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वीएचपी के पोस्टर बॉय आखिर राजस्थान में बीजेपी के लिए 'नासूर' क्यों बन गए?

तोगड़िया ने फिलहाल धार्मिक रूप से राजस्थान से दूरी बना रखी है. शायद, राजस्थानी मच्छरों की कड़वी यादें अब भी गौ माता के इस बेटे का पीछा करती हैं

Sandipan Sharma

गाय प्रेमियों और प्रवीण तोगड़िया के प्रशंसकों को यकीनन यह दिलचस्प संयोग पसंद आएगा. खांटी (शुद्ध) राजस्थानी भाषा में, तोगड़िया शब्द का अर्थ बछड़ा होता है. लेकिन एक गाय के विपरीत, जो सर्वत्र परम पूजनीय और श्रद्धेय है, तोगड़िया की पहचान एक उत्पाती शै के तौर पर होती है.

मवेशी मालिकों को हमेशा शिकायत रहती है, कि तोगड़िया उद्दण्ड और बेलगाम होते हैं. वह अपनी मां का दूध पीने के लिए अक्सर अपना पगहा (पैरों की रस्सी) तोड़ने को बेताब रहते हैं. जब उन्हें खुला (आजाद) छोड़ दिया जाता है, तब वह चारों ओर उछल-कूद करना और हंगामा मचाना शुरू कर देते हैं. उद्दण्ड तोगड़िया तभी शांत होते हैं, जब उन्हें डंडे से पीटा जाता है.


राजस्थान में, शरारती, उपद्रवी और विध्वंसकारी लड़कों के लिए एक स्थानीय कहावत खासी मशहूर है, जो एक बछड़े के चरित्र का सही चित्रण करती है. तोगड़िया जिया ऊधम करे, नाचे. यानी यह लड़का तो किसी बछड़े की तरह हंगामा करता है और उछल-कूद करके नाचता है. एक और राजस्थानी कहावत उपद्रवी लड़कों पर सटीक बैठती है : तोगड़िया जिया भाजे. यानी यह लड़का तो किसी बछड़े की तरह दौड़ता और धमा-चौकड़ी करता है.

हालांकि, फायरब्रांड वीएचपी नेता और गौ माता के स्वघोषित पुत्र प्रवीण भाई तोगड़िया कोई लड़के नहीं हैं. लेकिन उन्होंने राजस्थान सरकार को कई बार एक ऐसे बेकाबू और उपद्रवी बछड़े की तरह परेशान किया है, जिसे कानून की लंबी रस्सी से भी बांधा और शांत नहीं कराया जा सका.

कुछ अरसे से शांत चल रहे तोगड़िया सोमवार का एकाएक उस वक्त चर्चा में आ गए, जब उनके लापता होने की खबर आई. करीब 11 घंटों तक गायब रहने के बाद तोगड़िया आखिरकार अहमदाबाद के एक अस्पताल में मिले. तोगड़िया ने दावा किया कि राजस्थान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी थी, जिसके तनाव के चलते कुछ घंटे बाद वह सड़क पर बेहोश होकर गिर पड़े थे.

यह बात तो केवल तोगड़िया ही हमें बता सकते हैं कि चौबीसों घंटे जेड सेक्योरिटी में रहने वाला कोई व्यक्ति अहमदाबाद जैसे शहर में कैसे गायब हो सकता है? समर्थकों के मुताबिक, तोगड़िया को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन गुजरात में उनके समर्थकों के हंगामे और प्रदर्शन से मुद्दा गर्मा गया. लिहाजा विवाद से बचने के लिए राजस्थान पुलिस उन्हें तन्हा छोड़ कर भाग गई.

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वहीं तोगड़िया के गायब होने की दूसरी कहानी उनके चापलूस समर्थकों की कहानी से बिल्कुल जुदा है. राजस्थान पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, तोगड़िया बीते लगभग 15 सालों से राजस्थान की एक स्थानीय अदालत के समन को लेने (रिसीव करने) में टाल-मटोल करते आ रहे हैं. दरअसल तोगड़िया ने साल 2002 में राजस्थान के गंगापुर कस्बे में निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद एक रैली की थी. आरोप है कि, तोगड़िया की रैली के बाद गंगापुर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिसके बाद कर्फ्यू लगाना पड़ा था.

