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फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप: ग्रुप ई में अटैकिंग खेल होगा फ्रांस का हथियार

2001 के चैंपियन फ्रांस की नजर 16 साल बाद खिताब जीतने पर

FP Staff

फ्रांस ने पिछले कुछ सालों में लगातार शानदार युवा खिलाड़ी दिए हैं. काइलियान मबापे और ओस्मान डेम्बेले जैसे चर्चित खिलाड़ी उनमें से एक हैं, जो इन दिनों यूरोप के बड़े क्लबों के नजरे नूर बने हुए हैं. ऐसे ही प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के बल पर फ्रांस भारत में होने वाले फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप में अपना दम दिखाने को बेताब है.

पिछले संस्करण में फ्रांस भले ही राउंड ऑफ 16 दौर में हारकर बाहर हो गया होलेकिन इस बार उसके इरादे इतने से संतुष्ट होने के नहीं होंगे. उसने 2015 में यूईएफए यूरोपियन अंडर-17 चैंपियनशिप खिताब जीता था. लेस ब्लूज के नाम से मशहूर फ्रांस वैश्विक स्तर पर अपनी इस कामयाबी को जारी रखना चाहेगा.


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फ्रांस की टीम फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप में इससे पहले पांच बार भाग ले चुकी है. 2001 में त्रिनिदाद एंड टोबेगो में यह टीम चैंपियन बनी. इसके अलावा इस टीम ने तीन बार क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया. ग्रुप ई में उसे होंडुरासजापान और न्यू कैलिडोनिया के साथ रखा गया हैजिसे देखते हुए उसका इस बार अगले दौर में प्रवेश तो लगभग तय हैलेकिन उसके आगे की सफलता के लिए उसे अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा.

टीम के कोच पूर्व स्ट्राइकर लियोनल राक्सेल ने अपने खिलाड़ियों को आक्रामक बनाया है. अटैकिंग खेल ही फ्रांस का मुख्य हथियार होगा. इस टीम में तकनीकी रूप से दक्ष खिलाड़ियों की भरमार है. अगर वे अपनी पूरी क्षमता से खेले तो विरोधी टीम शर्तिया बैकफुट पर नजर आएगी.

जापान के पास एशियाई धरती पर दम दिखाने का मौका

समुराई ब्लू के नाम से मशहूर जापान की टीम फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप में इससे पहले सात बार भाग ले चुकी है और उसने अपना बेस्ट 1993 और 2011 में दिया. दोनों बार इस टीम ने क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया. जापान की टीम पिछले संस्करण के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी थी. यह टीम दो बार (1994, 2006)  एएफसी अंडर-16 चैंपियनशिप में खिताब जीतकर अपना लोहा मनवा चुकी है. लेकिन इस बार एशियाई धरती पर हो रहे इस टूर्नामेंट में उसके पास अपना दम-खम आजमाने का मौका है.

अंतिम आठ से आगे निकलना होगा होंडुरास का लक्ष्य

होंडुरास की टीम फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप में इससे पहले चार बार भाग ले चुकी है और उसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2013 में किया. तब उसने क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया था. निश्चित तौर पर उसका लक्ष्य इस बार चार साल पहले किए गए प्रदर्शन से आगे निकलने का होगा. होंडुरास की खास बात यह है कि 2007 में डेब्यू करने के बाद वो सिर्फ एक बार 2011 में नहीं खेल सका. हालांकि उसका पिछला रिकार्ड कोई बहुत उत्साहवर्धक नहीं है. होंडुरास ने 14 मैच खेले हैं, जिसमें से दो जीते हैं वो भी एशियाई टीमों के खिलाफ.

डेब्यू करेगा न्यू कैलेडोनिया

प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया से करीब 1200 किमी दूर न्यू कैलेडोनिया नाम का यह आइलैंड इस टूर्नामेंट में डेब्यू करेगा. करीब दो लाख, 65 हजार की जनसंख्या वाले इस देश ने इससे पहले कभी भी फीफा के किसी भी एज ग्रुप टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया है. 1997 में न्यूजीलैंड के डेब्यू करने के ठीक 20 साल बाद यह पहली ओसिनियाई टीम है, जो फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप में आगाज करेगी. यह पहला मौका है, जब दो ओसिनियाई टीमों ने इस टूर्नामेंट के क्वालीफाई किया है. न्यू कैलेडोनिया के साथ इस बार न्यूजीलैंड भी शिरकत कर रहा है.

ग्रुप ई के मुकाबले

अक्टूबर

न्यू कैलिडोनिया बनाम फ्रांस- शाम 5 बजे सेगुवाहाटी

होंडुरास बनाम जापान- शाम 8 बजे सेगुवाहाटी

11 अक्टूबर

फ्रांस बनाम जापान- शाम 5 बजे सेगुवाहाटी

होंडुरास बनाम न्यू कैलिडोनिया - शाम 8 बजे सेगुवाहाटी

14 अक्टूबर

फ्रांस बनाम होंडुरास- शाम 5 बजे सेगुवाहाटी

जापान बनाम न्यू कैलिडोनिया- शाम 5 बजे सेकोलकाता