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पंडित रविशंकर की दी कौन सी सीख ताउम्र रहेगी अनुष्का शंकर के साथ

सितार वादक अनुष्का शंकर के जन्मदिन पर खास

Shivendra Kumar Singh

उनकी उम्र अभी सिर्फ 36 साल है. वो दुनिया के बड़े से बड़े कार्यक्रमों में शामिल हो चुकी हैं. अब तक 6 बार प्रतिष्ठित ग्रैमी अवॉर्ड्स के लिए उन्हें नॉमिनेट किया जा चुका है. बतौर सितार वादक उनका करियर 23 साल का हो चुका है क्योंकि 13 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला पब्लिक परफॉरमेंस दिया था. यूं तो वो विदेश में पली बढ़ी हैं लेकिन उनकी जड़ें हिंदुस्तानी हैं. उन्हें सितार बजाने के साथ-साथ लिखना, एक्टिंग करना और कंपोजीशन का शौक है. अच्छा मौका मिलने पर वो फिल्मी में संगीत देने की चाहत भी रखती हैं. आज उसी यंग, ग्लैमरस, बेहद प्रतिभाशाली कलाकार अनुष्का शंकर का जन्मदिन है.

करीब 9 साल की उम्र में जब अनुष्का शंकर ने पहली बार सितार पकड़ा था तब से लेकर जब तक पंडित रविशंकर जिंदा थे वो उनकी शिष्य रहीं. पंडित रविशंकर रोज उन्हें सितार की तालीम दिया करते थे. ये स्वाभाविक सी बात है. ऐसे सैकड़ों उदारहण हैं. लेकिन खूबसूरत बात ये है कि इतनी मेहनत से सितार सीखने वाली बेटी को उसके पिता ने कभी भी ये नहीं कहा कि तुम्हें सितार ही बजाना है. अलबत्ता एक गुरु के तौर पर सीख मिली कि सितार तभी बजाना जब तुम्हें उसे बजाकर आनंद आए. मैं तुम्हें सितार बजाने के लिए ‘फोर्स’ नहीं कर रहा. इसे तभी बजाना अगर इसको प्यार करती हो.


ये सीख एक छोटी सी बच्ची के दिमाग में घर कर गई. उसने इसे जीवन की सबसे बड़ी सीख मान लिया. और फिर एक वक्त वो भी आया जब पंडित रविशंकर उन्हें अपना बेस्ट शिष्य कहा. इससे ज्यादा बड़ी बात क्या होगी कि अपने संगीत सफर के आखिरी दिनों में पंडित रविशंकर अनुष्का को अपना ‘एक्सटेंशन’ यानी अपना विस्तार कहा करते थे. इसलिए नहीं क्योंकि वो उनकी बेटी थीं बल्कि एक कलाकार के तौर पर. पिता रविशंकर के रहते उनकी बेटी अनुष्का ने उनके साथ दर्जनों बार मंच शेयर किया. आज पंडित रविशंकर तो नहीं हैं लेकिन अनुष्का शंकर इस बात को पूरी दुनिया के सामने मजबूती से साबित कर रही हैं कि उनके पिता क्यों उन्हें अपना विस्तार कहा करते थे.

अनुष्का शंकर की फेसबुक वॉल से साभार

अनुष्का शंकर का जन्म 9 जून 1981 को हुआ था. अनुष्का का बचपन भी कई मायनों में अपने पिता की तरह ही रहा है. पिता रविशंकर भी जब करीब दस बरस के थे तो विदेश चले गए थे. बड़े भाई उदय शंकर विख्यात डांसर थे. कई साल वहां बिताने के बाद पंडित जी बाबा अलाउद्दीन खान के पास पहुंचे थे. बाबा बहुत सख्त गुरु थे. वैसे ही सख्त पंडित रविशंकर भी थे, लेकिन तभी तक तक अनुष्का के हाथ में सितार होता था. सितार रखते ही पंडित रविशंकर वापस पिता के रोल में आ जाते थे. अनुष्का का तो जन्म ही लंदन में हुआ था. उसके बाद उनका बचपन लंदन, कैलीफोर्निया और दिल्ली के बीच बीता है.

