view all

शाकाहार अपनाइए: ये ठीक नहीं कि पशुओं की जिंदगी की कीमत पर आप खूबसूरत और स्वस्थ दिखें

शाकाहारी जीवन शैली अपना चुके लोगों के लिए अब अवसरों की कमी नहीं है. बस आपको थोड़ा साहस और धीरज रखने की जरूरत है

Maneka Gandhi

शाकाहारी जीवन शैली अपना चुके लोगों के लिए अब अवसरों की कमी नहीं है. बस आपको थोड़ा साहस और धीरज रखने की जरूरत है लेकिन यह तो किसी भी व्यवसाय के लिए जरूरी होता है. शाकाहारी जीवन शैली अपना कर धन कमाने और दुनिया बदलने के बाबत कुछ तरीके यहां नीचे लिखे जा रहे हैं, इन्हें ध्यान से पढ़ें.

बेशक आपके मन में जीव-जगत के प्रति करुणा होनी चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप फैशन करने से परहेज करें. आप फैशन भी कर सकते हैं और जीव-जगत के प्रति करुणा का भाव रखते हुए अपना जीवन भी जी सकते हैं! आला दर्जे के फैशन के बहुत से सुंदर उत्पाद रिसाइकिल किए हुए पॉलिस्टर से बनते हैं. हजारों की तादाद में क्रूएल्टी-फ्री शूज, बेल्ट तथा वैलेट ऑनलाइन और ऑफलाइन बिक्री के लिए मौजूद हैं.


इनके निर्माण में सिर्फ नॉन-एनिमल मैटेरियल का इस्तेमाल होता है जो या तो वनस्पति स्रोतों पर आधारित होते हैं या इन्हें बनाने में अल्ट्रा सुयेड, आर्गेनिक कॉटन, कैनवास, नायलॉन, वेलवेट और लिनन जैसे मानव-निर्मित वस्तुओं का सहारा लिया जाता है- ये चीजें एन्वायर्नमेंट-फ्रेंडली (पर्यावरण-हितैषी) भी होती हैं. यहां तक कि जूतों के निर्माण में इस्तेमाल किया जाने वाला गोंद भी न तो पशुओं से बना होता है और न ही पशुओं पर उसका परीक्षण किया गया होता है.

आप साप्ताहिक आर्गेनिक मार्केट भी शुरू कर सकते हैं. पीपल फॉर एनिमल ने कुछ दिनों पहले ऐसी एक शुरुआत की थी और काम अच्छा चल निकला था. अब दिल्ली में तीन साप्ताहिक ऑर्गेनिक मार्केट मौजूद हैं- यहां बीज, पौधे, शाक-सब्जी तथा सलाद से लेकर तेल और चीज़ तक हर कुछ मौजूद है. आप इसमें वेगन कुकबुक, विनेगर तथा सॉसेज, चाय, पॉटरी, परफ्यूम, साबुन, स्किन-केयर, हेयर प्रोडक्टस् तथा वेगन डेली को भी जोड़ सकते हैं. एक दिन यह भी एक स्थायी बाजार का रूप ले लेगा और फ्लॉवर मार्केट की तरह इसे भी सरकार की तरफ से जमीन आवंटित कर दी जाएगी. सिडनी में हर साल एक वेगन फेस्टिवल मनाया जाता है- इसमें पूरे ऑस्ट्रेलिया से लोग शिरकत करते हैं.

आप भी ऐसा मेला लगा सकते हैं और इसे क्रुएल्टी-फ्री फेस्टिवल का नाम दे सकते हैं. मुझे वेगन बेकरी, कॉन्फेक्शनरी तथा चोकोलेटियर में खरीदारी करनी होती है: यहां हर तरह वेगन (वनस्पति स्रोतों पर आधारित) की मिठाइयां मिलती हैं जिसमें बेक्ड गुड्स, चॉकलेटस ट्रफ्ल्स, फज, कॉरामेल्स, टॉफी, ब्रिटल, पीनट बटर कप्स, मार्शमेलो, पिपरमिन्ट क्रीम, पैटिज, ब्राउनी, टॉफी, केक्स, कुकीज, मेरिंग्स, मफीन, डोनट तथा कपकेक शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: जानवरों के शरीर से पता चलता है कि उनका दिमाग भी इंसानों की तरह ही काम करता है

