1 जुलाई को जीएसटी के लागू होने के बाद एकाएक कीमतों में होने वाली वृद्धि से लगने वाले झटके को, थोड़ा हल्का करने के लिए फाइनेंस मिनिस्टर सर्विस टैक्स बढ़ा सकते हैं.
साथ ही जीएसटी की वजह से केंद्र को जो सर्विस टैक्स के रेवेन्यू का नुकसान होने वाला है, उसकी थोड़ी-बहुत भरपाई भी केंद्र इसके द्वारा करेगा. अभी सर्विस टैक्स का हिस्सा केंद्र को मिलने वाले कुल रेवेन्यू का 14 फीसदी है.
क्या केंद्र सर्विस टैक्स की मौजूदा दर 15 फीसदी को बढ़ाकर 16 फीसदी करने वाली है? सर्विस टैक्स में एक फीसदी की वृद्धि जीएसटी को लागू करने की दिशा में उठाए गया कदम माना जा सकता है.
इसकी मुख्य वजह यह है कि जीएसटी के लागू होने के बाद अधिकतर सेवाओं पर लगने वाला सर्विस टैक्स 18 फीसदी हो जाएगा. फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली प्रस्तावित जीएसटी की दरों के करीब सर्विस टैक्स को लाने के लिए इसकी मौजूदा दरों को बजट में बढ़ाने की घोषणा कर सकते हैं.
तीन महीने के लिए बढ़ेगा टैक्स
केंद्र और राज्य 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी को लागू करने पर सहमत हो गए हैं. इसके बाद कई सेवाएं महंगी हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक भले ही सर्विस टैक्स की बढ़ी हुई रेट सिर्फ तीन महीने के लिए ही होगी, लेकिन जीएसटी के लागू होने के बाद केंद्र को होने वाले नुकसान की थोड़ी-बहुत भरपाई इससे हो सकती है.
जीएसटी के तहत वसूले गए सर्विस टैक्स का केंद्र और राज्य के बीच बराबर का बंटवारा होगा. जीएसटी रेट के करीब सर्विस टैक्स के होने से, जीएसटी के लागू होने के बाद ग्राहकों को अधिक ऊंची कीमतों से एकाएक झटका नहीं लगेगा.
अभी सर्विस टैक्स केंद्र द्वारा लगाया, वसूला और उपयोग किया जाने वाला टैक्स है. 2016-17 में केंद्र को कुल 16,30,887 करोड़ रेवेन्यू प्राप्त हुआ, जिसमें सर्विस टैक्स एकाउंट्स के तहत केंद्र को 231,000 करोड़ रुपए का रेवेन्यू प्राप्त हुआ. यह केंद्र को प्राप्त कुल रेवेन्यू का 14 फीसदी है.
जीएसटी में 18 फीसदी होगा सर्विस टैक्स
स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी जरूरी सेवाओं को छोड़कर अधिकतर सेवाएं जीएसटी के तहत शामिल होंगी. जेटली के नेतृत्व वाले जीएसटी कौंसिल ने करों की रेट को चार स्लैब- 5, 12, 18 और 28 फीसदी में बांटा है. इसमें लक्जरी और ‘सिन’ सामानों जैसे सिगरेट, तंबाकू आदि पदार्थों पर जीएसटी के अलावा अलग से भी टैक्स लगाया जाएगा.
अधिकतर टैक्सेबल गुड्स 12 और 18 फीसदी वाले रेट में शामिल होंगे. नौकरशाहों का एक पैनल गुड्स और सर्विसेज के लिए टैक्स की दरों की ‘क्लासिफिकेशन’ करने में लगा है.
सूत्रों के मुताबिक जीएसटी कौंसिल के भीतर राज्यों का कहना है कि टेलीकॉम और इंश्योरेंस जैसी सेवाओं को 12 फीसदी वाले रेट में रखा जाना चाहिए. जबकि केंद्र का कहना है हर तरह के टैक्सेबल सर्विसेज को 18 फीसदी वाले रेट के तहत ही रखना चाहिए.
मनी कंट्रोल को एक सूत्र ने बताया कि रेवेन्यू डिपार्टमेंट अभी जीएसटी के लागू होने बाद सर्विस टैक्स के बंटवारे से केंद्र को होने वाले संभावित नुकसान का अनुमान लगा रहा है. हालांकि केंद्र का मानना है कि नई दरें उसके रेवेन्यू कलेक्शन को बचाए रखने के लिए काफी है.
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