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स्कूलों की दादागिरी! हम तो फीस बढ़ाएंगे आप क्या कर लोगे

बढ़ती फीस से परेशान होकर अभिभावकों ने स्कूलों के खिलाफ मोर्चा खोला

Subhesh Sharma

आज के समय में बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराना किसी चैलेंज से कम नहीं रहा है. वहीं एक बार को एडमिशन हो भी जाता है, तो इसके बाद पेरेंट्स को स्कूलों की लगातार बढ़ती फीस का बोझ उठाना पड़ता है. फीस वृद्धि को लेकर इन दिनों स्कूलों की मनमानी काफी ज्यादा बढ़ गई है. इस बढ़ती फीस से परेशान होकर अभिभावकों ने स्कूलों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नोएडा और गाजियाबाद के तमाम बड़े स्कूल फीस वृद्धि को लेकर मनमानी पर उतारू हैं.


स्कूल का कुछ भी कहने से इनकार

वहीं जब हमने इस बारे में रयान इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा से बात करने की कोशिश की तो पहले उसने फीस हाइक को लेकर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. इसके बाद दोबारा बात करने पर उन्होंने कहा कि मैनेजमेंट के लोग और प्रिंसिपल अभी व्यस्त हैं, इसलिए फिलहाल कोई बात नहीं हो सकती है. ऐसा ही कुछ जवाब हमें डीपीएस, नोएडा से भी मिला. जहां ये बोलकर बात नहीं की गई कि प्रिंसिपल मैडम बिजी हैं. अभी बात नहीं कर सकती हैं.

परेशान हैं पेरेंट्स

हमने ओम (नाम बदला हुआ है) से बात की जिनके तीन बच्चे डीपीएस, नोएडा में पढ़ रहे हैं. उन्होंने भी इस सिलसिले में कई खुलासे किए.

ओम ने बताया कि डीपीएस नोएडा में उनके तीन बच्चे हैं जोकि चौथी, छठी और नौंवी क्लास में पढ़ते हैं और वो पिछले एक साल से फीस हाइक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.

उन्होंने बताया कि हम फीस हाइक से ही नहीं बल्कि एनुअल चार्जेस से भी दुखी है. हमने अपने छठी में पढ़ रहे बच्चे के एनुअल चार्जेस और फीस जमा नहीं कराई तो स्कूल ने उसे रेस्टीकेट तक कर दिया. हमारे बच्चों को तीन घंटों तक रिसेप्शन पर बैठाए रखा गया लेकिन क्लास में नहीं जाने दिया. बच्चे परेशान होकर रोने लगे और उन्हें मैंटली टॉर्चर भी किया गया. अपने बच्चों को रोता देख हमारा दिल पिघल गया और हमने स्कूल की सारी फीस भरी. हमसे अंडरटेकिंग ली गई कि आप एनुअल चार्जेस नहीं मांगेंगे और मीडिया से भी इस बारे में बात नहीं करेंगे.

आपको बता दें कि डीपीएस स्कूल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे अभिभावक लगातार एनुअल चार्जेस रिफंड करने या फिर इसे फीस में एडजस्ट करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

हिंदुस्तान टाइम्स पर छपी खबर के मुताबिक फीस वसूलने के लिए स्कूल प्रबंधन छात्रों के रिजल्ट न देने जैसे हतकंडें तक अपना रहे हैं. गौतमबुद्ध नगर में स्थित डीपीएस स्कूल ने हाल ही में फीस और एनुअल चार्जेस न देने पर 60 से ज्यादा छात्रों का रिजल्ट होल्ड पर डाल दिया था. स्कूल प्रबंधन ने 2016-17 के अकेडमिक सेशन की शुरुआत में फीस में करीब 15 फीसदी की बढ़ोतरी की है, जिसका कई अभिभावक तभी से विरोध कर रहे हैं.

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स्कूल ने फीस न जमा होने को लेकर ये तक कहा है कि जिन 60 बच्चों की फीस नहीं जमा हुई है, उनमें से 45 बच्चों को रेस्टीकेट कर दिया गया है. इसके खिलाफ अभिभावक लगातार फीस बढ़ाने के फैसले और 27,300 रुपए एनुअल चार्ज को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

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ओम के अलावा स्कूल फीस और एनुअल चार्जेस से स्वाती (नाम बदला हुआ है) भी काफी परेशान हैं. उनका बच्चा रयान इनटेरनेशनल, ग्रेटर नोएडा(वेस्ट) में पढ़ता है. स्वाती ने कई बड़े स्कूलों द्वारा फीस के साथ मैनेजमेंट की लापरवाही के कई किस्से बताए.

केजी के बच्चे की फीस जानकर उड़ जाएंगे होश

स्वाती ने हमें बताया कि आज के समय में स्कूलों की बढ़ती फीस के कारण बच्चे को अच्छी शिक्षा दे पाना बेहद मुश्किल होता जा रहा है. मेरा बच्चा केजी में पढ़ रहा है और उसकी सालाना एडमिशन फीस 2017-18 के लिए 35,500 है और ये नॉन रिफंडेबल है. इसके साथ-साथ हमें एनुअल फीस 9000 रुपए देनी होती है, हमें नहीं पता आखिर ये पैसे किस बात को लेकर लिए जा रहे हैं. जब हम 35,500 रुपए एडमिशन फीस जमा कर रहे हैं.

हम फीस बढ़ाएंगे आपको साइन करना होगा

स्वाती ने बताया कि एडमिशन के दौरान स्कूल द्वारा हमें एक फॉर्म साइन कराया गया है. जिसमें एक सवाल ये भी था कि अगर हम (स्कूल) फीस बढ़ाएंगे तो उसे लेकर आप क्या करेंगे. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हम तो क्या ही कर सकते हैं. हम इसके बारे में मैनेजमेंट से बात करेंगे और क्या.

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KG के बच्चों की किताबें इतनी महंगी

आमूमन तौर पर यूकेजी के बच्चों की किताबें 1000 से 2000 रुपए के बीच आनी चाहिए, लेकिन स्वाती का कहना है कि हमने अपने बच्चे की किताबों के लिए 4,600 रुपए से ज्यादा दिए हैं.

मैनेजमेंट की लापरवाही से बच्चे लापता हुए

स्वाती ने स्कूल मैनेजमेंट की लापरवाही का एक किस्सा बताते हुए कहा कि रयान इंटरनेशनल में सैकेंड सेशन में स्कूल मैनेजमेंट की लापरवाही के चलते नर्सरी-यूकेजी के दो बच्चे लापता हो गए थे. बच्चे करीब तीन घंटे तक लापता रहे. बच्चों को कोई दूसरा कैब ड्राइवर स्कूल से ले गया, लेकिन शुक्र है खुदा का कि वो उन्हें कुछ घंटों में वापस स्कूल लेकर आ गया.

इन स्कूलों का हाल तो और भी बुरा है

स्वाती बताती हैं कि गुरुकुल और गौर इंटरनेशनल जैसे स्कूलों में भी फीस काफी ज्यादा है. यहां सिर्फ हाई-फाई पेरेंट्स ही अपने बच्चों को पढ़ा सकते हैं. हमने एडमिशन कराने के लिए करीब 20 स्कूल देखे और सभी जगह फीस का हाल एक जैसा ही है.