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क्या टाइगर मेमन ने समुदाय विशेष का 'हीरो' बनने के चक्कर में अपनी जिंदगी तबाह कर ली?

1993 मुंबई बम ब्लास्ट का मुख्य अभियुक्त टाइगर आज पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी आईएसआई का गुलाम बनकर रह गया है

Avinash Dwivedi

12 मार्च 1993, शुक्रवार का दिन था. मुंबई में तेज उमस थी और बारिश में अभी तीन महीने की देरी थी. दोपहर के एक बजे थे और स्टॉक एक्सचेंज में लंच हुआ था. कई कर्मचारी दलाल स्ट्रीट पर खड़े ठेलेवालों के पास आकर पेटपूजा का जुगाड़ कर रहे थे. चारों ओर भीड़भाड़ थी. गन्ने के रस, लस्सी, सैंडविच, वड़ापाव वालों के ठेले और खोमचे वाले वहां खड़े थे. ज्यादातर लोग आधे घंटे के लंच के बाद सामान उठाकर घर निकलने को तैयार थे क्योंकि उस दिन शुक्रवार होने के चलते आधे ही दिन काम होना था और अगले दो दिनों के लिये मार्केट बंद रहना था. पर तभी 1 बजकर 28 मिनट पर स्टॉक एक्सचेंज की बिल्डिंग की पार्किंग में जोरदार धमाका हुआ. जिसने आस-पास के 300 मीटर के इलाके को थर्रा दिया. धमाके की आवाजें 1 किमी दूर तक साफ सुनी गईं.

स्कूटरों और कारों का किया गया था इस्तेमाल


बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की 28 मंजिला इमारत और आस-पास की कई इमारतें इस धमाके से पूरी तरह से तहस-नहस हो गईं. धमाके में करीब 50 लोग मारे गए. धमाके के करीब 2 घंटे 10 मिनट बाद दोपहर तीन बजकर चालीस मिनट तक पूरे शहर में एक निश्चित अंतराल पर जगह-जगह कार या स्कूटर में धमाके होते रहे. स्टॉक एक्सचेंज के बाद जिन जगहों पर धमाके हुए उनमें माहिम स्थित मछुआरों की कॉलोनी, झावेरी बाजार, प्लाजा सिनेमा, सेंचुरी बाजार, कथा बाजार, होटल सी रॉक, द एयर इंडिया बिल्डिंग, होटल जूहू सेंटॉर, वरली और पासपोर्ट ऑफिस शामिल थे. एयरपोर्ट (छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट) पर भी ग्रेनेड उछाले गए थे.

दुनिया के कई नामी-गिरामी स्मगलर्स का लगा था पैसा

इन 12 धमाकों में कुल 257 लोग मारे गए थे और 713 गंभीर रूप से घायल हुए थे. ये भारत में हुआ ऐसा पहला हमला था जिसमें इतनी बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे. भारत में अभी तक हुए आतंकी हमलों में यह 26/11 के अलावा सबसे सुनियोजित आतंकी हमला था. हमले के लिए अधिकतर बमों को कारों और स्कूटरों में रखा गया था. होटल में धमाकों के लिए कमरों में सूटकेस रख दिए गए थे. इन विस्फोटों के लिए हज्जी अहमद, हज्जी उमर, तौसीफ जलियावाला, असलम भट्टी और दाऊद जट्ट जैसे दुनिया के नामी स्मगलरों ने पैसा दिया था. विस्फोटों की प्लानिंग दुबई और पाकिस्तान में की गई थी. पर इन हमलों के लिए जो सबसे उत्साहित शख्स उस दौर में था, वो था टाइगर मेमन. टाइगर दाऊद के साथ इन हमलों का मेन मास्टरमाइंड था. आज उसी टाइगर मेमन का जन्मदिन है. उसके जीवन के बारे में जानना सभी के लिए जरूरी है क्योंकि कभी उसके करीबी रहे उस्मान मजीद की बातों को माने तो टाइगर की जिंदगी 'बुरे का बुरा अंजाम' की एक मिसाल बन गई है.

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इब्राहिम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक मेमन यूं बना टाइगर मेमन

मुंबई के एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ा इब्राहिम मुश्ताक जल्दी पैसे बनाने के लालच में मुंबई अंडरवर्ल्ड की गतिविधियों में शामिल हो गया था. मुश्ताक के पिता अब्दुल रज्जाक क्रिकेट खेलते थे. उन्होंने एक बार नवाब पटौदी के खिलाफ भी किसी मैच में खेला था. चूंकि नवाब पटौदी का उपनाम 'टाइगर' था तो अब्दुल रज्जाक के पड़ोसी भी उन्हें तभी से 'टाइगर' कहने लगे. टाइगर के बेटे मुश्ताक को अंडरवर्ल्ड में नाम और पैसा कमाने के बाद शादी के वक्त ये नाम अपनी दिलेरी और परिवार को गरीबी से निकालने के चलते मिला था.

