मैरी क्यूरी (मैडम क्यूरी) ने दो नोबेल पुरस्कार जीते हैं. एक फिज़िक्स में और एक केमिस्ट्री में. उनके बारे में आगे बात करने से पहले जान लीजिए कि महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टाइन ने दो शादियां की थीं. उनकी दूसरी पत्नी उनकी कजिन थीं. पहली पत्नी से तलाक के पीछे आइंस्टीन का अपनी महिला प्रशंसकों से कुछ ज्यादा ही करीब रहना था. आइंस्टीन ने अपने छोटे बेटे के लिए ये भी कहा था कि अच्छा रहता अगर वो पैदा ही न हुआ होता. इसकी वजह थी कि वो सिजोफ्रेनिया का मरीज था.
आप कहेंगे ये सब बातें यहां क्यों लिखी जा रही हैं. आइंस्टीन ने दुनिया को बहुत कुछ दिया. उनकी शादी का उससे कोई संबंध नहीं. मगर दुनिया को, दुनिया भर के वैज्ञानिकों को और नोबेल कमेटी को मैडम क्यूरी से समस्या थी. वो चाहते थे कि क्यूरी अपना नोबेल ग्रहण करने न आए.
मैरी के पति पियरे क्यूरी की 1906 में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. इसके चार साल बाद उनका अपने जूनियर रिसर्चर पॉल लैवेंग्वीन से अफेयर हुआ. मैरी तब 43 साल की थीं और पॉल 37 के. पॉल की पहले से एक पत्नी और चार बच्चे थे. अखबारों ने दोनों को लेकर कई खबरें छापीं. क्यूरी को नाजायज़ संबंध बनाने वाली चरित्रहीन औरत कहा गया. जबकि पॉल अपनी पत्नी से कानूनी रूप से अलग होकर (तलाक लिए बिना) रहते थे. पॉल की पत्नी ने मैरी के लिखे प्रेम पत्रों को अखबारों को दे दिया. पूरे फ्रांस में ये पत्र स्कैंडल की तरह छापे गए.
नोबेल कमेटी का कहना था कि मैरी को पुरस्कार लेने न बुलाया जाए. कमेटी नहीं चाहती कि कोई चरित्रहीन राजा के साथ हाथ मिलाए. जबकि मैरी अपने पति की मौत के काफी समय बाद किसी और के साथ थीं.
पहले भी हो चुका था भेदभाव
ये पहला मौका नहीं था जब मैरी के साथ एक महिला होने की वजह से भेदभाव हुआ हो. 1902 में जब क्यूरी को रेडिएशन की खोज के लिए नोबेल कमेटी ने नामित नहीं किया था. मैरी और उनके पति ने मिलकर ये खोज की थी. मगर पुरस्कार कमेटी ने सिर्फ पियरे क्यूरी का नाम दिया. पियरे के कड़ा ऐतराज जताने के बाद ही मैरी को 1903 में नोबेल मिला. जिसके चलते वो नोबेल जीतने वाली पहली महिला बनीं.
1911 में दूसरी बार क्यूरी को रेडियम और पोलोनियम की खोज के लिए केमिस्ट्री का नोबेल दिया गया. क्यूरी के घर के सामने इस समय तक कई विरोध प्रदर्शन हो चुके थे. इन सबके चलते वो डिप्रेशन में आ गई थीं, इसके साथ ही रेडियम के लगातार संपर्क में रहने का बुरा असर उनकी सेहत पर पड़ रहा था. नोबेल ग्रहण करने के एक महीने बाद ही मैरी को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा.
ये भी पढ़ें: पशु-पक्षियों के बर्ताव के बारे में आप जो जानते हैं, वो कितना सही है?
ऐसे में मैरी के देश पोलैंड ने उनसे फ्रांस छोड़ वापस पोलैंड आने को कहा. मैरी ने मना कर दिया. कारण था कि फ्रांस में रेडियम इंस्टिट्यूट शुरू करने के लिए बेहतर सुविधाएं थीं. मैरी को लंबे समय तक भेदभाव झेलना पड़ा हो मगर विज्ञान और दुनिया की भलाई के लिए उनकी प्रतिबद्धता अभूतपूर्व थी. अमेरिका ने क्यूरी के काम का सम्मान करते हुए अपने यहां मौजूद एक ग्राम रेडियम दान करने की घोषणा की. मैरी ने कहा कि ये रेडियम उन्हें नहीं उनके संस्थान को दान किया जाए ताकि मैरी के मरने के बाद इस कीमती धरोहर पर उनका परिवार दावा न कर सके.
ये भी पढ़ें: जन्मदिन: क्यों हैं पिकासो दुनिया के सबसे महंगे कलाकार
मैरी क्यूरी के जमाने को गुजरे हुए शताब्दी से ज्यादा समय हो चुका है. मगर 2016 तक केमिस्ट्री के 172 नोबेल अवॉर्ड्स में कुल 4 महिलाओं को, दवा के क्षेत्र में 208 में से महज 11 महिलाओं को, अर्थशास्त्र में सिर्फ एक महिला को और भौतिक विज्ञान में बस दो महिलाओं (क्यूरी को मिलाकर) को नोबेल दिया गया है. आप सोच सकते हैं कि इन सौ सालों में लैंगिक समानता के तमाम दावे कितनी हकीकत बन पाए हैं.