इंसान खुद को हमेशा से ही धरती के दूसरे जीवों से अलग मानता आया है. लेकिन, वैज्ञानिकों ने तमाम रिसर्च से ये बात साबित की है कि हम जिन खूबियों के बारे में ये मानते हैं कि वो सिर्फ़ इंसान के पास हैं, अक्लमंदी केवल इंसान के पास है, वो सभी असल में जानवरों में भी मौजूद है. जैसे कि औजारों का इस्तेमाल. कई कीड़े, मछलियां, कौवे और बंदर औजारों का प्रयोग करते देखे गए हैं.
इसी तरह एक और गुण है, जिसके बारे में माना जाता है कि वो सिर्फ इंसानों में होता है. वो है दिमाग के किसी एक हिस्से का ज्यादा इस्तेमाल. हर इंसान का दिमाग दो हिस्सों में बंटा होता है. दायां और बायां भाग. कोई दाहिने हिस्से का ज़्यादा इस्तेमाल करता है, तो कोई बाएं का. दिमाग का बायां हिस्सा, शरीर के दाहिनी तरफ के अंगों को चलाता है, तो जेहन का दाहिना हिस्सा बाईं ओर के अंगों को कंट्रोल करता है.
हालांकि किसी जीव के दिमाग के दोनों हिस्से एक जैसे नहीं होते. दोनों ही हिस्से अलग-अलग तरह से काम करते हैं. ज्यादातर इंसान दाहिने हाथ वाले होते हैं, क्योंकि ये माना जाता है कि हमारे दिमाग का बायां हिस्सा हमारे शरीर के दाहिने हिस्से को ज्यादा मजबूत बनाता है. साथ ही करीब 90-92 प्रतिशत इंसानों में जेहन का बायां हिस्सा ही भाषा की हमारी काबिलियत को नियंत्रित करता है.
क्या जानवर इंसानों से अलग होते हैं?
भले ही बनावट अलग हो, मगर बहुत से स्तनधारी जीवों, परिंदों, मछलियों और रीढ़विहीन जीवों का दिमाग भी इसी तरह बंटा होता है. बहुत से जानवर अपनी बायीं आंख और बाएं कान को ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. जिसका मतलब है कि इन जानवरों के दिमाग का दाहिना हिस्सा ज्यादा सक्रिय होता है. जानवरों का जेहन जब खतरनाक दिखने वाली चीजों का परीक्षण करते हैं, तो उनके शरीर के बाएं अंग ज्यादा सक्रिय होते हैं.
बायें हाथ का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोग तनाव के शिकार जल्दी हो जाते हैं. यही हाल बायें पैर का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले कुत्तों और कई अन्य जानवरों का भी होता है. दाहिने अंग ज्यादा इस्तेमाल करने वाले बीमारियों से बेहतर मुकाबला करते हैं.
1987 में जानवरों के बर्ताव के जानकार वैज्ञानिकों मैक्नीलेज, स्टैंडर्ड-केनेडी और लिंडब्लोम ने अपनी रिसर्च के जरिए दिखाया था कि ज्यादातर मकाक बंदर बाएं हाथ वाले होते हैं. ज्यादातर प्राइमेट्स यानी इंसानों के क़ुदरती रिश्तेदार, बाएं हाथ का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले होते हैं. लेकिन, वो चीजों को तोड़-मरोड़ करने के लिए दाहिने हाथ का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. यानी पेचीदा कामों के लिए दाहिने हाथ का इस्तेमाल जानवर ज्यादा करते हैं.
बुश-बेबी और लीमर जैसे जानवरों में दाहिने हाथ का इस्तेमाल बड़े काम करने के लिए होता है. जैसे कि एक शाख से दूसरी शाखा पर जाने के लिए छलांग लगाना. ये जीव बाएं हाथ का प्रयोग छोटे कामों जैसे कीड़े पकड़ने के लिए करते हैं.
युवा घोड़े अक्सर अपनी दाहिनी नाक से सांस लेते हैं. ज्यादा जज्बाती घोड़े अपनी बायीं आंख से देखने को तरजीह देते हैं. हाल ही में एप्लाइड एनिमल बिहैवियर साइंस की रिसर्च में पाया गया है कि करीब 53 फीसद घोड़े पहले दाहिना पैर आगे बढ़ाते हैं. वहीं, 40 फीसद घोड़े अपने बाएं पैर से चलने की शुरुआत करते हैं. बाकी के 7 फीसद घोड़ों को फर्क नहीं पड़ता कि घोड़े ने बायां पैर पहले उठाया या फिर दाहिना. रेस में भाग लेने वाले घोड़ों को जब तक मजबूर न किया जाए, वो अपनी पसंद से ही पैरों का इस्तेमाल करते हैं.
