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जन्मदिन विशेष: जब मीना कुमारी से राष्ट्रपति ने पूछा, तुम्हारा बॉयफ्रेंड कैसा है?

इतनी बड़ी कलाकार होने के बावजूद अपने पति कमाल अमरोही से क्यों डरती थी मीना कुमारी

Satya Vyas

फिल्म की शूटिंग चल रही थी. फिल्म के नायक को पता चला कि नायिका का आज जन्मदिन है. उसने पैकअप के बाद नायिका के जाने से पहले सेट पर ही नायिका के जन्मदिन का इंतजाम कर दिया. केक मंगवाए गए. नायिका पर जब ये राज बेपरदा हुआ तो वह मायूस हो गईं. उन्होंने बधाइयां तो हंस के लीं मगर नायक उनकी मायूसी ताड़ गया. उसने कारण पूछा तो नायिका ने कहा: 'आज देर हो गई न ! आज मार पड़ेगी।'

आज वही दिन है. एक अगस्त. मीना कुमारी आज होतीं तो उनकी उम्र 84 साल की होती. 1 अगस्त 1933. गांधी जी अपनी भूख हड़ताल के कारण फिर गिरफ्तार किए गए थे और उसी दिन अली बख्श पर फिर बिजली गिरी थी.


इकबाल बेगम ने अबकी दफा भी बेटी को ही जन्म दिया था. अली बख्श की कमाई से बमुश्किल घर चलता था. अस्पताल का खर्च कहां से आता? इसलिए इस बेटी के लिए उन्हें अनाथालय की सीढ़ियां ही सबसे मुफीद जगह दिखी. वह उसे छोड़ आए. घर पहुंचने पर जब जोरू और जमीर दोनों ने धिक्कारा तो वापस ले आए. चींटियों की कतारें बस नवजात माहजबीन तक पहुंचने ही वाली थीं.

दादर की उन्हीं बस्तियों मे महज़बीन बड़ी होने लगी. वह पढ़ना चाहती थी, मगर महज चार साल की उम्र से ही उसके चक्कर स्कूलों की जगह स्टूडियोज़ के लगे. विजय भट्ट ‘लेदर फेस’ बना रहे थे उन्हें बाल कलाकार की जरूरत थी. महज़बीन 25 रुपए के मेहनताने पर 'बेबी मीना' बन गई.

बड़ी बहन खुर्शीद पहले ही फिल्मों में थी, मीना को भी काम मिलने लगा. सख्त मिजाज पिता दोनों बेटियों को स्टूडियो ले जाते और काम खत्म होने पर वापिस ले आते. 40 के दशक में बेबी मीना ने बाल कलाकार के रूप मे कई फिल्में की और चालीस के मध्य में ही मीना कुमारी को नायिकाओं के ऑफर मिलने लगे.

फिल्म 'बच्चों का खेल' से महज 13 साल की उम्र में नायिका का किरदार निभाने के बाद इसी वक्त उन्होंने वीर घटोत्कच,गणेश महिमा, लक्ष्मी नारायण जैसी कई पौराणिक फिल्में की. स्थिति कुछ अच्छी होने लगी तो मां का साया उठ गया. पिता और कठोर हो गए. काम, पैसा और असुरक्षा की भावना ने उन्हे और कठोर बना दिया.

इन्हीं कठोर दिनों में भावनाओं का बहाव आया. कमाल अमरोही फिल्म 'दायरा' लेकर मीना की जिंदगी में दाखिल हुए. वक्त बदलने लगा था. मीना अब प्रथम लीग की हीरोइनों में गिनी जाने लगी थीं. महाबलेश्वर में शूटिंग के दौरान एक्सीडेंट हुआ. इसी दौरान कमाल और मीना करीब आए.

पिता कमाल की मधुबाला के लिए दिल फरेबियों से वाकिफ थे. उन्होंने सख्ती बरती मगर बहनों ने साथ दिया और दोनों ने छुपकर शादी कर ली. गौरतलब कि कमाल पहले से शादीशुदा और तीन बच्चों के पिता थे और यह बात मीना जानती थीं.

पिता एक दिन दिलीप कुमार के साथ फिल्म अमर का ऑफर लेकर आए मगर मीना ने वह डेट कमाल की फिल्म को दे रखी थी. अली बख्श ने कहा कि कल सुबह तैयार होकर अमर के शूट पर चलोगी. मीना तैयार तो हुईं मगर कमाल के घर जाने के लिए. उन्होंने पिता का घर छोड़ दिया.

मीना ने पिता का घर स्वच्छंद और सुखी जीवन के लिए छोड़ा था. मगर इनके जीवन में सुख था ही नहीं. कमाल एक कठोर पति थे. उन्होंने शादी भी शर्तों के साथ की थी. उन्हें मीना के विवाह के बाद फिल्मों में काम करना पसंद नहीं था. मीना ने गुजारिश की तो सशर्त रियायत मिली. मीना फिल्म दर फिल्म ऊपर चढ़ती गई. फिल्मों की सफलता संबंधों के आड़े आती गई.

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कड़वाहट इतनी बढ़ी कि पिंजरे का पंछी के सेट पर जब कमाल के दोस्त और हमराज बाकर ने मीना कुमारी पर हाथ उठा दिया तो मीना ने कमाल को सेट पर बुलाया. कमाल नहीं आए. मीना को यह अपमान नागवार गुजरा. उन्होंने कमाल का घर छोड़ दिया.

परेशानियों से ऊबी मीना शराब में डूब गईं. अकेलापन ऐसा तारी रहा कि प्रदीप कुमार, अशोक कुमार, राजकुमार, भारत भूषण जैसे पुराने और राहुल, धर्मेन्द्र,गुलजार जैसे नए दोस्तों में गमख्वार ढूंढती रहीं. धर्मेंद्र के साथ तो उनकी आशनाई के चर्चे ऐसे थे कि एक दफा राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन ने पूछा था कि 'तुम्हारा बॉयफ्रेंड कैसा है? जो भी हो, बकौल मीना खुद, उनका असली साथी तो उनका अलम (गम) ही रहा.

आखिरी दिनों में मीना कुमारी को फिल्में मिलनी कम हो गईं वह विधवा, बड़ी बहन और बूढ़ी औरत के किरदार में दिखने लगीं. शराब ने शरीर तबाह कर दिया था और तन्हाई ने फिल्म परखने की तमीज. रही सही कसर शायरा बानू और बबिता जैसे नए चेहरों की आमद ने पूरी कर दी थी.

मगर शाहकार आना अभी बाकी था. नरगिस दत्त और सुनील दत्त ने किसी रोज बंद पड़ी पाकीज़ा के रॉ फुटेज देखे और विस्मित रह गए. उन्होंने मीना को फिल्म पूरी करने के लिए राजी किया. मीना ने भी कुछ शर्तों पर फिल्म को पूरी करने को हामी भरी. फिल्म पूरी हुई. फिल्म के अंतिम चरण में ही मीना की शारीरिक स्थिति बुरी तरह बिगड़ चुकी थी. मगर शाहकार बनना था. 4 फरवरी 1972 को पाकीज़ा रिलीज हुई.

मीना कुमारी की जिंदगी से बड़ी कहानी उनकी मौत की है. जितने मुंह उतनी कहानियां. मगर आज उनका जन्म दिन है. जन्म दिन पर मरने की बात नहीं करते. ऐसा मीना कुमारी का किरदार ही किसी फिल्म में कहता है.