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अलविदा 2016: सिंधु के नाम रहा बैडमिंटन का साल

चोट की वजह से सायना नेहवाल के हिस्से आई निराशा

Shirish Nadkarni

बैडमिंटन में साल का सबसे अच्छे लम्हे को लेकर किसी को कोई दुविधा हो ही नहीं सकती. इस साल ओलिंपिक रजत पदक जीतना ही ‘बेस्ट मोमेंट’ था. पुसरला वेंकट सिंधु ने ओलिंपिक फाइनल का कमाल का सफर तय किया. यहां पर उनका मुकाबला वर्ल्ड और यूरोपियन चैंपियन कैरोलिना मरीन से हुआ. मुकाबला हमेशा याद किया जाएगा.

सिंधु के पदक ने ओलिंपिक में इससे पहले मिली निराशा को भुलाने का काम किया. सायना नेहवाल को सीधे गेम में यूक्रेन की मारिया उलितिना ने हराया. सायना घुटने की चोट से परेशान थीं.


21 साल की सिंधु का सफर कमाल का था. उनका पहला राउंड चीन में जन्मी कनाडा की मिशेल ली के खिलाफ था. मुकाबला मुश्किल था. राउंड ऑफ 16 में चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग को मात दी. फिर 2011 की वर्ल्ड चैंपियन और 2012 ओलिंपिक सिल्वर मेडलिस्ट वांग यीहान को हराया.

सिंधु ने ताइ को 21-13, 21-15 से हराया. ताइ 2016 का अंत विश्व नंबर वन के तौर पर कर रही हैं. इसके बाद क्वार्टर फाइनल में यीहान को मात दी, जिनका सिंधु के खिलाफ जीत-हार का रिकॉर्ड 4-2 का था.

सिंधु के लिए अब पदक लगभग हाथ में था। उन्होंने ऑल इंग्लैंड चैंपियन और 2015 सुपर सीरीज ग्रैंड फाइनल्स की विजेता जापान की नोजोमी ओकुहारा को 21-19, 21-10 से हराया. अब हैदराबादी खिलाड़ी ओलिंपिक स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने से सिर्फ एक कदम दूर थीं.

ऐसा हो नहीं सका. मरीन ने रफ्तार, फिटनेस, कलाकारी और बाएं हाथ के खिलाड़ी को मिलने वाले स्वाभाविक एडवांटेज का पूरा इस्तेमाल किया. तीन गेम तक मुकाबला चला. मैच के बाद खेल भावना दिखाई दी, जब आंसुओं में डूबी मरीन को सिंधु ने जाकर उठाया. उन्हें गले से लगाया. उसके बाद जमीन पर पड़े मरीन के रैकेट को चुपचाप उठाकर उनके बॉक्स में रखा.

ओलिंपिक पदक के अलावा सिंधु ने चाइना ओपन के साथ अपना पहला सुपर सीरीज खिताब जीता. हॉन्गकॉन्ग ओपन में भी वो जीत के बहुत करीब थीं. दुबई में सुपर सीरीज ग्रैंड फाइनल्स में भी उन्होंने सेमीफाइनल तक सफर तय किया. सिंधु के लिए यकीनन 2016 करियर का श्रेष्ठतम साल रहा. उन्होंने और बेहतर 2017 की उम्मीदें बंधाई हैं.

सुपर सीरीज फाइनल्स की रिपोर्ट पढ़ें

https://hindi.firstpost.com/sports/pv-sindhu-loses-to-sung-ji-huen-in-dubai-world-superseries-finals-5868.html

सिंधु के लिए साल कमाल का रहा. लेकिन सायना नेहवाल के लिए कुछ खास नहीं रहा. वो लगातार चोट से जूझती रहीं. ऑस्ट्रेलियन ओपन सुपर सीरीज सायना के लिए बेस्ट था, जब उन्होंने 2013 की वर्ल्ड चैंपियन थाइलैंड की राचानोक इंतनोन को हराया. उसके बाद 2011 की चैंपियन वॉन्ग यीहान और फिर चीन की ही सुन यू को हराकर खिताब जीता.