इसी तरह कुत्ते भी अपने एक पैर को दूसरे पर तरजीह देते हैं. हालांकि जब कुत्ते शोर की वजह से डर जाते हैं, तो वो दोनों पैरों का इस्तेमाल करते हैं. कुत्तों के ट्रेनर उनके किसी तरफ के झुकाव को पढ़कर उसी हिसाब से उन्हें ट्रेनिंग देते हैं.
जानवरों की कोशिश होती है कि वो नई चीज को बायीं आंख से देखें. इसकी मिसाल मैगपाई, चूजे, टोड और मछलियां हैं. वहीं चमगादड़ों को चढ़ाई के दौरान बाएं अंग का ज्यादा इस्तेमाल करते हुए देखा गया है. महीन काम के लिए कंगारू बायें पंजे का इस्तेमाल करते हैं. वहीं, ताकत वाले काम के लिए वो दाहिने पंजे को प्रयोग करते हैं. ज्यादातर तोते एक पांव से ही चीजों को पकड़ने को तरजीह देते हैं और वो पांव बायां होता है.
रेनबो मछलियों को जब आईने में उनका अक्स दिखाया गया. जिस मछली ने बायीं आंख से देखा, वो दाहिनी ओर तैरने लगी. इसी तरह दाहिनी तरफ देखने वाली मछली बाएं साइड की तरफ तैरने लगी. इसी तरह ज़ेब्रा जब मादा को लुभाते हैं तो वो दाहिनी आंख का इस्तेमाल करते हैं.
ईमेयी संगीतमय मेंढक मादा दाहिने कान का इस्तेमाल ज्यादा करते देखे गए हैं, ताकि मादा की पुकार सुन सकें. वहीं, वो आने वाले खतरे से निपटने के लिए बाएं अंग का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. इसी तरह हम्पबैक व्हेल अपने दाहिने डैने से तैरने के लिए ज्यादा जोर लगाती है.
इसी तरह चूजे और मुर्गियां, खाने की तलाश के लिए दाहिने पैर का प्रयोग ज्यादा करते हैं. लेकिन, खाने की तलाश के लिए ही ये मुर्गियां बायीं आंख का प्रयोग ज्यादा करती हैं. 1980 के दशक में वैज्ञानिकों एंड्रयू, मेंचस रैने, ज़ैपिया और रोजर्स अपनी रिसर्च में ये संकेत दिया था कि चूजों की दाहिनी आंख, बायीं आंख के मुकाबले खाने की चीजों जैसे अनाज के दानों के बारे में तेजी से जानकारी देती है. वहीं दूसरी तरफ, मुर्गियों की बायीं आंख हमले के वक्त सतर्कता और मुर्गे की बांग पर प्रतिक्रिया देने का काम ज्यादा मुस्तैदी से करती है. कबूतर भी दाहिनी आंख का प्रयोग ज्यादा करते हैं. पर, चूंकि कबूतर, अपने पैर का इस्तेमाल कर के खाना नहीं तलाशते, तो उनके अंदर दाहिने पैर के इस्तेमाल की आदत विकसित नहीं हुई है.
घोंघे जैसे बिना रीढ़ वाले जीव भी जेहन के एक हिस्से की तरफ झुकाव वाला बर्ताव प्रदर्शित करते देखे गए हैं. उनके खोल या तो दाहिनी तरफ को मुड़े होते हैं या फिर बायीं ओर. इसका मतलब ये होता है कि घोंघे केवल अपनी तरह के खोल वालों के साथ ही यौन संबंध बना सकते हैं.
परिंदों में दिमाग के एक हिस्से की तरफ झुकाव का और भी दिलचस्प असर देखने को मिलता है. इंसानों का मानना रहा है कि जब दिमाग में कॉर्पस कैलोसम नाम का हिस्सा होता है, तभी वो एक तरफ के प्रति झुकाव वाला बर्ताव करता है. लेकिन, पक्षियों के जेहन में ये हिस्सा होता ही नहीं. फिर भी वो दाहिने या बायें अंग के प्रति झुकाव दिखाते हैं.
किसी खास हिस्से की तरफ झुकाव की बात करें, तो इंसानों और परिंदों के दिमाग में काफी समानताएं दिखती हैं. सॉन्ग बर्ड के गाने की आदत को उनके जेहन का बायां हिस्सा कंट्रोल करता है. परिंदों के गीत और इंसानों की भाषाओं में भी समानता पाई जाती है. पक्षी तो एक कदम आगे हैं. इसकी वजह ये है कि उनके दिमाग के दोनों ही हिस्से गाने या भाषा के बर्ताव को नियंत्रित करते हैं. जबकि, इंसानों में इस ख़ूबी पर हमारे ज़हन के एक ही हिस्से का कंट्रोल होता है.
