view all

बजट 2017: सरकारी बैंकों को चाहिए सरकार से पैसा

पिछले साल घोषित इंद्रधनुष रोडमैप में सरकार 2017-18 में सरकारी बैंकों में 10,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी

Pratima Sharma

नोटबंदी के बाद डिपॉजिट बढ़ने के बावजूद सरकारी बैंकों को नकदी संकट की चिंता सता रही है.

सरकारी बैंकों ने फिस्कल ईयर 2018 के लिए सरकार से कैपिटल सपोर्ट मांगा है. बैंकों की दलील है कि अगले फाइनेंशियल ईयर में बैड लोन बढ़ने का खतरा ज्यादा है. बैंकों की इस डिमांड को आरबीआई की तरफ से भी सपोर्ट मिला है.


बैंकों और दूसरे फाइनेंशियल संस्थानों की मांग है कि 1 करोड़ रुपए तक के होम लोन, कार लोन और दूसरे लोन के रीपेमेंट की अवधि को बढ़ा दिया जाए. नोटबंदी से नकदी संकट की समस्या के कारण यह छूट दी गई थी.

कारोबार पर नोटबंदी का असर

फाइनेंस मिनिस्ट्री के साथ बैंकों और फाइनेंशियल संस्थानों की बैठक में शामिल एक सूत्र ने कहा, 'नोटबंदी के कारण सामान्य कारोबार पर असर पड़ा है. बैंकों का ज्यादातर लोन ऐसे छोटे कारोबारियों को ही जाता है. ऐसे में लोन डिफॉल्ट का खतरा बढ़ जाता है. 60 दिनों की छूट का फायदा उन कारोबारों को भी मिलेगा जिनका वर्किंग कैपिटल एकाउंट 1 करोड़ रुपए से कम हो.'

यह भी पढ़ें: जीएसटी का झटका कम लगे इसलिए बढ़ेगा सर्विस टैक्स?

एक बयान में फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा कि अरुण जेटली ने यह महसूस किया कि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर कई मायनों में पारंपरिक नहीं रहा है. इस साल कई रिफॉर्म्स हुए हैं. जेटली ने कहा कि जहां तक ढांचागत चुनौतियों का मामला है तो फिलहाल ऐसी कोई चुनौती नजर नहीं आ रही है.

सरकारी बैंकों में होगा 10 हजार करोड़ रुपए का सरकारी निवेश

PTI

मिनिस्ट्री ने अपने बयान में कहा, 'ऐसा माना जा रहा था कि फिस्कल ईयर 2016-17 और अगले फिस्कल ईयर 2017-18 में बैंकों को पूंजी की जरूरत होगी. बैंकों की प्रॉफिटेबिलिटी को ध्यान में रखते हुए बैंकों को एनपीए प्रोविजनिंग से पूरी तरह टैक्स छूट देने की जरूरत है.'

जून 2016 में सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों का ग्रॉस एनपीए 6 लाख करोड़ रुपए था. पिछले साल घोषित इंद्रधनुष रोडमैप में सरकार 2017-18 में सरकारी बैंकों में 10,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी. इस फिस्कल ईयर में सरकार ने 13 सरकारी बैंकों को 22,915 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं. इसका 75 फीसदी पहले ही इन बैंकों को दिया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: रियल एस्टेट को चाहिए सरकार का साथ

मिनिस्ट्री ने यह भी कहा है कि उन्हें जानकारी मिल रही है कि किसानों सहित गांवों में नोटबंदी को लेकर सकारात्मक रुख है. हालांकि, मिनिस्ट्री ने यह जरूर माना कि चार सेक्टर पर खास तौर पर ध्यान देने की जरूरत है.

इसमें मुख्य रूप से सब्जियों की खेती करने वाले, ईंट के भट्टों पर काम करने वाले, गांवों में ट्र्रांसपोर्ट इंडस्ट्री और दक्षिण भारत में प्लांटेशन की हालत सबसे ज्यादा खराब है.