पंडित जी ने अनुष्का के जन्म के कुछ साल बाद उनकी मां सुकन्या शंकर से विवाह किया था. अनुष्का छोटी सी थीं तब वो अपने पिता और मां के बीच का प्यार देखती थीं. उन्हें लगता था कि उनके पिता मां को कितने अपनेपन से रखते हैं. वो बचपन में प्रार्थना करती थीं कि पंडित रविशंकर और उनकी मां की शादी हो जाए. आखिरकार जब वो 7-8 साल की थीं तो पंडित जी ने सुकन्या शंकर से शादी की. अनुष्का को याद है कि जब वो चार साल की थीं तो उनके जन्मदिन पर पंडित जी चार सुंदर-सुंदर ड्रेस एक साथ लेकर उनसे मिलने गए थे. पंडित जी के व्यक्तिगत जीवन में महिलाओं को लेकर जो हलचल रही वो सुकन्या शंकर के विवाह के बाद खत्म हो गई. उन्होंने कुछ इंटरव्यू में भी ये बात कही थी कि सुकन्या से शादी करने के बाद ही उन्होंने फैसला किया कि अब वो तितली की तरह इधर-उधर उड़ने वाला जीवन नहीं जिएंगे.

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एक आम बच्चे से काफी अलग इस तरह के माहौल में बचपन बीतने के बाद भी अनुष्का शंकर को कभी प्यार की कमी नहीं महसूस हुई. और फिर जब वो पंडित जी से सीखने लगीं तो फिर तो उनकी दुनिया ही पूरी हो गई. अनुष्का करीब 15 साल की थीं जब उन्होंने अपने पिता के साथ ‘चैंट्स ऑफ इंडिया’ नाम के एल्बम में काम किया. इस एल्बम को जॉर्ज हैरिसन ने प्रोड्यूस किया था. 17 साल की उम्र में अनुष्का का पहला एल्बम आ गया. यानी अभी अनुष्का की स्कूली पढ़ाई भी खत्म नहीं हुई थी जब उनके पास अपना खुद का एल्बम था. 2003 में वो नोरा जोंस के साथ पहली बार ग्रैमी अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हुईं. उस वक्त वो उस कैटेगेरी में नॉमिनेट होने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की कलाकार थीं.

नोरा जोंस

नोरा जोंस के साथ भी अनुष्का का करीबी रिश्ता था. बहन जैसा. दोनों एक ही पिता यानी पंडित रविशंकर की बेटियां हैं लेकिन नोरा की मां अलग हैं. नोरा खुद एक विश्वविख्यात संगीत कंपोजर हैं और उनकी मां सू जोंस भी संगीत की दुनिया का बड़ा नाम हैं. पंडित रविशंकर और सू जोंस का रिश्ता भी कई साल तक रहा था. पंडित रविशंकर के इन तमाम रिश्तों के बाद भी अनुष्का शंकर ने उन्हें कभी गलत नहीं समझा. वो खुद कहती हैं कि उनके पिता ने कभी किसी को धोखे में रखकर कुछ नहीं किया. किसी से अपना सच नहीं छिपाया. वो जब जिसके साथ रहे बिल्कुल ईमानदारी से रहे.

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खैर, दुनिया भर में अपने पिता के विस्तार और भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रचार प्रसार में लगी अनुष्का शंकर ने 2010 में शादी की थी. उनकी दो संताने हैं. ये सुखद है कि पंडित रविशंकर ने दुनिया छोड़ने से पहले अपनी बेटी की शादी और उसकी संतान को भी देखा. अपनी तमाम यादों को अनुष्का ने बापी-द लव ऑफ माय लाइफ नाम की किताब में लिखा है. जिसकी शुरुआत में वो बड़े ही साफ तरीके से कहती हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी में अपने पिता जैसा कमाल का इंसान नहीं देखा. उन्होंने सर्वश्रेष्ठ संगीत तैयार किया. उनका अपने सितार के साथ कमाल का रिश्ता था.

दरअसल, पंडित रविशंकर जब कभी यात्रा करते थे तो उनके बगल की सीट पर उनका सितार होता था. एक सीट पंडित रविशंकर के नाम पर बुक होती थी और दूसरी सुर शंकर के नाम पर. अनुष्का आगे लिखती हैं कि वो एक बेहद मजाकिया इंसान थे, जो प्रोफेशनल कॉमेडियन नहीं बने. एक पिता के तौर पर मैं उनसे जितना प्यार चाहती थी उससे कहीं ज्यादा प्यार वो देकर गए.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)