तस्वीर साभार- न्यूज 18

टाइगर के परिवार की आर्थिक हालत उसके बड़े होने के साथ ही बिगड़ती जा रही थी. ऐसे में उसने एक क्लर्क की नौकरी की लेकिन अपने दंभ के चलते उसने अपने सीनियर को किसी बात पर पीटकर नौकरी छोड़ दी. इसके बाद उसने अंडरवर्ल्ड के कुछ लोगों के लिए ड्राइवरी का काम करना शुरू किया. बाद में एक रोज पुलिस से पाकिस्तान के बड़े तस्कर भट्टी को बचाने के चलते उसे दुबई बुला लिया गया. जहां वो सोने के बिस्किट की तस्करी का काम देखने लगा. टाइगर को अपने परिवार से बहुत प्यार था. उसने अपनी काली कमाई से पढ़ा-लिखाकर अपने भाई याकूब को चार्टेड अकाउन्टेंट बनाया पर 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के बाद मुंबई में टाइगर को बड़ी आर्थिक मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा.

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1993 मुंबई धमाकों में टाइगर ने ही निभाया था सबसे अहम रोल

टाइगर मेमन की माहिम में लेडी जमशेदजी रोड पर सम्राट सोसाइटी के नीचे एक इलेक्ट्रिक शॉप थी. बाबरी मस्जिद के ढहाये जाने के बाद भड़के दंगों में दंगाईयों ने उसकी दुकान भी तोड़-फोड़ डाली थी. पड़ोसियों की मानें तो मेमन 10 दिनों तक वहां जाकर हुए नुकसान को देखने की हिम्मत नहीं जुटा पाया था. ये भी कहा जाता है कि खुद को हुए इस नुकसान का बदला लेने के लिए ही उसने मुंबई बम धमाकों का षड्यंत्र रचा था. दाऊद इब्राहिम उन लोगों में प्रमुख था जिन्होंने इन विस्फोटों के लिए जरूरी सामान और पैसौं का प्रबंध किया था.

अपने बदले के लिये टाइगर ने 1993 के बम धमाकों का षड्यंत्र रचा. साथ ही वह 1992 में मुसलमान समुदाय के साथ हुये अन्याय का बदला भी लेना चाहता था. और उनका हीरो बनना चाहता था. मेमन ने इसके लिए दुबई के मार्फत पाकिस्तान की यात्रा की और इन बम धमाकों के लिए आरडीएक्स का जुगाड़ किया. जिसे उसने बम धमाकों को अंजाम देने के लिए महाराष्ट्र के बंदगाहों पर उतारा.

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इन धमाकों को अंजाम देने के लिए लोगों का जुगाड़ भी टाइगर ने ही किया था. जिन्हें स्पेशल आर्म्स और विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग पाकिस्तान में दी गई थी. टाइगर के आदमियों ने अल-हुसैनी बिल्डिंग के गैराज में ब्लास्ट के दिन से एक शाम पहले स्कूटर और कारों में विस्फोटक लगाकर धमाकों की तैयारी की थी. वैसे टाइगर मुंबई धमाकों से पहले ही मुंबई छोड़ दुबई भाग गया था. हालांकि उसके बारे में कोई ऑफिशियल जानकारी नहीं है पर 2013 में एक न्यूज रिपोर्ट में दावा किया गया था कि टाइगर कराची में रह रहा है.

आज टाइगर पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी आईएसआई का गुलाम बनकर रह गया है

लंबे अर्से से लोग मानते हैं कि टाइगर कराची में है लेकिन कभी जम्मू एंड कश्मीर स्टूडेंट लिबरेशन फ्रंट से जुड़े रहे उस्मान मजीद की मानें तो वह वहां खुश नहीं है. उस्मान मजीद की मुलाकात PoK के मुजफ्फराबाद में उससे हुई थी, जब वह इख्वान उल मुसलीमीन के लिए चंदा इकट्ठा कर रहा था. उस्मान भी उस वक्त आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे लेकिन अब वो जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा से कांग्रेस के विधायक हैं.

उनकी पहली मुलाकात टाइगर से 1993 के अंत में हुई थी. उस समय पाकिस्तान पर उसे भारत वापस भेजने का काफी दबाव पड़ रहा था, जब टाइगर कथित तौर पर मुजफ्फराबाद एक नकली प्रेस कांफ्रेंस की शूटिंग कराने आया था. जिससे साबित हो सके कि अभी भी वह भारत में है.

