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'हनुमान को गे' दिखाने वाली फिल्म रुकी, डायरेक्टर आग बबूला

'का बॉडीस्केप्स' पिछले एक साल से सर्टिफिकेट के लिए तरस रही है.

FP Staff

प्रकाश झा की फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' पर बैन लगाने के बाद सेंसर बोर्ड ने फिर यौन संबंधों पर बनी फिल्म पर रोक लगाई है. मलयाली फिल्म डायरेक्टर जयन चेरियन की फिल्म 'का बॉडीस्केप्स' को सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया है.

सेंसर बोर्ड का तर्क है कि फिल्म 'गे पुरुषों' और 'समलैंगिक संबंधों' को महिमामंडित करती है. बोर्ड ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा है कि फिल्म में कई दृश्यों में पुरुष शरीर के अंगों के शॉट्स (पेंटिंग्स में) हैं. सेंसर बोर्ड का कहना है कि ये नग्नता का प्रदर्शन है.


बोर्ड ने इसके अलावा ये भी कहा है कि फिल्म ने हिंदू देवता हनुमान को समलैंगिक दिखाकर हिंदू धर्म का अपमानजनक चित्रण किया है. ये समाज में असंतोष पैदा कर सकता है.

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फिल्म के डायरेक्टर जयन चेरियन इस फैसले से आहत हैं. दरअसल इस फिल्म को बने हुए लगभग एक साल हो चुके हैं. मार्च, 2016 से ही चेरियन की ये फिल्म सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट के लिए तरस रही है. पिछले एक साल में ये फिल्म कई कमेटियों की जांच से गुजर चुकी है. और आखिरकार फिल्म को सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया गया है.

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चेरियन ने अपने फ़ेसबुक पर लिखा, ‘ ये ऑफिशियल है. सेंसर बोर्ड के चेयरमैन मिस्टर निहलानी ने मेरे ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी है.'

डेक्कन क्रॉनिकल ने बताया है कि आगे की कार्रवाई के सवाल पर चेरियन ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि वो अब आगे क्या करेंगे. वो अपने लॉयर्स से बात करके आगे फैसला करेंगे.

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ये फिल्म तीन युवाओं एक गे पेंटर, एक कबड्डी खिलाड़ी और एक एक्टिविस्ट की कहानी है, जो एक रूढ़िवादी सोसाइटी में खुद में खुशी ढूंढने की कोशिश करते हैं.

इसके पहले पिछले महीने ही सेंसर बोर्ड ने 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' को भी सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था. इसके पीछे उसने फिल्म पर ‘औरत प्रधान होने’ और ‘अपशब्दों के इस्तेमाल’ करने का आरोप लगाया था.