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अमेरिका के आंतरिक टकराव से पूरी दुनिया को नुकसान होगा

अमेरिकी लोग और वैश्विक भूराजनैतिक व्यवस्था इस बात की बेसब्री से उम्मीद कर रहे हैं कि ट्रंप अपने दायित्वों को पूरा करने में सफल रहेंगे.

Sreemoy Talukdar

वॉशिंगटन भले ही इंतजामों में जुटा हो और ओबामा परिवार ट्रंप परिवार का व्हाइट हाउस में स्वागत करने और उनके साथ गर्म कॉफी पीने की तैयारियां कर रहा हो, लेकिन पूरा अमेरिका अभी भी बुरी तरह से बंटा हुआ है. डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ले ली.

इलेक्शन कैंपेन की भागदौड़ और प्रतिस्पर्धियों को कड़ी टक्कर देने के बाद यह वक्त अब नए राष्ट्रपति के लिए चीजों को व्यवस्थित करने का है. उन्होंने चुनावों के वक्त की कड़वाहट को भुलाने और जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की है. दफ्तर संभालने से पहले उनकी टोन एक राष्ट्रपति वाली और सबको साथ लेकर चलने वाली रही है.


लेकिन, यह एक सामान्य चुनाव नहीं था. ट्रंप भी कोई साधारण उम्मीदवार के तौर पर चुनाव नहीं लड़ रहे थे. इस असाधारण चुनाव में हर नियम का उल्लंघन किया गया. ट्रंप के आलोचक दूर-दूर तक भी कोई समझौता नहीं करा सके. जैसा कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपब्लिकन सीनेटर जॉन मैक्केन के हवाले से लिखा है कि ट्रंप ने भी यह चुनाव जीतने के लिए हर उस सहारे का इस्तेमाल किया है जिसे वह इस्तेमाल कर सकते थे.

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नतीजा यह रहा कि कई राष्ट्रपतियों के पद संभालने में सत्ता हस्तांतरण की जो प्रक्रिया लंबे वक्त से जस की तस बनी हुई थी, वह पूरी तरह उलट गई. चुने गए राष्ट्रपति और मीडिया के बीच एक जंग छिड़ गई. एक असामान्य घटनाक्रम में, अमेरिकी मीडिया ने ट्रंप के लिए एक खुला पत्र जारी किया.

इसमें ट्रंप को चेतावनी दी गई मीडिया अपने लिए खुद नियम तय करेगी. उन्हें साफ संदेश दिया गया कि व्हाइट हाउस में उनका कार्यकाल आसान नहीं रहने वाला है. विवाद का यह चरण उद्घाटन समारोह के दौरान शुक्रवार को भी जारी रहा. यहां ट्रंप के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प हुई.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के शपथग्रहण समारोह में जाने से उनके समर्थकों को रोकते प्रदर्शनकारी. फोटो: पीटीआई

विरोध का दौर खत्म नहीं हो रहा

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, ट्रंप के तमाम समर्थक कैपिटल हिल में उनके शपथ ग्रहण कार्यक्रम का हिस्सा बनने पहुंचे. दूसरी ओर ट्रंप विरोधियों ने मानव श्रृंखला बनाकर इनका रास्ता रोकने की कोशिश की. इनकी झड़प दंगा निरोधी पुलिस के साथ हुई.

लेकिन, बात यहीं खत्म होती नहीं दिख रही. विरोध का एक और दौर उबाल पर है. एलए टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हजारों महिलाएं शनिवार को वॉशिंगटन पहुंचने की योजना बना रही हैं. ये महिलाएं एक विरोध मार्च निकालेंगी और ट्रंप के राष्ट्रपति बनने का विरोध करेंगी.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अमेरिका के सभी राज्यों में 600 से ज्यादा अन्य मार्च में हजारों लोग हिस्सेदारी लेंगे. इसके अलावा 50 से ज्यादा देशों में भी ट्रंप के विरोध में मार्च निकाले जाएंगे. इनमें मैक्सिको और कनाडा भी शामिल हैं.’

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ये विरोध प्रदर्शन ऐसे वक्त पर हो रहे हैं जब इस तरह की खबरें आ रही हैं कि ट्रंप चार दशकों में सबसे कम लोकप्रिय राष्ट्रपति के तौर चुने गए हैं. वॉशिंगटन पोस्ट-एबीसी न्यूज पोल के मुताबिक, केवल 40 फीसदी लोगों ने कहा है कि वे ट्रंप के आने से खुश हैं. 54 फीसदी उन्हें ठीक नहीं मानते और 41 फीसदी उन्हें बिलकुल पसंद नहीं करते. इसके उलट, ओबामा की रेटिंग 61 फीसदी रही है.

ट्रंप कैसे पूरे करेंगे वादे

ट्रंप ने अपनी आम स्टाइल में इस रेटिंग को फर्जी करार दिया. हकीकत यह है कि चाहे ये रेटिंग कैसी भी हो, ट्रंप अब कानूनी तौर पर, लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए राष्ट्रपति हैं. उन्होंने अमेरिका को फिर से महान बनाने का संकल्प लिया है.

अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रुप में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेते डोनाल्ड ट्रंप. फोटो: पीटीआई

हालांकि, वह यह ज्यादा स्पष्ट रूप से नहीं बता पाए हैं कि वह अपनी योजनाओं को कैसे लागू करेंगे. अभी भी इस बात को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं. पद की शपथ लेने के बावजूद उनकी टीम तैयार नहीं है. प्रशासनिक पदों को भरने के लिए उन्हें ओबामा के स्टाफ सदस्यों से काम चलाना पड़ सकता है.

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अमेरिकी लोग और वैश्विक भूराजनैतिक व्यवस्था इस बात की बेसब्री से उम्मीद कर रहे हैं कि ट्रंप अपने दायित्वों को पूरा करने में सफल रहेंगे. दुनिया अमेरिका के अंदर पैदा होने वाले टकरावों के लिए तैयार नहीं है.