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आईटी कानून होगा और कड़ा, अस्पष्ट आय पर लगेगा भारी टैक्स

इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 115 बीबीई में बदलाव किया जा सकता है.

FP Staff

नोटबंदी के बाद जिन जमा पैसों के सही स्रोत स्पष्ट नहीं हैं, उनके लिए इनकम टैक्स के अफसर कड़े नियम लाने की सोच रहे हैं. इसके लिए इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 115 बीबीई में बदलाव किया जा सकता है.

किसी दोस्त से लिया गया पैसा, वारिस के रूप में मिले गहने, उपहार, छोटे व्यापारियों से मिले धन, बेटी की शादी और घरेलू उपयोग के लिए किए गए खर्च पर सवाल किए जाएंगे. अगर कोई इनका संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाता है तो उसे टैक्स की ऊंची रेट देनी पड़ सकती है.


अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है तो अब 35 फीसदी की जगह 83 फीसदी तक टैक्स देना पड़ सकता है.

मुंबई के एक वरिष्ठ इनकम टैक्स अफसर ने कहा, ‘हमने इस मसले पर बातचीत की है. हम इनकम टैक्स के मौजूदा नियमों को और अधिक कड़ा बनाने की सोच रहे हैं ताकि काले धन पर अधिक से अधिक टैक्स वसूलने में आसानी हो.’

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वरिष्ठ चार्टेड अकाउंटेंट दिलीप लखानी के अनुसार अब अफसर इस बात की जांच कर सकता है कि जिस व्यक्ति से उधार लिया गया वह उधार देने योग्य भी है या नहीं. 500 ग्राम से अधिक की ज्वेलरी के बारे में सही से बता नहीं पाने की स्थिति यह अस्पष्ट निवेश या काला धन माना जाएगा.

वैसे फंड और निवेश जिनके स्रोत स्पष्ट नहीं हैं, उनके लिए पहले से ही टैक्स के लिए कानून मौजूद हैं. लेकिन नोटबंदी के बाद इनकम टैक्स के अफसरों को और अधिक अधिकार दिए जाएंगे. इससे अधिक टैक्स और जुर्माना लगाना आसान हो जाएगा.

सही लोगों को भी हो सकती है मुश्किल 

अशोक माहेश्वरी एंड एसोसिएट्स के अमित माहेश्वरी के अनुसार, ‘टैक्स चोरी करने वालों को पकड़ने के लिए नोटबंदी के बाद की सारी जमाएं इनकम टैक्स कानून, 1961 के सेक्शन 115 बीबीई के नए प्रावधानों के तहत कर दी जाएंगी. लेकिन कई वाजिब मामलों में इससे लोगों को परेशानी सकती है.

उन्होंने कहा, 'नोटबंदी के बाद की जमाएं तभी कानूनी पैसा माना जाएगा जब कोई व्यक्ति इसका सही स्रोत बता पाएगा. अधिकांश लोग अपने लेन-देन का लेखाजोखा नहीं रखते हैं. ऐसी स्थिति में ऐसे लोगों के लिए आय का सही स्रोत बताना कठिन हो जाएगा.’

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इनकम टैक्स कानून के तहत सेक्शन 115 बीबीई के अलावा अस्पष्ट पैसों और निवेशों के लिए इनकम टैक्स के कानून में अन्य सेक्शन भी मौजूद हैं. सेक्शन 68 के तहत अस्पष्ट कैश जमाएं, लोन, गिफ्ट और शेयर के लिए टैक्स संबंधी प्रावधान है.

सेक्शन 69 ए के तहत अस्पष्ट धन, ज्वेलरी और अन्य कीमती सामानों पर टैक्स का नियम है. सेक्शन 69 बी के तहत अस्पष्ट निवेशों और सेक्शन 69 सी के तहत अस्पष्ट खर्चों पर टैक्स का प्रावधान है.

इनकम टैक्स का यह नया सेक्शन 1 अप्रैल, 2016 से ही प्रभावी हो जाएगा. यानी इस सेक्शन का भूतलक्षी (रेट्रोस्पेक्टिव) प्रभाव होगा. लखानी का कहना है कि यह बदलाव सरकार के उस उद्देश्य के खिलाफ है जिसमें टैक्स दाताओं को कम परेशानी होने का लक्ष्य रखा गया है. उनका यह भी कहां है कि टैक्स की दर 30 फीसदी रखी जाए.

अभी तक सेक्शन 115 बीबीई के तहत 30 फीसदी और सरचार्ज लगाया जा सकता है. इस नए बदलाव के बाद 60 फीसदी टैक्स के साथ-साथ 15 फीसदी का सरचार्ज 3 फीसदी सेस और टैक्स पर 10 फीसदी के जुर्माने के साथ अस्पष्ट संपत्ति का कुल 83.25 फीसदी टैक्स में देना पड़ेगा.

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