इसी तरह हम इंसान, किसी दरवाजे को बाएं या दाएं हाथ से खोल सकते हैं. फिर भी, अगर हम दाहिने हाथ वाले हैं, तो बायें हाथ से लिखने में हमें दिक्कत होती है. काम जितना ही पेचीदा होगा, उसे दोनों हाथों से करना उतना ही मुश्किल होगा. जानवर भी आसान काम को दोनों तरफ के अंगों के इस्तेमाल से कर पाते हैं. वहीं, मुश्किल कामों के लिए शरीर के किसी एक ही हिस्से के अंगों का वो इस्तेमाल करते हैं.
44 फीसद कुत्ते-बिल्ली बायीं ओर के अंगों के इस्तेमाल का झुकाव रखते हैं
इटली के रिसर्चरों, करांटा, सिनिस्कालची और वैलोर्टिगारा ने अपनी रिसर्च में पाया था कि कुत्ते जब कोई सकारात्मक संकेत देखते हैं, तो अपनी पूंछ को दाहिनी तरफ हिलाते हैं. वहीं किसी खतरे की आहट पर वो पूंछ को बायीं ओर हिलाते हैं. यानी कुत्तों के जेहन के दाहिने और बायें हिस्से के पास अलग-अलग जिम्मेदारियां होती हैं.
इस बात के कई सबूत हैं कि कुत्ते या बिल्लियां भी दाएं या बाएं हाथ-पैर वाले हो सकते हैं. हालांकि इन जानवरों में ये अनुपात इंसानों के मुकाबले बराबरी का होता है. एक रिसर्च ये कहती है कि जानवरों का ये बर्ताव उनके मिजाज पर निर्भर करता है. 44 फीसद कुत्ते-बिल्ली बायीं ओर के अंगों के इस्तेमाल का झुकाव रखते हैं, तो 10 प्रतिशत दोनों अंगों का बराबरी से प्रयोग करते हैं. जो जानवर किसी खास अंग के प्रति ज्यादा झुकाव रखते हैं, वो मजबूत, प्यारे, सक्रिय और दोस्ताना बर्ताव वाले पाए गए हैं. बेलफास्ट की क्वींस यूनिवर्सिटी में हुई एक रिसर्च ने पाया है कि दाहिने या बायें अंग का इस्तेमाल जानवरों के लिंग के हिसाब से भी होता है.
95 फीसद मादा बिल्लियां दाहिने पंजों का इस्तेमाल ज्यादा करती हैं. वहीं, नर यानी बिल्लों में 95 प्रतिशत बायें पंजे का इस्तेमाल ज्यादा करते देखे गए. इस बात के भी संकेत रिसर्च से मिले हैं कि किसी जीव का किसी तरफ के अंग के प्रति झुकाव उनकी कमजोरी या तनाव का भी संकेत होता है. जिन जानवरों में दाहिने या बायें अंग के प्रति झुकाव नहीं होता, या जो बायें अंगों का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं, वो कमजोर होते हैं. उन्हें ज्यादा देख-भाल की जरूरत होती है. बेलफास्ट की क्वींस यूनिवर्सिटी की डॉक्टर वेल्स कहती हैं कि, 'हम ने पाया है कि बाएं पैर के प्रति झुकाव रखने वाले कुत्तों का मिजाज नकारात्मक होता है. जबकि दाहिने पंजे का इस्तेमाल करने वाले कुत्ते उत्साही होते हैं. जानवर पालने वालों के लिए ये बात काफी मददगार हो सकती है कि वो जिस जानवर को पाल रहे हैं, वो बायीं ओर झुकाव रखने वाला है या दाहिने पंजे का ज्यादा इस्तेमाल करता है. इससे उन्हें पता चलेगा कि उनका पालतू जानवर तनाव को किस तरह झेल सकेगा.'
अगर हम ये पता लगा लें कि किसी पालतू जानवर का किस अंग के ज्यादा इस्तेमाल के प्रति झुकाव है, तो उससे घरेलू जानवरों की परवरिश और इस्तेमाल बेहतर हो सकेगा. कुत्तों के बच्चों का ज्यादा अच्छे ढंग से इस्तेमाल हो पाएगा. हम ये पता कर सकेंगे कि कौन से घोड़े घुड़दौड़ में जीत दिलाएंगे. यानी इंसान के बेहतरीन होने के एक और झूठ का खात्मा हो गया.
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