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मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोति रिटायर भले हो जाएं लेकिन आरोप चिपके रहेंगे

अपने रिटायरमेंट से पहले अचल कुमार जोति के फैसले पर आम आदमी पार्टी ने बवाल खड़ा कर रखा है.

Amitesh

मुख्य चुनाव आयुक्त ए के जोति सोमवार 22 जनवरी को रिटायर हो गए हैं. अब उनकी जगह ओ पी रावत 23 जनवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार संभाल लेंगे. लेकिन, अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में उनकी तरफ से किए गए फैसले को लेकर राजनीतिक बवाल शुरू हो गया है.

22 जनवरी को अपने रिटायरमेंट के तीन दिन पहले यानी 19 जनवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोति की अगुआई में चुनाव आयोग ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के भविष्य को लेकर अपना फैसला सुना दिया. चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास संसदीय सचिव के पद पर तैनात आप के 20 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश कर दी. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद दिल्ली में आप के 20 विधायकों की सदस्यता खत्म हो गई है.


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उधर, आप ने इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है. लेकिन, इस फैसले के खिलाफ आप के नेता आग उगल रहे हैं. उनकी नाराजगी मुख्य चुनाव आयुक्त रहे अचल कुमार जोति से है. गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी रहे अचल कुमार जोति गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी के मुख्य सचिव हुआ करते थे.

उसी संबंधों को आधार बनाकर आप की तरफ से मुख्य चुनाव आयुक्त पर हमला किया जा रहा है. हालांकि, संवैधानिक संस्था पर प्रहार को लेकर कई तरह के सवाल भी हो रहे हैं. लेकिन, इन सारे सवालों के बावजूद मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर अपने रिटायरमेंट के ठीक पहले इतने बड़े फैसले को आप नेता पचा नहीं पा रहे हैं.

इस फैसले के तुरंत बाद आप नेता सौरभ भारद्वाज ने मुख्य चुनाव आयुक्त पर हमला बोला, फिर बाद में चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त पर और भी कई हमले हुए.

लेकिन, दिल्ली में सरकार चला रही आप और उसके मुखिया पर बीजेपी के दिल्ली से सांसद महेश गिरी जवाब दे रहे हैं. महेश गिरी ने फर्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है और वह दबाव में आकर काम नहीं करती. अगर ऐसा होता तो दिल्ली में आप और पंजाब में कांग्रेस की सरकार नहीं होती.

महेश गिरी ने आप के इन आरोपों को अजीब बताते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अन्ना के साथ ली गई शपथ को याद करने की नसीहत दी. बीजेपी की तरफ से मुख्य चुनाव आयुक्त के फैसले को जायज ठहराया जा रहा है. बीजेपी आप के किसी भी आरोप को नकार रही है जिसमें चुनाव आयोग के काम में दखलंदाजी की बात कही जा रही है. लेकिन, फिर भी बवाल और विवाद खत्म होता नहीं दिख रहा.

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इसके पहले मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति ने जब पिछले साल हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान किया था, उस वक्त भी उन्होंने गुजरात में विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया. 12 अक्टूबर 2017 को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई थी. लेकिन, गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान 25 अक्टूबर 2017 को हुआ था. कांग्रेस की तरफ से चुनाव आयोग के इस कदम को लेकर हमला किया गया था. उस वक्त भी कांग्रेस ने इसके पीछे सरकार और बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश का आरोप लगा दिया था.

हिमाचल प्रदेश चुनाव की घोषणा के बाद कांग्रेस ने कहा था कि जल्द ही 16 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात दौरे पर जा रहे हैं. इसलिए जान-बूझकर गुजरात चुनाव की घोषणा में देरी हो रही है जिससे चुनाव आचार संहिता लागू न हो सके. हालांकि उस वक्त भी मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति की तरफ से यही कहा गया था कि गुजरात में बाढ़ राहत से लेकर और भी कई काम चल रहे हैं जिसके चलते वहां चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया. लेकिन, कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त को कठघरे में खड़ा कर दिया था.

इन दो फैसलों को लेकर विपक्षी दल मुख्य चुनाव आयुक्त पर सवाल खड़े तो कर दिए हैं. लेकिन, इससे पहले अगस्त 2017 में उनकी तरफ से किया गया फैसला कांग्रेस के ही पक्ष में था.

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पिछले अगस्त में राज्यसभा चुनाव के वक्त गुजरात में जो हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ था, उस वक्त गेंद चुनाव आयोग के पाले में चली गई थी. कांटे की टक्कर में कांग्रेस के दिग्गज अहमद पटेल के खिलाफ बीजेपी ने कांग्रेस के ही बागी नेता और शंकर सिंह वाघेला के समधी बलवंत सिंह राजपूत को चुनावी मैदान में उतारा था. लेकिन, दो कांग्रेसी विधायक राघव जी पटेल और भोला भाई गोहिल के बागी होकर क्रॉस वोटिंग करने और उसे सार्वजनिक तौर पर दिखाने की गलती बीजेपी की रणनीति पर भारी पड़ गई.

कांग्रेस ने इस मामले को चुनाव आयोग के सामने उठा दिया. कांग्रेस की तरफ से लगातार तर्क दिया गया कि इन दोनों कांग्रेस के बागी विधायकों की वोटिंग को गलत ठहरा दिया जाए. जबकि बीजेपी इस तर्क से सहमत नहीं थी. इसके बावजूद मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति की अगुआई में चुनाव आयोग ने इस मसले पर अपना फैसला बीजेपी के खिलाफ और कांग्रेस के पक्ष में सुना दिया.

अचल कुमार जोति 1975 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं. उन्होंने सबसे पहले 8 मई 2015 को बतौर चुनाव आयुक्त अपना पद संभाला था. फिर वो बाद में 6 जुलाई 2017 को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाए गए.

इससे पहले नसीम जैदी मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर तैनात थे. लेकिन, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान आप के 20 विधायकों के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में कोई फैसला नहीं सुनाया था. चुनाव आयोग में इस मामले की सुनवाई तो चल रही थी. लेकिन, अपने रिटायरमेंट से पहले अचल कुमार जोति के फैसले पर आम आदमी पार्टी ने बवाल खड़ा कर रखा है.