क्रोइसैन, चीज़ केक, मरमालेड और चटनी तथा सुंदर गिफ्ट बास्केट भी मिल जाते हैं. आपको लगेगा अरे वाह- इतनी सारी चीजों की खरीदारी! हां, चाहे आप इसे मेरे स्वभाव का खोट क्यों ना करार दें लेकिन वेगन तथा ग्लूटेन फ्री चीजें मुझे बहुत पसंद हैं! आपको मीठे का स्वाद भी हासिल हो जाता है और उसमें कोई रासायनिक पदार्थ, जंतु-उत्पाद या जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीन-प्रवर्धित) जीवांश भी नहीं मिला होता. लेकिन वेगन बेकरी चलाने के लिए जो चीजें जरूरी हैं उन्हें खूब देख-भाल कर ही मंगवाना चाहिए- इन चीजों के सप्लायर्स (आपूर्तिकर्ता) की खूब जांच-परख कर लेनी चाहिए.

पॉम ऑयल की जगह कोकोनट तथा कोकोआ बटर का इस्तेमाल करें. स्वीटनर के तौर पर इवैपोरेटेड केन जूस, कोकोनट शुगर तथा शुद्ध मेपल शुगर का इस्तेमाल किया जा सकता है. फ्रेश ऑर्गेनिक जूस तथा स्मूथीज का भी ध्यान रखना चाहिए. बिक्री के लिए रखी गई हर चीज प्रमाणित रूप से नॉन-जीएमओ (यानि जो जीन-संवर्धित नहीं है) होनी चाहिए.

आप निश शॉप (खास वस्तुओं की दुकान) भी खोल सकते हैं जहां सिफ तेल, दूध तथा मक्खन की बिक्री हो. इस दुकान में बिक्री के लिए जैतून का तेल, यरबा मेट, नारियल, पटसन, चिया, हेम्प, तथा काले तिल का तेल, काजू तथा शीया बटर, बादाम का तेल तथा दूध, अगेव नेक्टर, फ्लैक्स-मिल्क, जैविक साबुत चावल, मैपल सीरप, गुड़, आर्गेनिक कोकोनट शुगर, स्टेविया, जाइलिटॉल और सूरजमुखी के बीजों का बना अच्छे किस्म का तेल रखा जा सकता है. यहां एनिमल राइट्स शर्ट्स और बटन भी रखे जा सकते हैं. पोषण के जरिए सेहत बनाने का यह एक बेहतर तरीका हो सकता है.

आप लोगों को ‘मॉक मीट’ और चीज़ से बने ढेर सारे व्यंजन परोसकर उन्हें अचरज में डाल सकते हैं. आप ग्राहकों को इस श्रेणी के भोजन में चिकन सैंडविच, हॉटडॉग, कबाब, स्टेक, बर्गर, कीमा पाई, बेकन, नगेट्स, सॉसेज, मटन करी, फिश फिलेट्स, चिकन पॉट पाई और फ्रेंच टोस्ट परोस सकते हैं. वेगन चीज से बने व्यंजन ऑनलाइन भी मौजूद हैं. हेजल-नट (पिंगल फल या पहाड़ी बादाम) से बने स्मोक्ड गौडा, चिपोटले चेडर और मोंटेरे जैक, सोया-आधारित फेटा क्रम्बल्स, काजू-आधारित चिया चीज सॉस भी इसी श्रेणी के व्यंजन हैं.

जो लोग शाकाहारी जीवन-शैली अपनाने की कोशिश कर रहे हैं- उनके लिए ये व्यंजन बहुत मददगार हो सकते हैं, वे शाकाहारी बन सकते हैं. मॉक मीट या कह लें नकली मांस (जैसे FRY) भी बाजार में मौजूद हैं. ये मांस, मछली, अंडे, दूध, नट्स, कोलेस्ट्रॉल, हाइड्रोजनीकृत वसा, जीएम(जीन-प्रवर्धित) सामग्री, कृत्रिम रंग, फ्लेवर (स्वाद) तथा प्रिजर्वेटिव्स (खाद्य-पदार्थ को संरक्षित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन) से मुक्त होते हैं.

अगर आप कैफे चला रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि उसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल ना हो. नैपकिन के लिए कपास का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसके धागे ब्लीच ना किये गए हों. आमतौर पर कपड़े के धागों की सफाई में हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल होता है.

