कलिंग स्टेडियम में कदम रखने की जगह नहीं थी. स्टेडियम में क्षमता से ज्यादा लोग थे. हर किसी को उम्मीद थी कि यह मैच भारतीय हॉकी का इतिहास और भविष्य दोनों बदल देगा. नेदरलैंड्स की टीम ऐसी नहीं थी, जिसे हराया न जा सके. ऐसे में भारत के लिए सेमीफाइनल में पहुंचने का इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता था. भुवनेश्वर जैसी जगह में शानदार स्टेडियम और दर्शकों के सपोर्ट के साथ वो सब था, जो भारतीय टीम को मिलना चाहिए था. जरूरत सिर्फ गलतियां कम करने की थी, जो भारतीय टीम नहीं कर सकी. उसने मौके गंवाए और इनके साथ ही इतिहास रचने का मौका भी गंवा दिया.
नेदरलैंड्स ने 2-1 से मुकाबला जीतते हुए सेमीफाइनल में जगह बना ली. इसके साथ भारत का 43 साल बाद वर्ल्ड कप जीतने या फाइनल या सेमीफाइनल में पहुंचने का सपना टूट गया. भारतीय टीम छठे स्थान पर रही. पिछले कुछ वर्ल्ड कप में भारत की यह बेस्ट पोजीशन है. लेकिन यह किसी भी लिहाज से इस हार की तकलीफ को कम नहीं करता. अब सेमीफाइनल में नेदरलैंड्स का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से होगा. बेल्जियम ने इससे पहले जर्मनी को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई. उसका मुकाबला अंतिम चार में इंग्लैंड से होगा.
भारत से हुई कई गलतियां
भारत ने भले ही बढ़त बनाई. लेकिन वो सभी गलतियां भी शुरुआत से ही कीं, जिनके लिए भारतीय कोच हरेंद्र सिंह टीम को चेतावनी दे रहे थे. ऐसा लग रहा था कि जिन गलतियों से बचने की जरूरत है, वही करने पर टीम इंडिया उतारू थी. शुरुआत में मनदीप सिंह ने गोल करने का मौका गंवाया. इसके बाद भी भारतीय फॉरवर्ड लाइन को मौके मिलें, जहां आराम से पेनल्टी कॉर्नर पाया जा सकता था. लेकिन ऐसा लग रहा था कि बड़े मैच में हर कोई हीरो बनना चाह रहा था. इस ‘चाह’ ने भारत को सेमीफाइनल से दूर कर दिया.
यह सही है कि अंपायरिंग के कुछ फैसले भारत के खिलाफ गए. यह भी सही है कि शायद किसी और दिन वो फैसले भारत के पक्ष में जा सकते थे. यहां तक कि मैच खत्म होने के बाद भारतीय खिलाड़ी काफी देर तक अंपायर्स से बहस करते रहे. लेकिन आखिर में इस बात से कतई इनकार नहीं कर सकते कि दूसरा हाफ भारतीय टीम ने अच्छा नहीं खेला. वे नेदरलैंड्स की रणनीति का मुकाबला नहीं कर पाए. नेदरलैंड्स के कोच ने मैच के बाद कहा भी कि हमने तीसरे क्वार्टर से गेंद अपने पास ज्यादा देर रखने की रणनीति बनाई, जबकि पहले हाफ में हम जल्दी से जल्दी पास दे रहे थे
भारत के लिए 12वें मिनट में भारत ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदला. हरमनप्रीत का ड्रैग फ्लिक रोका गया. रिबाउंड पर गेंद आकाशदीप को मिली, जिन्होंने गोलकीपर को छकाने में कामयाबी पाई. जब ऐसी उम्मीद बंध रही थी कि पहला क्वार्टर भारत बढ़त के साथ खत्म करेगा, उसी समय नेदरलैंड्स बराबरी करने में कामयाब रहा. थियरी ब्रिंकमन ने भारतीय डिफेंडर की गलती से सॉफ्ट गोल किया. उस समय पहले क्वार्टर में महज चार सेकेंड बाकी थे.
हाफ टाइम तक स्कोर 1-1 से बराबर था. उम्मीद थी कि भारतीय टीम दूसरे हाफ यानी तीसरे क्वार्टर में बेहतर प्रदर्शन करेगी. लेकिन हुआ उसका उल्टा. तीसरे क्वार्टर से ऐसा लग ही नहीं रहा था कि भारतीय टीम अब मैच जीतने की स्थिति में है. यह अलग बात है कि बीच-बीच में मौके मिले और उनको टीम ने गंवाया भी. 50वें मिनट में नेदरलैंड्स का निर्णायक गोल हुआ. मिंक वान डेर वीर्डन के ड्रैग का श्रीजेश के पास जवाब नहीं था. भारतीय टीम का प्रदर्शन पिछड़ने के बाद और खराब हुआ. यहां तक कि 53वें मिनट में अमित रोहिदास येलो कार्ड ले बैठे. आखिरी सात मिनट टीम दस खिलाड़ियों के साथ खेली. इस दौरान हालांकि नेदरलैंड्स को मिले एक पेनल्टी कॉर्नर को भारत ने गोलकीपर के बगैर भी रोकने में कामयाबी पाई. हालांकि इससे टीम इंडिया या भारतीय खेल प्रेमियों को कोई फायदा नहीं मिला, क्योंकि स्कोरलाइन 2-1 ही रही.
बेल्जियम बनाम जर्मनी
इससे पहले बेल्जियम ने दो बार की चैंपियन जर्मनी को सेमीफाइनल में पहुंचने से रोक दिया. उसने 2-1 से जीत दर्ज करते हुए वर्ल्ड कप इतिहास में पहली बार अंतिम चार में जगह बनाई. बढ़त जर्मनी ने ही ली थी, जब डिटिए लिनकोजेल ने 14वें मिनट में गोल किया था. लेकिन सिर्फ चार मिनट बाद एलेक्जेंडर हेंड्रिक्स के ड्रैग फ्लिक ने बेल्जियम को बराबरी दिला दी.
यह मुकाबला टैक्टिकल था, जिसमें रिस्क लेने के लिए कोई टीम तैयार नहीं दिख रही थी. बल्कि एक लिहाज से इसे नीरस कहा जा सकता है. तीन क्वार्टर तक स्कोर 1-1 रहने के बाद 50वें मिनट में टिम बून के गोल ने बेल्जियम को बढ़त दिलाई, जिसके बाद जर्मनी वापसी करने में नाकाम रहा. हालांकि मैच खत्म होने से आठ मिनट पहले जर्मनी को पेनल्टी कॉर्नर मिला. लेकिन इस पर गोल नहीं हो सका.
पूरे मुकाबले में वो रोमांच या वो तेजी देखने को नहीं मिली, जिसकी क्वार्टर फाइनल जैसे मैच में उम्मीद थी. यूरोपियन शैली में कई बार मैच को नीरस बनाना जीत के लिए जरूरी होता है. बेल्जियम को एक के बाद एक पेनल्टी कॉर्नर भी मिले. इसे वो बर्बाद भी करते रहे. लेकिन पेनल्टी कॉर्नर पर गोल न कर पाना इस टीम को भारी नहीं पड़ा और टीम अंतिम चार में जगह बनाने में कामयाब रही.
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