view all

Hockey World Cup 2018: अंपायरों पर भड़के हरेंद्र, कहा- इस साल दूसरे बड़े टूर्नामेंट में अंपायरिंग की वजह से हारे

नॉक आउट मुकाबले में अमित रोहिदास को येलो कार्ड दिखाए जाने से नाराज हुए कोच हरेंद्र

Shailesh Chaturvedi

एक दिन पहले भारतीय कोच हरेंद्र सिंह इतिहास बदलने की बात कर रहे थे. वो बता रहे थे कि कैसे 16 दिसंबर की रात नौ बजे भारतीय टीम नंबर एक हो सकती है. लेकिन एक रोज बाद गुरुवार को उनकी आंखों में आंसू थे. चेहरे पर नाराजगी थी. टीम से नहीं, अंपायरों से. नेदरलैंड्स के खिलाफ मुकाबला हारने में यकीनन अंपायर्स की गलतियां रही हैं. हालांकि यह सवाल जरूर है कि टीम इंडिया अपनी गलतियों से हारी या अंपायरों की. लेकिन हरेंद्र यकीनन बेहद खफा थे. खासतौर पर मैच के आखिरी मिनटों में अमित रोहिदास को येलो कार्ड दिखाए जाने से.


अमित रोहिदास को कार्ड मिलने पर उठाया सवाल

हरेंद्र ने कहा, 'क्या कोई बता सकता है कि अमित रोहिदास को कार्ड क्यों दिखाया गया? अगर पीछे से धक्का देने की वजह से, तो फिर मनप्रीत को जब धक्का दिया गया, तब ऐसा फैसला क्यों नहीं हुआ. वहां येलो कार्ड क्यों नहीं था?' हरेंद्र ने कहा कि इस साल दो बड़े टूर्नामेंट में खराब अंपायरिंग की वजह से हार मिली है. पहले, एशियन गेम्स और अब यहां.

यह भी पढ़ें: Hockey World Cup 2018, QF, Ind vs Ned: भारत ने गंवाया इतिहास रचने का मौका, क्वार्टर फाइनल में नेदरलैंड्स से मिली हार

माफी के साथ की पीसी की शुरुआत

मैच के बाद हरेंद्र ने प्रेस कांफ्रेंस में माफी मांगते हुए शुरुआत की. उन्होंने कहा कि हम वो नहीं कर सके, जिसकी उम्मीद थी. लेकिन जिंदगी यहीं नहीं रुकती. इसके बाद हरेंद्र भड़के, 'अगर वे (अंपायर) सुधरना नहीं चाहते, तो हम इस तरह के नतीजे भुगतते रहेंगे.' हरेंद्र ने कहा कि भारत को दो बार कार्ड दिखाए गए, दोनों बार गलती नहीं थी. लेकिन जब विपक्षी टीम ने गलती की, तो अंपायरों ने कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा कि 99.8 फीसदी रेफरल खिलाड़ियों के पक्ष में जाते हैं. उन्होंने सवाल किया कि क्या वे हमेशा उम्मीद करते हैं कि खिलाड़ी रेफरल लेंगे? हालांकि हरेंद्र ने इस बात से इनकार किया कि टीम इंडिया आधिकारिक विरोध दर्ज कराएगी.

उन्होंने कहा कि करियर में कभी प्रोटेस्ट का नतीजा पक्ष में आते नहीं देखा. ऐसे में हार को स्वीकार करते हैं. लेकिन बेहतर अंपायरिंग की मांग करते हैं, जहां दोनों टीमों को बराबरी जैसा दर्जा मिले. टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने भी कहा कि अब विरोध दर्ज कराने का कोई फायदा नहीं. हम टूर्नामेंट से बाहर हो चुके हैं.

टीम ने लगातार मौके खोए. लेकिन हरेंद्न ने कहा कि अगर हमने मौके खोए, तो हॉलैंड ने भी खोए. हाई टेंपो गेम में ऐसा होता है. खासतौर पर उन्होंने उस समय का जिक्र किया, जब भारतीय टीम गोलकीपर के बगैर खेल रही थी और पेनल्टी कॉर्नर बचाया. हरेंद्र ने कहा, 'मैं अपने लड़कों को सैल्यूट करता हूं कि वे गोलकीपर के बगैर इस तरह खेले.' टीम के प्रदर्शन से उन्होंने कुल मिलाकर संतोष जताया और कहा कि पैचेज में मैं अपनी टीम के प्रदर्शन से संतुष्ट हूं. टेंपरामेंट के लिए उन्होंने टीम को दस में सात अंक दिए.

एक तरफ हरेंद्र अंपायरिंग से बेहद नाराज थे, वहीं हॉलैंड के कोच मैक्सिमिलियानो कैल्डेस ने कहा कि अंपायरिंग खराब नहीं थी. उन्होंने कहा, 'आपको ध्यान रखना होगा कि अंपायर ये मैच नहीं खेल रहे थे. दो टीमें खेल रही थीं. ऐसे में अपने खेल का रिव्यू करने की जरूरत है.' उन्होंने यह भी जोड़ा कि हॉकी जैसे तेज रफ्तार खेल में अंपायरिंग की गलतियां हो जाती हैं. लेकिन असलियत यही है कि हार या जीत अंपायर्स नहीं, टीम का खेल तय करता है. जिस टीम ने मौके भुनाए, वह जीत गई. यही सच्चाई है. उन्होंने टीम की रणनीति के लेकर कहा कि तीसरे क्वार्टर में तय किया कि गेंद को ज्यादा देर अपने पास रखेंगे. पहले हाफ से यह बदलाव किया. इसके बाद भारतीय खिलाड़ी परेशनी में दिखाई दिए.