उस वक्त कर्फ्यू के बावजूद, तोगड़िया गंगापुर में एक बाइक पर सवार होकर घूमते पाए गए थे. गंगापुर के पहाड़ी इलाकों में तोगड़िया को पगड़ी और स्थानीय पोशाक पहने हुए देखा गया था. लेकिन, उनका यह जौहर और जांबाजी अदालत को प्रभावित नहीं कर पाई. पुलिस ने जब तोगड़िया के खिलाफ केस दर्ज किया, तो अदालत ने अपने सामने हाजिर होने के लिए उन्हें एक के बाद एक कई वारंट जारी किए. बस उसी समय से तोगड़िया भाग रहे हैं, ताकि अदालत के सामने हाजिर होने से बचा जा सके.

सोमवार को सालों से चली आ रही चूहा-बिल्ली की दौड़ के बाद आखिरकार सादे कपड़ों में तैनात राजस्थान पुलिस ने तोगड़िया को ट्रैक कर लिया. सूत्रों के मुताबिक, राजस्थान पुलिस को देखकर और गिरफ्तारी के डर से तोगड़िया नर्वस होकर तनाव में आ गए थे.

बीजेपी प्रशासित एक राज्य में, हिंदुत्व का पोस्टर बॉय पुलिस को देखकर डर क्यों रहा है? इसके लिए, हमें इतिहास में झांकने की जरूरत है.

साल 2002 में, एक बेलगाम बछड़े की तरह तोगड़िया ने उत्तर भारत में त्रिशूल दीक्षा का एक कार्यक्रम चलाया था. हिंदुओं को हथियारबंद करने की अपनी मुहिम के तहत तोगड़िया उस वक्त जगह-जगह दौरा करके त्रिशूल बांट रहे थे. अपने त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम के तहत तोगड़िया राजस्थान भी पहुंचे. लेकिन राजस्थान सरकार ने अजमेर में उन्हें त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम रोकने को कहा और गिरफ्तारी का भय दिखाया. राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तोगड़िया को चेतावनी देते हुए कहा कि त्रिशूल एक प्रतिबंधित हथियार है, लिहाजा इसे लोगों के बीच बांटना भी अपराध है. लेकिन तोगड़िया नहीं माने और सरकार के आदेश को धता बताते हुए स्थानीय युवाओं को खुलेआम त्रिशूल बांटे.

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सरकारी आदेश का उल्लंघन करने के बावजूद उस समय राजस्थान पुलिस ने तोगड़िया को गिरफ्तार नहीं किया. अधिकारियों लगा था कि तोगड़िया शायद सिल्वर फॉइल से ढंके और लकड़ी से बने त्रिशूल बांटकर नौटंकी कर रहे हैं. लेकिन, घटना के वीडियो फुटेज देखने के बाद, पुलिस ने तोगड़िया को गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. तोगड़िया को उस वक्त गिरफ्तार किया गया था, जब वो एक रेस्तरां से लंच करके बाहर निकल रहे थे.

तोगड़िया को उस समय लगभग दो महीने जेल में बिताना पड़े थे. तोगड़िया की यह जेल यात्रा उनके लिए हर लिहाज से दुखद और कष्टकारी रही थी. अदालत में सुनवाई के दौरान, वह अक्सर शिकायत करते थे कि, जेल में मच्छर उन्हें रात भर काटते रहते हैं और जरा भी सोने नहीं देते हैं. तोगड़िया की शिकायत पर जज ने मजेदार और खासा मशहूर जवाब दिया था. जज ने कहा था कि, वह ऐसे कृत्य करते ही क्यों हैं, जिनकी वजह से मच्छरों को उनके खून की दावत उड़ाने का मौका मिलता है. कुछ महीने बाद जब तोगड़िया जेल से रिहा हुए तो उनका स्वागत बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने किया था.

अगले विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी ने जीत दर्ज की और सरकार बनाई तो तोगड़िया के खिलाफ दर्ज केस वापस ले लिया गया. बाद में जैसा कि राजनीतिक हलके में चर्चा की जाती है, तोगड़िया की नरेंद्र मोदी के साथ अनबन हो गई. इस तरह से वह बीजेपी नेताओं के लिए अछूत बन गए. कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि राजस्थान में बीजेपी की सत्ता होने के बावजूद तोगड़िया के खिलाफ केस अभी भी ओपन हो.

तोगड़िया ने फिलहाल धार्मिक रूप से राजस्थान से दूरी बना रखी है. शायद, राजस्थानी मच्छरों की कड़वी यादें अब भी गौ माता के इस बेटे का पीछा करती हैं. यही वजह है कि राजस्थानी पुलिस को देखकर उन्होंने एक असल तोगड़िया की स्वभाविक प्रवृत्ति की तरह उछल-कूद शुरू कर दी.