरण की राजनीति उसका भला नहीं करेगी.

राम मंदिर और गौहत्या निषेध से जुड़े मामलों पर उनका कहना है कि प्रदेश में दुधारू पशु खत्म होते जा रहे हैं, जबकि यहां दूध उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं. पशुधन को बचाना किसान की जरूरत है. बीजेपी के चुनाव संकल्प में किसान के लिए कर्ज और मंडी से लेकर मिट्टी की जांच तक के कार्यक्रमों की घोषणा की गई है.

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उनका कहना है कि जहां तक मंदिर की बात है हम संवैधानिक मर्यादा के अंदर रहकर मंदिर निर्माण करेंगे. सांप्रदायिक बयानों के आरोपों के संदर्भ में उनका कहना है कि तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ बोलना जनता की आवाज उठाना है.

तीन तलाक के मामले में वे कहते हैं कि संविधान के तहत देश की हर महिला को अधिकार मिलें. तीन तलाक महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन है. यांत्रिक कत्लखानों के खिलाफ बोलना किसानों की आवाज है. बच्चियों को पढ़ने जाने से रोकने वालों का विरोध करना गलत क्यों है? इसी तरह कानून का राज होता और पुलिस थाने अपना काम करते तो पलायन क्यों होता?

नहीं पड़ेगा नोटबंदी का दुष्प्रभाव 

उन्हें नहीं लगता कि नोटबंदी का कोई दुष्प्रभाव होगा, बल्कि वे कहते हैं कि सिस्टम में आठ लाख करोड़ रुपया गरीब के कल्याण में लगेगा. यह पैसा धनपतियों के तहखाने में बंद था. और यह भी गलतफहमी है कि बैंकों में आया पैसा ह्वाइट हो जाएगा. अभी सरकार कठोर कानून लेकर आएगी.

बीजेपी भी पिछले एक साल से यूपी में अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगी है

दूसरी पार्टियों से आए नेताओं के संदर्भ में वे कहते हैं कि यह जोड़-तोड़ और दल-बदल नहीं, बल्कि माइग्रेशन है. एक पार्टी टूट रही है और उसमें अच्छा काम करने वाले लोग आ रहे हैं. यह चुनाव के पहले हुआ है. सही या गलत यह जनता तय करेगी.

बीजेपी बनाम एसपी-कांग्रेस 

बहरहाल 29 जनवरी का दिन लखनऊ में खासी गहमागहमी वाला रहा. सुबह के अखबारों में दोनों पार्टियों का साझा विज्ञापन जारी हुआ था, जिसमें कहा गया था, ‘यूपी को ये साथ पसंद है.’

इसके बाद अखिलेश यादव और राहुल गांधी का साझा संवाददाता सम्मेलन हुआ, जिसके साथ एक नई राजनीति की शुरुआत हुई है. प्रेस कांफ्रेंस के बाद लखनऊ सघन बसे पुराने और मुस्लिम बहुल इलाकों से रोड शो निकाला गया जिसके बाद जनसभा भी हुई.

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राहुल और अखिलेश को यह स्पष्ट करना पड़ा कि गठबंधन की जरूरत क्यों पड़ी. राहुल गांधी ने कुछ महीने पहले अपनी किसान यात्रा के दौरान नारा तैयार किया था, ‘27 साल, यूपी बेहाल.’ यह नारा भुलाकर गंगा-जमुनी गठबंधन के नए नारे से वोटर को संतुष्ट करना आसान नहीं होगा.

राहुल गांधी ने दो बातें और कहीं. एक तो यह कि बीजेपी को हराना हमारा मकसद है. और दूसरे यह कि बीजेपी की विचारधारा से खतरा है, बीएसपी से नहीं. इन दोनों बातों को घुमाने का मौका बीजेपी को मिलेगा. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य ने फौरन ही कहा, एसपी और कांग्रेस के साथ बसपा भी है.

यानी सब मिलकर बीजेपी को हराना चाहते हैं. बीजेपी इस गठबंधन को एसपी के घटते आत्म विश्वास के रूप में भी पेश करेगी. अमित शाह ने रात के इंटरव्यू में इस बात को रेखांकित भी किया.