view all

प्लीज! सेना और अर्द्धसैनिक बलों को उनके हाल पर छोड़ दीजिए

इस देश में शांति बनाए रखने के लिए और नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए सेना और अर्द्धसैनिक बल दिनरात काम कर रहे हैं.

SL Narasimhan

सेना में खराब खाने और खराब व्यवस्थाओं को लेकर कुछ वीडियो सोशल मीडिया में आने के बाद से खलबली मची हुई है. इससे पहले सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर सेना में खलबली मची थी.

हालांकि इसके बाद जनरल बिपिन रावत, लेफ्टनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज हालात के मद्देनजर बेहद संजीदगी से पेश आए. इन तीनों अफसरान ने पहले की तरह सामान्य कामकाज शुरु कर दिया.


बीएसएफ और सीआरपीएफ जवानों के वीडियो विवाद में उनके परिवार को भी घसीट लिया गया है. बीएसएफ जवान ने खराब खाने की शिकायत की. जबकि सीआरपीएफ जवान का आरोप था कि उनके साथ सही बर्ताव नहीं किया जाता. इसके बाद 13 और 14 जनवरी को सेना के भीतर अर्दलियों की व्यवस्था को लेकर बहस छिड़ी रही.

यह भी पढ़ें: कहां गए वो ढोंगी राष्ट्रभक्त?

इस बीच 12 जनवरी को लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी की एक खबर आई. यह 31 दिसंबर, 2016 को एक वीडियो कांफ्रेंसिंग के बारे में थी. इसमें जनरल बख्शी अपनी कमांड से रुबरू हो रहे थे. यह खबर भी टीवी मीडिया पर छाई रही.

सेना के अंदर से इतनी खबरों का आना बताता कि व्यवस्था कितनी पारदर्शी हो गई है.

अर्दली और अफसर का रिश्ता होता है पवित्र

इसमें कोई दो राय नहीं कि इन शिकायतों को दूर किया जाना चाहिए. मामले में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ सख्त कारवाई करनी चाहिए. जवानों की जरुरतों का खास ख्याल रखना चाहिए.

सेना में अर्दली व्यवस्था पर आए दिन बहस छिड़ती रहती है. एक अफसर और उसके अर्दली की रिश्ता काफी पवित्र माना जाता है. जिन्हें इस रिश्ते की जानकारी नहीं वो ही इस व्यवस्था की आलोचना कर सकते हैं.

Nagrota-Army-Attack

सेना के तरीकों और युद्ध के हालातों को न समझने वाले ही अर्दली व्यवस्था को बंद करने की बात कर सकते हैं. इसके सही इस्तेमाल करने की सलाह पर किसी को ऐतराज नहीं है.

भारतीय सेना में बड़ी संख्या में काम करने वाले सैनिकों में से किसी न किसी को तो शिकायत रहेगी. इन्हें अनुशासित रखने के लिए सख्त नियम होते हैं. कठिन हालातों में काम करने वाले सैनिकों के प्रति उनके अधिकारियों की जिम्मेदारी भी होती है.

यह भी पढ़ें: बीएसएफ वीडियो मामला: ये धुआं सा कहां से उठा है...

सैनिकों की तैनाती देश के अलग-अलग हिस्सों में छोटी से छोटी पोस्ट पर होती है. इन सब पर नियंत्रण रखने के लिए अफसरों की एक बड़ी फौज चाहिए होती है. जाहिर है कि तीनों सेनाओं में अपने नीचे काम करने वाले का ध्यान अफसरों को रखना पड़ता है. जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है.

'यूनिट तरतीब' से निपटें

छोटी सी छोटी संस्थाओं में भी शिकायतें दूर करने की एक कार्यप्रणाली होती है. नाराज लोगों की शिकायत दूर करना अफसरों की जिम्मेदारी होती है. लेकिन समस्या तब और बढ़ जाती है जब शिकायत की जांच होने से पहले ही उस पर हो-हल्ला मचना शुरू हो जाता है.

बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवानों का वीडियो देखकर इन दोनों फोर्स के बारे में राय बनाने से पहले निष्पक्ष पड़ताल करने की जरुरत है. जरूरी नहीं कि इस वीडियो में जो बताया जा रहा हो वह सही हो.

इसके साथ ही फोर्स इन यूनिटों को जिस पर ध्यान देने की जरुरत है, उसे फोर्स की भाषा में ‘यूनिट तरतीब’ कहा जाता है. यूनिट को संभालने के लिए इसी यूनिट तरतीब का पालन किया जाता है.  इन वीडियो का बाहर आना बताता है इन यूनिटों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. लिहाजा उन्हें अपने भीतर झांकने की जरूरत है.

यह भी पढ़ें: अतिराष्ट्रवाद के बोए बीज की फसल काट रही बीजेपी

सेना प्रमुख फोर्स के अंदर हर चीज के लिए जिम्मेदार होता है. बिपिन रावत पर कागजी कामों से लेकर सेना की तैनाती और उसकी कार्यवाही सबके लिए सेना प्रमुख ही जिम्मेदार हैं. उन पर काम का इतना बोझ है कि उन्हें इस तरह के छोटे-मोटे विवादों में घसीटना ठीक नही.

जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख

जनरल बख्शी पर पूर्वी कमांड की जिम्मेदारी है. चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश से जुड़ी सीमाओं पर चौकसी की जिम्मेदारी उन पर है. इसके अलावा पूर्वोत्तर में घुसपैठ रोकने की जिम्मेदारी भी जनरल बख्शी पर ही है. जनरल हारिज पर पाकिस्तान से लगी सीमा और दूसरे इलाकों की जिम्मेदारी है.

तीनों कमांडर हर वक्त सेना के काम के सिलसिले में यात्रा पर रहते हैं. इन पर लाखों सैनिकों की जिम्मेदारी है. इनकी ट्रेनिंग, तैनाती, सैनिकों के कल्याण और इन्हें चौकस बनाए रखने का काम लगातार चलता रहता है. इन सभी पर तीनों कमांडरों की नजर बनीं रहती है.

भारत का भविष्य सुरक्षित

वायरल वीडियो जैसे विवाद में घसीटना इनके साथ नाइंसाफी होगी.  हमारे देश को भविष्य तभी तक सुरक्षित है जब तक  हम अपनी सेना को मजबूत बनाने में योगदान देते रहेंगे.

हमें भारत की रक्षा में लगी इन संस्थाओं को गलत ढंग से दिखाना बंद करना चाहिए. अगर कोई समस्या होती है तो पहले उसकी ठीक से जांच करके हल निकालना चाहिए.  हर संस्था के पास अपने मुद्दों को सुलझाने के लिए व्यवस्था होती है. हर सेना में ऐसी समस्याएं आती हैं. उन्हें अपने तरीके हल करने देना चाहिए.

किसी भी मुद्दे को ज्यादा तूल देने से पहले हमें उसकी पूरी पड़ताल कर लेनी चाहिए. गृह मंत्रालय ने भी अपनी रिपोर्ट में बीएसएफ जवान के आरोपों को खारिज कर दिया है. इससे बीएसएफ को सफाई देने में समय बर्बाद करने के बजाए असल मसलों पर ध्यान देने में मदद मिलेगी.

यह भी पढ़ें: मोदी के ‘चंगुल में’ अफगानिस्तान, दुखी पाक मीडिया

सेना जैसी संस्थाओं को भी बाहरी आलोचना से बहुत ज्याद प्रभावित हुए बगैर काम करना चाहिए. इनकी कोशिश हो कि सबकुछ ठीक-ठाक चलता रहे. किसी की शिकायत को जल्दी दूर किया जाए और समस्या का हल तुरंत निकाला जाए.

इस देश में शांति बनाए रखने के लिए और नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए सेना और अर्द्धसैनिक बल दिन रात काम कर रहे हैं. लेकिन उनके अंदर भी तो समस्याएं हैं. यह समस्याएं व्यवस्था में कमियों के चलते हो सकतीं हैं. जरूरत इस बात की है कि उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया जाए.