ब्लीचिंग में भी ऐसे ही हानिकारक रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है. कैफे चलाने के क्रम में अगर कुछ कूड़ा-कर्कट निकलता है तो उसे कंपोस्ट किया जा सकता है या फिर ऐसी जैविक सामग्री को पशुओं को खिलाया जा सकता है. बोन चाइना से बनी चीजें न इस्तेमाल करें. बर्तन को धोने के लिए उन चीजों का इस्तेमाल करें जिनसे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता. कैफे के लिए कोई किताब, लेबल या मैन्यू छापना हो तो उसे रिसाइकिल्ड पेपर पर छापें और सोया से बनी स्याही का इस्तेमाल करें. अगर कैफे में उपयोग के बाद कुछ तेल बेकार बचा रह जाए तो उसका इस्तेमाल अपनी कार के लिए करें ताकि आपको पेट्रोल खरीदना ही ना पड़े.

ये भी पढ़ें: पशुओं की तुलना में खुद को श्रेष्ठ क्यों मानते हैं इंसान?

अगर मुझे ऐसी दुकान का पता चलें जहां वेगन एल्कोहल जैसे कि बीयर या वाइन मिलती हो तो मैं मद्यपान करने वालों को यही उपहार के रूप में दूं.

ज्यादातर व्यावसायिक वाइन के निर्माण में फलों को प्रसंस्कृत करने के लिए मछली या फिर जंतु-उत्पाद जैसे झींगा मछली का कवच, दुधारू पशुओं के उत्तक, अंडे, डेयरी-उत्पाद या फिर स्टर्जन-ब्लैडर (एक किस्म की समुद्री मछली आंत) का इस्तेमाल होता है जिसे इजिंग्लास कहा जाता है. बहरहाल, जिन जगहों पर वाइन का निर्माण छोटे पैमाने पर होता है वहां बहुत संभव है कि जंतु-उत्पादों का इस्तेमाल न होता हो. आपको इंटरनेट पर ऐसी वाइनरी खोजनी चाहिए और वहीं से वाइन मंगानी चाहिए.

एक उत्पाद आप अपने घर में भी बना सकते हैं और उसका विज्ञापन कर सकते हैं. बिना पॉम ऑयल या प्रिजर्वेटिव्स (परिरक्षक पदार्थ) के घर पर पी-नट बटर (मूंगफली का मक्खन) बनाइए. आप घर पर सूखे फल, मेवे आदि से एनर्जी बार भी बना सकते हैं. The Vegg LLC (www.thevegg.com) नाम के एक निर्माता वेगन एग योक (शाकाहारी अंडे की जर्दी) को पाउडर के रूप में बनाते और थोक में बेचते हैं, बिक्री ऑनलाइन होती है. पूरा व्यवसाय सिर्फ एक आदमी चला रहा है. इनका नाम है रॉकी शेफर्ड. इन्होंने ने ही वेगन एग योक का आविष्कार किया है. आप इनसे संपर्क साध सकते हैं और मिठाई बनाने वाले व्यवसायियों को उनका पता दे सकते हैं.

आप वेगन कॉस्टेमेटिक्स तथा स्किन केयर (सौन्दर्य प्रसाधन तथा त्वचा की देखभाल) शॉप भी खोल सकते हैं. वेगन कॉस्मेटिक्स (सौंदर्य प्रसाधन) में जिलेटिन या फिर किसी जंतु-उत्पाद (जैसे कि तेल या हड्डी का चूरा) का इस्तेमाल नहीं होता सो वे चेहेरे के लिए यों भी बेहतर काम करते हैं. विदेशों में कंपनियां कॉस्मेटिक लिक्विड और पाउडर फाउंडेशन, आई शैडो, ब्लशर, कंसीलर, ब्रोंज़र, लिपस्टिक, लिप बाम और मस्कारा बेचती हैं.

इन उत्पादों को बनाने में किसी किस्म का क्रूर बरताव नहीं होता- ना तो इनको बनाने के लिए किसी जानवर पर परीक्षण किया जाता है और ना ही इनमें हानिकारक रसायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है. यहां तक कि मोम (मधुमक्खी से बना) की जगह कुदरती तेल (जैविक जोजोबा ऑयल) का इस्तेमाल किया जाता है.

प्रिजर्वेटिव्स की जरूरत ना पड़े इसके लिए स्थानीय स्तर की वस्तुओं का निर्माण-प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाता है. शत-प्रतिशत नेचुरल स्किन केयर प्राडक्ट्स बनाना संभव है जिसमें एल्कोहल, पराबेन, खुशबू, मोम, डाई (रंजक), जहरीले संदूषक, सोडियम लॉरिल या लॉरेथसल्फेट, पेट्रोकेमिकल्स, कृत्रिम रंग और इत्र, ग्लाइकोल्स, सिंथेटिक प्रिजर्वेटिव्स या एडिटिव्स, बल्किंग एजेंट, या फिर किसी अन्य गोपनीय सामग्री का इस्तेमाल ना हो! ज्यादातर साबुन में जंतुओं की चर्बी का इस्तेमाल होता है.