उस्मान टाइगर के काफी करीब आ गए थे, जिनसे उसने अपने कराची के आलीशान बंगले, नया व्यवसाय शुरू करने के लिए मिले डेढ़ करोड़ रुपए और अपनी टोयोटा समेत तीन कारों की चर्चा की थी. फिर भी जब टाइगर का भाई याकूब भारत लौटा तो आईएसआई को लगा कि याकूब की वापसी में टाइगर का हाथ है परिणामस्वरूप उसकी कारें वापस ले ली गईं और पैसे की आमद पर रोक लगा दी गई. उसने पेशावर और दुबई जाने की कोशिश भी की पर सुरक्षा कारणों से वापस लौटना पड़ा. उस्मान के मुताबिक वह आज पाकिस्तान में आईएसआई का गुलाम है. उस्मान के मुताबिक बम विस्फोट करवाने का टाइगर का फैसला आवेग में लिया गया था और उसे यह पता नहीं था कि बाकी जिंदगी उसके पीछे लोग लगे रहेंगे.

टाइगर ने 'हीरो' बनने के चक्कर में अपनी जिंदगी तबाह कर ली

टाइगर के साथ उस्मान की अंतिम भेंट जनवरी, 1995 में हुई थी. टाइगर सामान्य ढंग से कारोबार चला रहा था मगर उस्मान को लगा कि जैसे जो कुछ हुआ है, उनसे वह खुश नहीं था. उसका मकसद आतंकी बनना नहीं था. वह आईएसआई के इशारों पर नाचना नहीं चाहता था. वो दाऊद जैसा अपना कारोबार स्थापित करना चाहता था. पर तब वह जम्मू कश्मीर इस्लामिक फ्रंट (JKIF) बनाने की बातचीत करने में लगा था. वह अपने नेटवर्क के जरिए JKIF को नेपाल और गुजरात में सुरक्षित स्थान और गाइड मुहैया कराने वाला था, जिससे वे सुरक्षित रूप से उत्तरी और पश्चिमी भारत में अपनी कार्यवाही कर सकें. किन्हीं कारणों से ये योजना सफल नहीं हो पाई थी.

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उस्मान ने ये भी बताया कि जब मुंबई में बम लगाने की योजना बन चुकी, तो यह विचार भी बना था कि सात अन्य शहरों जिनमें नई दिल्ली, कोलकाता, बेंगलोर, चेन्नई और अहमदाबाद शामिल थे, में भी बम विस्फोट कराया जाए लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से ऐसा हो नहीं पाया. हालांकि टाइगर के बारे में सबसे नई खबर ये आई थी कि उसने मुंबई के एक होटल मालिक के साथ मिलकर 2013 के आस-पास दुबई में एक रेस्टोरेंट भी खोला था.

1993 मुंबई बम धमाकों की सुनवाई और अंडरवर्ल्ड के खात्मे की शुरुआत

12 मार्च, 1993 को हुए 12 बम धमाकों ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को हिला दिया था. बम धमाकों के एक अभियुक्त अबू सलेम को 2005 में पुर्तगाल से भारत में प्रत्यर्पित किया गया था. जबकि करीमउल्लाह खान को 2008 में गिरफ्तार कर लिया गया था. दूसरे जिन्हें इस मामले में सजा हुई थी वो मुस्तफा दौसा, फिरोज खान, ताहिर मर्चेंट और रियाज सिद्दकी थे.

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देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में हुये बम धमाकों के 24 सालों बाद एक फैसले में 2017 में मुंबई की टाडा कोर्ट ने अबू सलेम के साथ 6 लोगों को अपराधी घोषित किया. अबू सलेम और करीमउल्लाह खान को 1993 के बम विस्फोट मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. पर दोनों ही मुख्य अभियुक्त दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन आज आज भी फरार हैं.

ऐसे पैंतीस लोग, जिनमें मु्ख्य अभियुक्त दाऊद इब्राहिम, टाइगर मेमन के साथ मोहम्मद अहमद उमर दौसा और जावेद चिकना भी शामिल है, आज भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं. 2015 में टाइगर मेमन के भाई याकूब मेमन को फांसी दे दी गई. वह भी 1993 के मुंबई बम घमाकों के मुख्य अभियुक्तों  में से एक था. वैसे ये बम धमाके अंडरवर्ल्ड के लिए भी आत्मघाती साबित हुए. इनके बाद मुंबई के अंडरवर्ल्ड में सांप्रदायिकता की दरार आ गई. इस ब्लास्ट के तुरंत बाद डी कम्पनी के हिंदू सदस्यों जैसे छोटा राजन और साधु शेट्टी ने दाऊद का गैंग छोड़ दिया था.

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.