सायना से ओलिंपिक में बड़ी उम्मीदें थीं. लेकिन यूक्रेन की उलितिना के खिलाफ वो धीमी, थकी हुई दिखीं. जाहिर है, चोट का असर था. रियो के बाद उन्होंने मुंबई में सर्जरी कराई.

सर्जरी के बाद उन्होंने काफी जल्दी वापसी की. नवंबर में वापसी की. लेकिन ऐसे नतीजे नहीं आए, जो बहुत अच्छे हों. उनके कोच विमल कुमार को उम्मीद है कि प्रीमियर बैडमिंट लीग के समय वह पूरी तरह फिट और फॉर्म में होंगी.

यूबर कप में भारत के सेमीफाइनल तक पहुंचने में सायना और सिंधु का योगदान जबरदस्त रहा. पिछले चैंपियन जापान को 3-2 से हराना कोई छोटी उपलब्धि नहीं थी. जापान टीम में ऑल इंग्लैंड चैंपियन नोजोमी ओकुहारा, सायाका सातो, अकाने यामागुची और विश्व नंबर एक जोड़ी मिसाकी मत्सुमोतो-अयाका ताकाहाशी थे. सिंधु ने सिंगल्स और डबल्स दोनों में खुद को साबित किया.

क्वार्टर फाइनल में थाइलैंड पर जीत मिली. थाई टीम में राचानोक इंतनोन, पोर्नतिप बुरानाप्रसेर्त्सुक, बुसनन ओंगबुमरंगपन और साप्सिरी तेरात्तानाचाई थीं. सेमीफाइनल मुकाबला कई बार चैंपियन रही चीन से था. यहां 0-3 से हार भारत के सफर की अहमियत को कम नहीं कर सकती.

महिलाओं में दो खिलाड़ियों ने धूम मचाई. पुरुष भी पीछे नहीं रहे. किदाम्बी श्रीकांत ओलिंपिक तक विश्व रैंकिंग में टॉप टेन में रहे. मलेशियन मास्टर्स के सेमीफाइनल में स्थानीय खिलाड़ी जुलकरनैन जैनुद्दीन से वो हारे. फिर सैयद मोदी इंटरनेशनल ग्रांप्री खिताब जीता. दक्षिण एशियाई खेलों में भी गोल्ड श्रीकांत के नाम रहा.

रियो ओलिंपिक्स में श्रीकांत का बेहतरीन लम्हा प्री क्वार्टर फाइनल था. उन्होंने डेनमार्क के विश्व नंबर एक यैन ओ योर्गेंसन को सीधे गेम में 21-19, 21-19 से हराया. हालांकि क्वार्टर फाइनल में उन्हें पांच बार के विश्व चैंपियन और दो बार के ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट चीन के लिन डैन के हाथों शिकस्त झेलनी प़ड़ी. लिन डैन ने मुकाबला 21-6, 11-21, 21-18 से जीता. चीनी दिग्गज का अनुभव था, जो मैच में फर्क बना.

गोपीचंद एकेडमी में श्रीकांत साथी साई प्रणीत, सौरभ वर्मा, एचएस प्रणॉय, आरएमवी गुरुसाइदत्त, परुपल्ली कश्यप और अजय जयराम ने सेकेंड टियर ग्रांप्री टूर्नामेंटों में अच्छा प्रदर्शन किया.

पुरुषों में भारत के लिए कमाल का प्रदर्शन सौरभ के छोटे भाई समीर वर्मा ने किया. वर्मा ने 2016 में नेशनल्स जीता. समीर ने रफ्तार, आक्रामकता और स्टेमिना का जबरदस्त मुजाहिरा करते हुए हॉन्गकॉन्ग ओपन सेमीफाइनल में डेनमार्क के यैन ओ योर्गेंसन को हराया. फाइनल में समीर हार गए.

हालांकि अगले टूर्नामेंट मकाउ ओपन में समीर पहले ही राउंड में हार गए. इससे समझ आता है कि शायद पिछले सालों में सिंधु की तरह उनमें भी निरंतरता की कमी है. उन्हें जीत और खिताबों को लेकर भूख दिखानी होगी, जैसी अब सिंधु में दिखती है.