पॉम ऑयल में दरअसल नमी को सोख लेने का गुण होता है सो अगर आप इसे त्वचा पर इस्तेमाल करते हैं तो इससे त्वचा की नमी जाती रहती है. लेकिन व्यावसायिक निर्माता इसका इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह सस्ता होता है. इसी तरह, शेलैक और लैनोलिन नाम के रसायन यों तो त्वचा के लिए अच्छे नहीं होते लेकिन उन्हें लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है सो उनका स्किन-केयर प्रोडक्ट में इस्तेमाल होता है.

वेगन सोप्स (शाकाहारी जीवनशैली के अनुरूप बनाए गए साबुन) में वनस्पतियों से निकले तेल और कुदरती सुगंध का इस्तेमाल होता है और इन्हें हाथ से बनाया जाता है. ये साबुन एलर्जेन-फ्री (एलर्जी पैदा करने वाले तत्व) होते हैं. यही बात वेगन श्रेणी के शैंपू, कंडीशनर, लिक्विड हैंड शोप, बाथ तथा शॉवर जेल तथा बॉडी लोशन के बारे में कही जा सकती है.

मुझे इस बात से बड़ा दुख होता है कि हम एक पशु को दूसरे पशु के आहार के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इसलिए, आपने अगर बिल्ली या कुत्ता पाल रखा है तो उसे वेगन फूड तथा पोषक आहार दिया करें. पशुओं के लिए ऐसे आहार मौजूद हैं. बस उन्हें बाहर से भारत में मंगाने की जरूरत है या फिर हम उन्हें घर पर ही तैयार कर सकते हैं. अगर बिल्ली को शाकाहारी जीवनशैली की आदत डालनी है तो उसे टाउरिन (एक किस्म का एमिनो एसिड) देना होगा. लेकिन आमफहम टाउरिन गाय के पित्त से बनाया जाता है, सो बिल्ली को वेगन बनाने में आमफहम टाउरिन मददगार नहीं. लेकिन सिंथेटिक टाउरिन बनाना संभव है.

मंत्री बनने के बाद से मैंने अपने मंत्रालय में गौनायल इस्तेमाल करना शुरू किया है. इसकी महक अच्छी है और सफाई भी कायदे से हो जाती है. गौनायल शाकाहारी जीवनशैली के अनुरूप है और इसे बनाने में मुख्य रूप से गौमूत्र का इस्तेमाल होता है. गौमूत्र किटाणुनाशक होता है. बर्तन धोने के लिक्विड, कपड़ा धोने के डिटर्जेन्ट, पाउडर तथा साफ-सफाई के लिए अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले स्प्रे किसी तेज असर वाले रासायनिक पदार्थ को मिलाये बिना बनाये जा सकते हैं ताकि उनका परीक्षण जानवरों पर ना करना पड़े.

ये भी पढ़ें: शाकाहारी उत्पादों की मांग मुख्यधारा में शामिल, आपूर्ति के लिए करने होंगे ठोस इंतजाम

प्लेनेट इनकॉरपोरेशन नाम की एक कंपनी ने पर्यावरण की संरक्षा को ध्यान में रखते हुए साफ-सफाई में इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ उत्पाद बनाए हैं. ये उत्पाद वनस्पतियों के सहारे बनाए गए हैं, इनसे एलर्जी भी नहीं होती और सफाई भी कायदे से हो जाती है. ये उत्पाद शत-प्रतिशत बायो-डिग्रेडेबल (जैविक रूप से नष्ट होने वाले) हैं.

इनके प्रमाणन के लिए तीन चीजें जरूरी हैं: एक तो ऐसा हर उत्पाद अपने मूल खनिज, कार्बन डायऑक्साइड तथा पानी के रुप मे टूट जाए और उत्पाद का 70 फीसद हिस्सा 28 दिनों के भीतर जैविक रूप से गल जाना चाहिए. दूसरे, उत्पाद का हर तत्व जैविक रूप से गलने वाला होना चाहिए और उसमें हर स्थिति (यानि ऑक्सीजन मौजूद ना हो तब भी) में गलने का गुण होना चाहिए. तीसरी बात यह कि गलने वाला कोई भी तत्व पानी में पनपने वाली वनस्पतियों या पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए हानिकारक नहीं होना चाहिए.